किसान आंदोलनः सरकार के रवैये से तंग आकर एक और किसान ने दी जान


उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन में अब तक डेढ़ सौ से भी ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से कई ने आत्महत्या कर सरकार का विरोध किया तो बहुत से कड़ी सर्दी में प्रदर्शन स्थल के हालातों के आगे हार गए।  


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उनकी बात Published On :

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन कर रहे एक और किसान ने आत्महत्या कर ली। हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर पचास साल के करमबीर सिंह ने फांसी लगाकर जान दे दी। उन्होंने अपने पीछे एक सुईसाइड नोट भी छोड़ा है। जिसमें लिखा है कि उन्होंने केंद्र सरकार के रवैये पर दुख जताया है। इस सुईसाइड नोट में उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भी ज़िक्र किया है।

उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन में अब तक डेढ़ सौ से भी ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से कई ने आत्महत्या कर सरकार का विरोध किया तो बहुत से कड़ी सर्दी में प्रदर्शन स्थल के हालातों के आगे हार गए।

प्रदर्शन स्थल पर शनिवार रात जींद के रहने वाले करमबीर सिंह ने फांसी लगा ली।  उन्होंने अपने सुईसाइड नोट में लिखा है…

“भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद, प्यारे किसान भाइयों ये मोदी सरकार तारीख पे तारीख देता जा रहा है , इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे, जब तक काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे.”

इससे पहले 19 जनवरी को रोहतक के पाकस्मा निवासी जयभगवान राणा ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।  इससे पहले 27 दिसंबर 2020 को पंजाब के फाजिल्का के जलालाबाद बार एसोसिएशन के सदस्य वकील अमरजीत ने पीएम के नाम पत्र लिखकर जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। इससे पहले कई दूसरे किसानों ने भी आत्महत्या की थी।

किसानों की मौत और आत्महत्या का मुद्दा संसद में भी उठ चुका है। यहां जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने की मांग की थी तो उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया था।



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