फ्लाय ऐश से निर्माण के नियम के बाद पंरपरागत ईंट बनाने वाले परिवार संकट में…


ये लोग अमूमन नदियों के आसपास की ज़मीनों पर रेतीली मिट्टी  और पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर ईंट भट्टा लगाते हैं।


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नरसिंहपुर। आने वाले कुछ वर्षों में परंपरागत ईंट निर्माण और उसके व्यवसाय में जुड़े लोगों को अस्तित्व और आर्थिक संकट से जूझना पड़ सकता है।

सरकारी योजनाओं के अंतर्गत भवनों या निर्माण कार्यों के लिए फ्लाय ऐश की ईंटों का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। इस कदम से पारंपरिक ईंट भट्टा संचालकों को नुकसान होगा।

इनमें से ज्यादातर ईंट निर्माता काफ़ी छोटे पैमाने पर काम करते हैं लेकिन इस काम से काफ़ी लोगों को रोज़गार मिलता है।

सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले भवनों के निर्माण के लिए फ्लाय ऐश ईटों का उपयोग किया गया अनिवार्य कर दिया गया है।  इसके लिये आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।

इस आदेश के अनुसार संधारण कार्य को छोड़कर सभी सरकारी योजनाओं के भवन निर्माण जैसे मनरोगा, स्वच्छ भारत अभियान, शहरी एवं ग्रामीण आवास योजनाओं के तहत बनने वाले निर्माण जहां संनिर्मित क्षेत्र एक हजार वर्गफुट से अधिक है और अवसंरचना संबंधी संनिर्माण में, जिसके अंतर्गत अविहित औद्योगिक संपदाओं या पार्कों या विशेष आर्थिक ज़ोन के भवन निर्माण के लिये फ्लाय- ऐश ईंटों का उपयोग अनिवार्य किया है। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।

ज़िले में करीब दस-बारह गांवों में बहुत से ग्रामीण ईंट बनाने का काम करते हैं। ये लोग अमूमन नदियों के आसपास की ज़मीनों पर रेतीली मिट्टी और पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर ईंट भट्टा लगाते हैं।

इसकाम में पहले के मुकाबले काफी कमी आ चुकी है लेकिन अब भी बहुत से लोग इस काम पर निर्भर हैं। एक जनकारी के मुताबिक यहां के करीब चार से पांच सौ परिवार रोजी-रोटी के लिये इस काम पर निर्भर हैं।

फ्लाय ऐश ईंटों के कई लाभ हो सकते हैं लेकिन इनकी कीमत सामान्य ईंटों से कुछ ज्यादा है। मिट्टी से बनने वाली ईंट जहां चार हज़ार रुपये में एक हज़ार ईंटें आती हैं तो वहीं फ्लाय ऐश ईंट छह हज़ार रुपये प्रति ईंट के हिसाब से मिलती है।

 

फ्लाय ऐश ईंट को सरकारी निर्माण कार्यों में ज़रूरी बनाए जाने से पहले ग्रामीणों को इस बारे में प्रशिक्षण दिया जाता और इन्हें व्यवसाय शुरु करवाने में मदद की जाती तो और शायद इन परिवारों के लिए बेहतर हो सकता था।

कैसे पालेंगे परिवार…

जिले में पारंपरिक रुप से  ईंट निर्माण या व्यवसाय का काम करने वाले परिवारों के सामने फ्लायऐश के उपयोग को बढ़ावा मिलने से आर्थिक संकट रहेगा। वैसे फ्लाय ऐश ईंट सीमेंट व कोयले की राख आदि से बनती है जिनकी उम्र ज्यादा नहीं होती। सरकार को भी ऐसे परिवारों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

सुनील प्रजापति, नरसिंहपुर
 
सरकार करे व्यवस्था…

फ्लाय ऐश ईंट को बढ़ावा मिलने से परंपरागत ईंट बनाने वालों के व्यवसाय पर अंतर तो आएगा ही। कामकाज पर तो असर रहेगा शासन कुछ व्यवस्था करे ताकि ऐसे परिवारों को घाटा न हो।

फूलसिंह नौरिया, ग्राम बेलखेड़ी नरसिंहपुर



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