
मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री कुँवर विजय शाह की माफी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह माफी केवल “कानूनी नतीजों से बचने का दिखावा” है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। यह मामला महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी से जुड़ा है, जिसे लेकर पूरे देश में निंदा हुई थी।
क्या है मामला?
मंत्री विजय शाह ने 12 मई को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और तीखी आलोचना हुई। इस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे। मंत्री शाह ने बाद में माफी मांगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘कृत्रिम’ और ‘बचने की कोशिश’ करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. के. सिंह की बेंच ने कहा कि मामला बेहद संवेदनशील है और सेना से जुड़ा होने के कारण भावनाओं को आहत करता है। कोर्ट ने कहा कि यह एक “लिटमस टेस्ट” है और मंत्री को जांच में पूर्ण सहयोग देना होगा। कोर्ट ने SIT के गठन के लिए DGP को 20 मई सुबह 10 बजे तक आदेश का पालन करने को कहा है।
SIT में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी होंगे, जिनमें से एक महिला अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल होंगी। इसकी अगुवाई IGP स्तर के अधिकारी करेंगे और अन्य दो सदस्य SP रैंक या उससे ऊपर के होंगे। जांच रिपोर्ट 28 मई को अगली सुनवाई में कोर्ट में पेश की जाएगी।
माफी नहीं, जिम्मेदारी लें मंत्री: सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मंत्री की माफी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “आपने ‘यदि किसी को ठेस पहुंची हो’ जैसे शब्दों का उपयोग किया, जो किसी भी सच्ची माफी का संकेत नहीं देते।” कोर्ट ने कहा, “आप एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हैं। जनता आपसे उच्च नैतिक स्तर की उम्मीद करती है।”
राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल
कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से सवाल किया कि जब FIR दर्ज हुई थी, उसके बाद क्या कार्रवाई हुई? कोर्ट ने पूछा, “क्या किसी वरिष्ठ अधिकारी ने जांच की? जब हाईकोर्ट को FIR दोबारा लिखने की ज़रूरत पड़ी, तब राज्य सरकार क्या कर रही थी?” कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी मंत्री और एक सामान्य जांच अधिकारी के बीच की स्थिति में निष्पक्षता संदेह के घेरे में आती है।
जनता की भावना से खेला गया: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि मंत्री ने जनता की भावना से खिलवाड़ किया है। “आपकी टिप्पणी उस समय की गई जब पूरा देश गर्व से सेना का सम्मान कर रहा था। आपको सोच-समझकर बोलना चाहिए था,” कोर्ट ने फटकार लगाई।
मामला केवल राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय गरिमा और सैन्य सम्मान से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख ने एक बार फिर साबित किया है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह कितने भी ऊँचे पद पर क्यों न हो।