किसान कैसे बनाएं खेती को लाभ का धंधा, मंडियों में गेहूं की फसलों के दाम ही नहीं


गेहूं के भाव गिरने से किसानों को नुकसान, 2 हजार से 23 सौ रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा गेहूं।


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wheat in mandi

धार। एक ओर सरकार अपने भाषणों में किसानों की आय व आधुनिक खेती की बात करती है तो दूसरी तरफ किसानों को अपनी उपज का भाव नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री जहां एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं लाकर उन्हें लाभांवित करने का काम कर रहे हैं तो दूसरी ओर मंडियों में किसानों की उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है।

15 दिन 20 दिन पहले गेहूं 2500 से 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा था, वह आज 2 हजार से 23 सौ रुपये तक रह गया है। जैसे ही किसानों का गेहूं मंडी आ रहा है वैसे-वैसे मंडियों में गेहूं के दाम गिरते जा रहे हैं।

गेहूं के भाव गिरने से नुकसान –

बाजार में गेहूं के भाव गिरने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। कृषि मंडी में सोमवार को गेहूं का मॉडल भाव 2260 रुपये और अधिकतम 2738 रुपये प्रति क्विंटल रहा। न्यूनतम भाव 1800 रुपये दर्ज हुआ है।

मंडी में 15 दिन पहले तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल रहा। निर्यात रोक की सूचना से भाव गिर गए। किसानों को सूचना मीडिया अखबारों के माध्यम से मिली कि निर्यात पर रोक लग गई है इसकी सूचना मिलते ही बाजार में गेहूं के भाव में हर रोज उतार-चढ़ाव हो रहा है।

जिले में समर्थन मूल्य पर पिछले दो साल से लगातार 3 लाख 30 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हो रहा। बीते सीजन यानी वर्ष 2022-23 में गेहूं का भाव बाजार में अच्छा मिलने से किसानों ने समर्थन मूल्य से किनारा कर लिया था।

समर्थन मूल्य पर 70 हजार मीट्रिक उपार्जन हुआ। चालू सीजन यानी वर्ष 2023-24 के उपार्जन की तैयारी चल रही है। मंडी में भाव 500-600 रुपये कम हो गए। किसानों को मंडी व उपार्जन केंद्र पर गेहूं बेचने से करोड़ों रुपये की चपत लगेगी जिससे किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

ऐसे समझें नुकसान का गणित –

गेहूं का भाव औसत 500-600 रुपये प्रति क्विंटल कम हुआ। वर्ष 2021-22 में उपार्जन की मात्रा 3 लाख से अधिक गेंहू केंद्रों पर तुलाई की थी। वही आज मंडी में गेहूं के भाव 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल का औसत गिर गया जिससे किसानों का नुकसान सामने दिख रहा है।

किसान आज कम भाव मे अपनी उपज मंडियों में बेचने को मजबूर है। दूसरी ओर सरकारी केंद्रों में गेहूं का पंजीयन हो रहा है। सरकार की खरीदी अप्रैल तक शुरू होगी। जब बाजार से आधा गेहूं मंडियों में किसान कम भाव मे बेच देंगे। शासन का भाव भी 2125 रुपये हैं जो किसानों को घाटे का सौदा साबित होगा।

पिछले साल सरकारी भंडार खाली रह गए थे –

पिछले साल सरकारी खरीदी का समर्थन मूल्य 2015 रुपये था। किसानों ने मंडियों में दाम ज्यादा होने से वहीं बेचा क्योंकि पिछली बार रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते विदेशों में गेहूं की मांग बढ़ने से मंडी में किसानों को अच्छे दाम मिले थे।

नतीजा यह रहा था कि पंजीयन कराने वाले 41 हजार 712 किसानों में से महज 7 हजार किसानों ने शासन को 70 हजार मीट्रिक टन गेहूं बेचा था। किसानों का रुख मंडियों की ओर था जिसके कारण गेंहू मंडी में ज्यादा बिक्री हुई।

हालांकि इस साल 110 रुपये बढ़ाकर भाव 2125 रुपये तय किए गए हैं। इसके बावजूद 6 फरवरी से शुरू हुई पंजीयन प्रक्रिया में अब तक 23 हजार 599 किसानों ने ही पंजीयन कराया है।

जिला आपूर्ति अधिकारी एसएम मिश्रा ने बताया कि जिले में 109 किसान पंजीयन केंद्र बनाए गए हैं। किसान स्वयं के मोबाइल से घर बैठे भी पंजीयन कर सकते हैं। 28 फरवरी तक पंजीयन होना है। ऐसे में किसान समीप के केंद्रों पर पहुंच कर पंजीयन करा सकते हैं। शासन द्वारा पंजीयन की तारीख बढ़ा कर 5 मार्च तक कर दी गई है।

पिछले सालों में सरकारी गेहूं खरीदी की स्थिति – 

वर्ष केंद्र किसान खरीदा गेहूं

2017 82 6952 407439.25

2018 83 19339 1862933.50

2019 83 18607 1345559.50

2020 84 5610 366064.44

2021 109 34803 3564002.18

2022 109 41712 704360

मंडी में ऐसे बढ़ने लगी गेहूं की आवक –

तारीख अ .भाव न्यू. भाव आवक

21 फरवरी 2560 1920 7604

22फरवरी 2492 1860 8816

23 फरवरी 2598 1870 7825

24 फरवरी 2626 1886 10347

27 फरवरी 2738 1800 12821

गलत नीतियों से सही मूल्य नहीं मिल रहा –

केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों को न्यूनतम मूल्य भाव भी नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार को किसानों का गेहूं निर्यात करना चाहिए। आज सरकार जब किसानों का गेहूं आता है तो आयात कर लेती है। गलत नीतियों के कारण 7 मार्च 2023 भोपाल में एक बड़ी बैठक रखी गई है। इसमें निर्णय लिया जाएगा और आंदोलन की रूपरेखा बनाई जाएगी। – अमोल पाटीदार, जिला भारतीय किसान संघ, धार

किसान क्या करे, माल तो बेचना मजबूरी है –

किसान क्या करे। किसानों की उपज पकाकर बेचना ही रह गई है। शासन की नीतियों के चलते हर बार जब किसानों के घर में गेहूं आता है और मंडियों तक जाते-जाते भाव कम हो जाते हैं। जो गेहूं 15 से 20 रोज पहले 3 हजार में बिक रहा था आज वह 21 से 23 सौ तक बिक रहा है। इससे किसानों को घाटा उठाना पड़ेगा। किसान तो हर तरह से घाटे का व्यापार करता है। इस बार उम्मीद थी की गेहूं के भाव रहेंगे पर सरकार ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। – कालू सिंह डोडिया, किसान, अनारद



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