फसलों के सही दाम के लिए मालवा प्रांत में तहसील से लेकर जिला स्तर तक आंदोलन करेगा भारतीय किसान संघ


शिवराज सरकार से मांगा गेहूं पर प्रति क्विंटल 5 सौ रुपये का बोनस, केंद्र की किसान विरोधी नीति से कपास के दाम औंधे मुंह गिरे, हालात नहीं सुधरे तो फिर सड़कों पर आयेंगे किसान।


डॉ. संतोष पाटीदार डॉ. संतोष पाटीदार
इन्दौर Published On :
kisan sangh on farmers issues

इंदौर। एक बार फिर किसानों में सरकार की रीति-नीति के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है और इसकी वजह है केन्द्र की किसान विरोधी नीति से फसल के उचित भाव नहीं मिलना।

किसान शिवराज सरकार से गेहूं पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री से कपास के आयात पर तत्काल रोक लगाने की मांग भी जोर-शोर से कर रहे हैं।

देश के किसानों को सीधे नुकसान पहुंचाने के लिए देशी कपास की बजाय विदेशी कपास खरीदी को बढ़ावा देकर केंद्र सरकार भारतीय किसानों के साथ छलकपट कर रही है।

खेती-किसानी से सरकारी खिलवाड़ का आलम यह है कि हमेशा की तरह देश में कपास की फसल आते ही सरकार ने विदेशों से कपास की खरीदी खोल दी है। यह फैसला ऐसे समय किया गया है जब कपास की फसल किसान बेचने की तैयारी में थे।

विदेशों से कपास खरीदने से हमारे देश में कपास का भाव सीधे नीचे गिर गया। हमारे यहां कपास का शुरुआती भाव करीब नौ से दस हजार रुपये क्विंटल तक था। केंद्र द्वारा इस पर आयात शुल्क कम करते ही यकायक इसके दाम गिरकर लगभग 7 हजार रुपये क्विंटल पर आ गए हैं।

इस चुनावी सीजन में किसानों को केन्द्र और राज्य सरकार से फसलों के लाभकारी मूल्य की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

गेहूं, कपास के साथ प्याज भी किसानों को रूला रहा है। प्याज दो रुपये से 4 रुपये किलोग्राम में बेचने को मजबूर किसानों को प्याज का भाव भी नहीं मिल रहा है जबकि आलू की भी यही दशा है।

किसानों के मुताबिक, केन्द्र ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2100 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जो कि काफी कम है। किसानों को कम से कम 2600 रुपये का दाम मिलना चाहिए इसलिए राज्य सरकार से 500 रुपये क्विंटल बोनस की दरकार है।

कपास उत्पादक किसानों को उम्मीद थी कि कपास के भाव दस से बारह हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिलेंगे, लेकिन सरकार के फैसलों से भाव औंधे मुंह पड़े हैं। बीते एक माह से कपास के भाव बढ़ने की उम्मीद संजोये किसानों ने कपास की फसल नहीं बेची हैं।

कर्ज में फंसे किसान भी कपास-गेहूं फसल के अधिक भाव मिलने की उम्मीद में फसल नहीं बेच रहें हैं। प्याज की फसल को तो फेंकने जैसी स्थिति बनी हुई है।

भारतीय किसान संघ के प्रांत महामंत्री रमेश दांगी और श्याम सिंह पंवार ने बताया कि कमरतोड़ मेहनत करके कपास, गेहूं, प्याज, चना आदि की फसल लेने वाले किसानों को बाजार में उपज के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं।

किसान संघ के प्रांतीय अधिकारी श्याम सिंह पंवार इसके लिए व्यापारी और कॉर्पोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की सरकार की नीति को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार की मनमानी से किसानों का अहित करने वाली नीतियां हावी हैं।

उन्होंने बताया कि इसके खिलाफ एक बार फिर किसान आंदोलन के लिए मजबूर हो गए हैं। किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में आंदोलन की रूपरेखा बन गई है।

संघ के प्रांत संगठन मंत्री अतुल माहेश्वरी और श्याम सिंह पंवार ने बताया कि

मालवा प्रांत में तहसील से लेकर जिला स्तर तक आंदोलन किए जायेंगे। आगामी 17 मार्च को जगह-जगह आंदोलन करके 108 तहसीलों में और जिला स्तर पर सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया जायेगा। फसलों के लाभकारी दाम उपलब्ध कराने की मांग के साथ सरकार को ज्ञापन दिए जाएंगे। चूंकि गेहूं के साथ कपास, प्याज, आलू की फसल मालवा- निमाड़ में बड़े पैमाने पर होती है इसलिए इस क्षेत्र के किसान पहले पहल आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं। मालवा-निमाड़ के 18 जिलों में एक साथ किसान गर्जना करेंगे। आगामी 17 मार्च को यह आंदोलन होगा।

माहेश्वरी और पंवार ने बताया कि

केंद्र सरकार ने किसानों का अहित करने वाले फैसले लिए हैं। बजट में केंद्र और राज्य दोनों ने जहां खेती-किसानी की पूरी तरह उपेक्षा की हैं। वहीं कपास की फसल आते ही विदेशो से कपास की खरीदी का रास्ता खोल दिया। विदेशी कपास सस्ते दाम पर व्यापारी खरीद सके इसके लिए इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी। इससे देश के किसानों को कपास के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। किसानों को कपास का मूल्य अपेक्षा से 3 से 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहा है। उम्मीद थी कि कपास का मूल्य 10 से 11 हजार रुपये क्विंटल रहेगा। यदि सरकार आयात पर तत्काल रोक लगा दे तो किसानों को फायदा हो सकता है। इन सभी विषयों को लेकर भारतीय किसान संघ मालवा प्रांत की बैठक हाल ही में आयोजित हुई।

माहेश्वरी ने बताया कि

भारतीय किसान संघ की स्थापना काल से मान्यता रही है किसानों को उपज का लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिले। इसको लेकर भारतीय किसान संघ लगातार प्रयास करता रहता है। इसी तारतम्य में प्रांत अध्यक्ष रामप्रसाद सूर्य की अध्यक्षता में बैठक हुई।

बैठक में योजना बनाई गई कि प्रत्येक तहसील और जिले के कार्यकर्ता “मेरा गांव मेरे दो गांव” गोद लेने के संकल्प सूत्र को लेकर किसानों को संगठित करने के काम को आगे बढ़ाएंगे। 4 मार्च से 4 अप्रैल तक यह कार्य पूर्ण करने की योजना बनाई गई है।

आगामी 8 अप्रैल को अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र का प्रवास मालवा प्रांत में रहेगा। उस समय तक यह कार्य पूर्ण करना हैं। प्रांतीय महामंत्री रमेश दांगी ने कहा कि किसान एकजुट होंगे तो सरकारें झुकेंगी।

इस अवसर पर प्रदेश संयोजिका गिरिजा देवी, प्रदेश मंत्री नारायण यादव, प्रांत उपाध्यक्ष डूंगर सिंह रेवाराम, दयाराम पाटीदार, प्रांत मंत्री भारत सिंह बेस, प्रांत मंत्री शांतिलाल शर्मा, प्रांत कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पटेल, कार्यालय मंत्री सीताराम प्रजापत, आनंद आंजना, युवा वाहिनी धर्म चंद गुर्जर, प्रांत प्रचार प्रमुख गोवर्धन पाटीदार मौजूद थे।



Related