मंडियों में लागत से भी कम हैं प्याज के दाम, परेशान हैं किसान


मंडी में जो दाम मिल रहे हैं उन पर किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है।


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उनकी बात Updated On :
दाम न मिलने के कारण प्याज को गोदाम में रखा जा रहा है।


इंदौर। क्षेत्र में इस बार प्याज का अच्छा उत्पादन हुआ है लेकिन किसान इन दिनों परेशान हैं। परेशानी की वजह प्याज का सही दाम न मिलना है। किसानों को इन दिनों प्याज का दाम करीब 6-8 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल रहा है। किसानों का कहना है कि यह दाम ऐसा है कि इससे फसल की लागत भी नहीं निकल रही है। अब मजबूरी ऐसी हो है कि किसानों का खर्च और बढ़ रहा है।

महू तहसील के गवलीपलासिया गांव के किसान सुभाष पाटीदार ने अपनी करीब दस बीघा जमीन पर प्याज लगाई थी और उन्हें इस बार अच्छा उत्पादन हुआ है। वे बताते हैं कि उन्हें प्रतिबीघा करीब 18 टन तक प्याज उत्पादन मिला है और यह सबसे शानदार उत्पादन है। ऐसे में उन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद थी लेकिन फिलहाल के परिदृश्य में  ऐसा नहीं लगता।

दरअसल इंदौर मंडी में प्याज का दाम करीब 6-8 रुपये किलोग्राम के हिसाब से ही चल रहा है जबकि सुभाष पाटीदार बताते हैं कि उनक उत्पादन की लागत करीब 10-11 रुपये तक रही है। ऐसे में उन्हें प्रतिकिलोग्राम करीब चार से पांच रुपये का नुकसान हो रहा है। ऐसे में किसान परेशान है। यही हाल इलाके के दूसरे किसानों का है।

पाटीदार बताते हैं कि वे इस नुकसान के लिए तैयार नहीं है और ऐसे में वे अपनी प्याज गोदाम में रख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अलग से कर्ज लिया है और अगल दो तीन महीनों तक वे इस खास तौर पर प्याज के लिए बनाए गए इस गोदाम में ही प्याज रखेंगे। इसके बाद उम्मीद है कि प्याज का दाम बढ़ेगा और उन्हें फायदा न सही तो लागत तो निकल पाएगी।

इलाके के कई किसान अपनी प्याज इसी तरह से रख रहे हैं। उनके मुताबिक दो-तीन साल पहले तक प्याज की लागत करीब 8-9 रुपये प्रति क्विंटल थी लेकिन अब खाद, बीज और डीजल के दाम बढ़ने से लागत महंगी हो रही है और बाजार में इसके आसपास भी दाम नहीं मिल रहे हैं। यही वजह है कि किसानों को घाटा हो रहा है।

एक अन्य किसान बलराम पाटीदार बताते हैं कि उनके खेतों में भी इस बार अब तक का सबसे अच्छा प्याज हुआ है लेकिन दाम नहीं है। ऐसे में वे भी प्याज गोदाम में रख रहे हैं। बलराम बताते हैं कि गोदाम में प्याज रखने का नुकसान ये है कि दो-तीन महीने बाद जब प्याज निकाला जाएगा तो उसका वजन करीब दस से बीस प्रतिशत तक कम हो जाता है तो दस-बीस प्रतिशत का सीधा नुकसान हो जाता है।

खेतों से निकल रहा है प्याज

यहीं के महेश पाटीदार बताते हैं कि वे भी प्याज मंडी में न ले जाकर गोदामों में रख रहे हैं लेकिन तय नहीं कि दो-तीन महीने बाद इनका क्या दाम होगा। ऐसे में गोदामों में रखना भी लाभप्रद नहीं है। पाटीदार  कहते हैं कि भावांतर योजना जैसी योजनाओं की जरुरत है लेकिन दो साल से इसके बारे में सोचा नहीं जा रहा है।

 

 



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