प्याज की कीमतें फिर गिरीं, सरकार द्वारा निर्यात पर रोक लगाने से परेशान हैं किसान


कुछ दिनों तक प्याज की कीमतें काफी उपर रहीं जिससे उपभोक्ता परेशान हुए, सरकार के पास फिलहाल इस परिस्थिति से लड़ने का कोई विकल्प नहीं


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उनकी बात Published On :

कुछ महीनों पहले टमाटर की बढ़ी हुई कीमतों ने उपभोक्ताओं का काफी परेशान किया। यह स्थिति करीब दो-तीन महीने तक बनी रही और फिर इसके बाद प्याज की कीमतें बढ़ीं जो फुटकर बाजार में करीब 80-100 रु प्रति किलो तक गईं लेकिन अब एक बार फिर प्याज के दामों में गिरावट आई है। अब प्याज 30-50 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। उपभोक्ता जहां इससे खुश हैं तो वहीं प्याज उगाने वाले किसान इससे नाराज़ हैं उनके मुताबिक उन्हें फसल का कुछ हद तक दाम मिला था लेकिन सरकार के एक फैसले ने इस मुनाफे को भी रोक दिया है।

दरअसल बीते महीनों में जब प्याज के दाम बढ़े तो बाजारों से लेकर आम उपभोक्ताओं के घरों तक में महंगाई को लेकर चिंताएं फिर बढ़ने लगीं। इस दौरान सरकार ने कुछ क्षेत्रों में सब्सिडी वाला प्याज भी दिया लेकिन मांग के सामने यह आपूर्ती मांग के सामने बेहद कम साबित हुई और इस सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद  सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी और प्याज के दाम वापस नीचे आ गए। अब बाजार में प्याज के दाम भले ही एक औसत स्थिति में हों लेकिन किसानों को इससे कोई खास फायदा नहीं हो रहा है। प्याज उत्पादक कई किसान बताते हैं कि उनसे प्याज की खरीदी 15-20 रुपए किलो तक में ही हो रही है जबकि प्याज की लागत करीब 12-15 रुपए प्रति किलो होती है और इसके बाद उनकी मजदूरी, रखरखाव, प्याज में हुई खराबी को जोड़ दिया जाए तो यह दोगुनी तक हो जाती है और ऐसे में अगर वे अपनी फसल निर्यात भी नहीं कर पाएंगे तो उनके लिए स्थितियां बिगड़ जाएंगी।

रतलाम के किसान कुशल पाटीदार बताते हैं कि उनकी कुल उत्पादित प्याज में से करीब आधी से ज्यादा रखने वजन कम होने और खराब होने में कम हो जाती है। इसके बाद उन्हें बाजार में अच्छे दाम तलाशने होते हैं। प्याज के मामले में अच्छे दाम मिलना आसान नहीं है यह सरकार के फैसलों पर निर्भर करता है। वे बताते हैं कि सरकार को चाहिए कि कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि लोगों को प्याज कम दाम पर मिले और किसानों की लागत कम हो ताकि उन्हें भी लाभ मिल सके।

पाटीदार बतााते हैं कि उन्होंने अपनी प्याज केवल कुछ ही दिनों तक अच्छे दाम पर बेची है और अब एक बार फिर वे 15 रु किलो में देने को मजबूर हो गए हैं। प्याज उत्पादक किसान दरियाव पाटीदार एवं प्रभु पाटीदार ने बताया कि प्याज उत्पादक किसान रबी और खरीफ की दोनों फसलें नहीं ले पाते। ऐसे में उनके लिए प्याज ही एकमात्र सहारा है और ऐसे में उन्हें सही दाम मिलना जरूरी है।

कृषक जगत  के मुताबिक इस महीने के मंडी रेटों को देखा जाये तो प्याज की कीमतों में पिछले महीने की तुलना में वृध्दि देखने को मिली हैं। अगर दोनो महीने के प्याज की औसत कीमतों की तुलना की जाये तो पिछले महीने यानि नवंबर 2023 में और इस महीने यानि दिसंबर 2023 में 13 प्रतिशत की औसत गिरावट दर्ज की गई हैं।

इस महीने, पिछले महीने की तुलना में प्याज के मंडी रेटो में सबसे अधिक गिरावट गुजरात में 32.59 प्रतिशत हुई हैं। गुजरात में पिछले महीने (नबंवर 2023) प्याज की औसत कीमत 3295 रूपये प्रति क्विंटल थी, जोकि इस महीने (दिसंबर 2023) घटकर 22,21 रूपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। वही इस महीने, पिछले महीने की तुलना में सबसे कम गिरावट मणिपुर में 0.29 प्रतिशत हुई हैं। मणिपुर में पिछले महीने (नवंबर 2023) प्याज की कीमत 71,31रूपये प्रति क्विंटल थी जोकि इस महीने (दिसंबर 2023) घटकर 71,10 रूपये प्रति क्विंटल हो गई हैं।

प्याज का निर्यात रोके जाने से किसान परेशान हैं। खंडवा जिले से  भारतीय किसान संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख गोवर्धन पाटीदार ने बताया की अगर केंद्र सरकार ने जल्द ही निर्यात नहीं खोला तो किसान आंदोलन करेंगे। किसानों ने खंडवा  कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया है। पाटीदार बताते हैं कि इन परिस्थितियों में सुधार नहीं किया गया तो किसान परेशान होकर प्याज बोना ही बंद कर देंगे।

 



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