किसान पर दोहरी मार, मेहनत का पैसा हाथ आने से पहले ही काट ले रहीं सोसायटियां


किसान कह रहे है कि लॉकडाउन में अभी घर चलाना दुश्वार हो रहा है और सोसायटी कर्ज़ के पैसे हाथ में आने से पहले ही काट रही है। महामारी में उनके पास पैसा नही है। पैसा बचाना भी ज़रूरी है क्योंकि अगर रोग पकड़ा तो इलाज के लिए लाले पड़ जाएंगे।  


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Updated On :

धार। कोरोना वायरस की मार हर ओर पड़ी है।  इनमें किसानों की परेशानी कुछ और बड़ी है। किसानों ने हालही में सर्मथन मूल्य पर अपना गेहूं बेचा है। जिन किसानों पर सोसायटी का ऋण बकाया है। उनसे समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के बाद  बिल पर ही खातों से पैसा काटा जा रहा है।

किसानों के मुताबिक उनसे इस ऋण राशि की कटौती को दोबारा ऋण के ही रूप में देने की बात जा रही है। लेकिन कर्ज कब मिलेगा यह  फिलहाल साफ नहीं है। ऐसे में अगली फसल की योजनाएं भी धूमिल नज़र आ रही हैं।

जिले में सोसायटियों के डेढ़ लाख से अधिक सदस्य हैं। इनमें वित्तीय वर्ष 21-22 रबी-खरीफ गेंहू ख़रीदी में 5 हजार 263 किसानों से 48 करोड़ 26 लाख रूपए की ऋण वसूली करना है।

सरकार के निर्देश है कि 30 अप्रैल तक बैंक ऋण वसूली नहीं करेंगे। वहीं दूसरी तरफ बैंक इस मौके का फायदा उठाने में लगी हुई है।

जिन किसानों की राशि बैंक खातों में डाली जा रही है, वहां से कटौती भी शुरु हो गई है। अधिकारियों की दलील है कि यह कटौती स़ॉफ्टवेयर के कारण हो रही है।

सीएम ने भी 31 अप्रैल तक वसूली करने के लिए कहा था लेकिन इन हालातों में किसानों को उम्मीद है कि यह तारीख़ दोबारा आगे बढ़ाई जाएगी।

किसान कह रहे है कि लॉकडाउन में अभी घर चलाना दुश्वार हो रहा है और सोसायटी कर्ज़ के पैसे हाथ में आने से पहले ही काट रही है। महामारी में उनके पास पैसा नही है। पैसा बचाना भी ज़रूरी है क्योंकि अगर रोग पकड़ा तो इलाज के लिए लाले पड़ जाएंगे।

अनारद के किसान यशवंत मांगीलाल ने सोमवार 43 क्विंटल गेहूं लेकर आदिम जाति सेवा सहकारी समिति तोरनोद के माध्यम से सॉयलो केंद्र पीपलखेड़ा में बेचा था।

सरकारी भाव 1975 प्रति क्विंटल के हिसाब से 84 हजार रुपए का भुगतान किसान यशवंत को सोसायटी के बैंक खाते में हुआ। वहीं केंद्र पर लोगों से पता चला कि बिल बनाया तो सोसायटी की ऋण वसूली के नाम पर कटौती हो जाएगी।

वहीं अनारद के गोपाल पटेल ने भी 30 क्विंटल गेंहू बेचे हैं । उनके पास साठ हज़ार रुपये आने थे लेकिन सोसायटी का पैसा कट गया। हालांकि अभी भी उनके पास पैसे जमा करने के लिए 31 अप्रैल तक का समय था।  किसान यशवंत व गोपाल ने बताया कि मेहनत का पैसा हाथ में आने से पहले ही ऋण की किश्त कट गई।

 

यह है दर्द…  भारतीय किसान संघ के महेश ठाकुर ने बताया कि किसान सालभर का अनाज और जरूरी सामान अक्षय तृतीया के पहले फसल बेचकर खरीद लेता है। सोयाबीन की बोवनी के लिए भी आवश्यकतानुसार बीज और कीटनाशक ले लेता है।

फिलहाल कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा चिंता राशन की है, राशि कटौती के कारण राशन महंगा है और राशि कटौती के कारण किसान सालभर का राशन नहीं ले पा रहा है। इस कोरोना बीमारी में कब पैसे की आवश्यकता आ जाए पता नही इसी लिए किसान के नगद की आवश्यकता है

 

 ऋण वसूली की तारीख़ आगे को लेकर मुख्यमंत्री जी से चर्चा हुई है। प्रदेश के किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जायेगी।

कमल पटेल, कृषि मंत्री, मप्र शासन

 



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