नरसिंहपुरः बीते साल से आधी है मंडी में आवक, कम न हो जाए गुड़ की मिठास


गुड़ की इस कम आवक के कई कारण बताए जा रहे हैं। कहीं इसका कारण कोरोना और लॉकडाउन बताया जाता है तो कहीं बाजार में गुड़ की कम कीमतें और शुगर मिल में गन्नों के बेहतर मिल रहे दाम।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

नरसिंहपुर। क्षेत्र के गुड़ की मिठास दूर-दूर तक प्रसिद्ध है  लेकिन शायद इस बार यह मिठास ज़्यादा चख़ने को न मिले। मंडी में गुड़ की आवक बीते साल के मुकाबले आधी या इससे भी कम हो रही है। गुड़ की इस कम आवक के कई कारण बताए जा रहे हैं। कहीं इसका कारण कोरोना और लॉकडाउन बताया जाता है तो कहीं बाजार में गुड़ की कम कीमतें और शुगर मिल में गन्नों के बेहतर मिल रहे दाम। हालांकि मंडी में आवक कम दर्ज होने का एक बड़ा कारण नए कृषि अध्यादेशों को भी बताया जा रहा है। 

गुरुवार को नरसिंहपुर मंडी में लगभग 80 मोटर यानी दो-ढाई हजार क्विटंल ही गुड़ की आवक हुई है। इस सीजन में मंडी में गुड़ के आवक में कमी आई है ऐसे में सौदे में दाम (शुक्रवार तक) 2560 से शुरू होकर 3281 रुपए प्रति क्विंटल तक जा रहे हैं। यहां मंडी कर्मचारियों और किसानों ने बातचीत में बताया कि इस वर्ष गुड़ की आवक कम हो रही है। बीते वर्ष इन दिनों में जहां दो सौ से अधिक गाड़ियां आती थी अब वह 70 – 80 गाड़ी गुड़ आ रहा है।

गुड़ के कम दामों से किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है। ऐसे में गुड़ भट्टी का संचालन करने वाले भी अब रुचि नहीं ले रहे हैं।  यही नहीं शुगर मिल के दाम भी लगभग एक जैसे हो रहे हैं।

इसे व्यापारियों के नज़रिये से समझने की कोशिश करते हैं जैस ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव लाल साहब जाट कहते हैं कि शुगर मिल में गन्ने के दाम ₹285 प्रति क्विंटल हैं जबकि गुड भट्टियों में गन्ना 225- 230 रु तक टिके हैं। ऐसे में कई किसान शुगर मिल में गन्ना देना पसंद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां 40 – 45 रुपये अधिक मिल जाते हैं।

दूसरी बात यह है कि गुड़ भट्टी की पंजीयन संबंधी प्रशासनिक औपचारिकताएं इतनी कठिन हो गई हैं कि उनके कारण किसान को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। जिससे अब गुड़ भट्टियों का संचालन प्रभावित हो रहा है।

गुड़ की कम आवक का मौसमी कारण समझाते हुए क्षेत्र के ही एक किसान बाबूलाल पटेल कहते हैं कि एक कारण यह है कि मौसम बार-बार बदल रहा है।  इससे गुड़ बनाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है इसलिए फिलहाल गुड़ की आवक कम हुई है।

बीते 25 दिसंबर को जिले की सबसे बेहतर और बड़ी करेली मंडी में गुड़ की आवक लगभग 80 गाड़ी थी  और  दाम 2560 से शुरू होकर 3281 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे।

करेली में गुड़ मंडी प्रति सोमवार को रहती है। यहां के दाम जिले की अन्य मंडियों की अपेक्षा सबसे ज्यादा होते  हैं। यहां के गुड़ की क्वालिटि भी अच्छी मानी  है।

जैविक गुड़ भी बाजार में उपलब्ध है लेकिन उसके दाम खुदरा बाजार में 60 – 90 रु प्रति किग्रा तक हैं। गुरुवार को नरसिंहपुर गुड़ मंडी में आए व्यापारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित अन्य राज्यों में कोरोना की वजह से बाजार प्रभावित हैं और इसी वजह से गुड़ की डिमांड भी कम हुई है।

एक व्यापारी सतीश अग्रवाल ने बताया कि बाहर राज्यों से गुड़ की मांग कम हुई है इससे इस बार खरीदी भी प्रभावित हो रही  है। इसकी आशंका पहले से थी ऐसे में  किसानों ने इस बार गुड भट्टियां कम लगाई हैं  फिलहाल मकर संक्रांति के त्यौहार को देखते हुए अब मंडियों में गुड़ की आवक बढ़ने के आसार हैं।

कृषि कानून का भी असर… 

गुड़ की आवक कम होने के कुछ और भी कारण यहां बताए जा रहे हैं। इनमें से एक कृषि कानून भी हैं। व्यापारियों ने बताया कि नए कृषि अध्यादेश के मुताबिक मंडी के बाहर भी सौदे हो रहे हैंं  इसलिए व्यापार अब मंडियों के बाहर भी हो रहा है। जिससे मंडी में आवक दर्ज नहीं हो पा रही है।  किसान और व्यापारी आपस में जहां जैसा चाहते हैं वैसा सौदा कर लेते हैं इसलिए अब  गुड़ मंडी तक नहीं पहुंचता। हालांकि इसके चलते मंडियों की आर्थिक हालत खराब हो रही है।



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