चुनाव में हार के बाद मुंबई में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में तय हुआ कि लालकृष्ण आडवाणी प्रतिपक्ष और पार्टी के अध्यक्ष दोनों अपने पदों पर बने रहेंगे। इसके बाद, लोग सोचने…
67. 06 % के साक्षरता दर वाला राजस्थान राजनीतिक समझ के लिहाज से अपेक्षाकृत काफी सजग है। बंधी बंधाई लीक पर चलने की बजाय किसी भी सरकार को काम करने का अवसर दे…
जिस तरह की परिस्थिति है उसमें कोई ईश्वरीय चमत्कार या भाजपा-विरोधी सूनामी ही एमपी में कांग्रेस को कर्नाटक बना सकती है। ऐसा नहीं हुआ तो दिग्विजय सिंह के इस दावे की पोल खुल…
शिवराज सिंह का टिकिट लटकाकर केंद्र के ख़िलाफ़ वाली लहर का मुँह बंद करने की कोशिशों को ताबड़तोड़ विराम लगाया गया। ‘सारे चेहरों को बदल दूँगा’ का गर्व अपने ही ‘सारे फ़ैसलों को…
निठारी के दोषियों की रिहाई के लिए उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जाँच एजेंसियों द्वारा जनता के भरोसे के साथ किए गए विश्वासघात को ज़िम्मेदार ठहराया।
महुआ के साथ राहुल गांधी और संजय सिंह के मामले पर भी विचार करना चाहिए क्योंकि तीनों ने अडानी पर ही सवाल उठाए थे।
मीडिया में प्रतिनिधित्व का सवाल सिर्फ़ पिछड़ी जातियों तक सीमित नहीं है। दलितों, अल्पसंख्यकों और काफ़ी हद तक महिलाओं को लेकर भी यही स्थिति है। उच्चवर्गीय मीडिया ही देश की राजनीति भी चला…
जनता की नब्ज पर मज़बूत पकड़ रखने वाले मोदी जानते हैं कि उनके 2014 और 2019 के तिलिस्म में विपक्षी दलों को एकजुट कर राहुल गांधी ने सेंध लगा दी है !
हरिद्वार की इस विवादास्पद ‘धर्म संसद’ के बाद एक बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, न्यायविदों, सेवानिवृत अफ़सरों, पूर्व सैन्य अधिकारियों, आदि ने चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री से अपील की थी कि वे अपनी…
हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञानराशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छाशक्ति व प्रयास से उपजी है। यह सिर्फ उस अकेले की संपत्ति नहीं है। सब कुछ सबका है। वह…
प्रधानमंत्री ने अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को इतना ऊँचा उठा दिया है कि वे अब उस जगह वापस नहीं लौट सकते जहां से उन्होंने सत्ता-प्राप्ति की यात्रा प्रारंभ की थी।
सत्ताओं के अधिनायकवाद की शुरुआत नागरिकों से ही होती है। नागरिकों की रगों में ही सबसे पहले तानाशाही प्रवृति के गुण भरे जाते हैं।
गनीमत है कि मेरे आंसू अभी भी हिंदी में ही निकलते हैं और जब कभी चहकने का मौका आया तो मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैं हिंदी में ही चहक पाया।
प्रधानमंत्री ने सत्ता को अपने लिए काम के नशे में तब्दील कर लिया है। जैसा गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं :’नरेंद्र भाई पिछले नौ सालों से बिना एक दिन की भी छुट्टी…
कान्ह राष्ट्रीय उद्यान और बरगी बांध जैसी परियोजनाओं से हजारों आदिवासी ग्रामीण विस्थापित हुए हैं।
विपक्ष का हाथ अगर सम्मिलित रूप से सही मुद्दों और जनता की असली नब्ज़ तक नहीं पहुँचा तो मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार न सिर्फ़ 2024 में ही फिर से लौटकर…
गणित समझाया जा रहा है कि 2024 के चुनावों में भाजपा की सीटें अगर कम भी हो जाएँ पर उसका वोट शेयर 2019 वाला ही क़ायम रहे तब भी महिला आरक्षण सरकार की…
केंद्र के कामकाज पर नज़र रखने वाले एक वर्ग का मानना है कि संसद में विधेयकों के सफल प्रस्तुतीकरण और चुनाव प्रबंधन सहित हाल के महीनों में जिस तरह की घटनाएँ हुईं हैं,…
लाल क़िले से उद्बोधन में उनके नेतृत्व में किए गए सामरिक महत्व की उपलब्धियों के बखान के दौरान भी प्रधानमंत्री ने यह तो बताया कि सीमा क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया गया…
आश्चर्य व्यक्त किया जाना चाहिए कि गृह मंत्री ने अपने भाषण का दो-तिहाई से ज़्यादा समय प्रधानमंत्री की उपलब्धियों पर खर्च किया और प्रधानमंत्री ने उतना ही समय बजाय मणिपुर पर जवाब देने…