महेश्वर-कसरावद में खासगी की 102 संपत्तियों पर प्रशासन ने लिया आधिपत्य

अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
महेश्वर में नर्मदा किनारे होलकर राजवंश के किले का एक दृश्य


इंदौर। होलकर राजवंश की विरासत को संभालने वाले खासगी ट्रस्ट पर आए हाईकोर्ट के तल्ख फैसले के बाद अब कार्यवाही तेज हो चुकी है। गुरुवार को खरगोन जिला प्रशासन ने खासगी ट्रस्ट की देखरेख में आने वाली 102 संपत्तियों को अपने आधिपत्य में ले लिया है। इनमें से एक 101 संपत्तियां होलकरों की राजधानी रहे महेश्वर में हैं तो वहीं 1 संपत्ती पास ही कसरावद इलाके में है। शासन के इस कदम के बाद आने वाले दिनों में बहुत से लोग उन होलकर राजवंश से जुड़ी उन जगहों तक भी पहुंच सकेंगे जहां अब तक उनका प्रवेश वर्जित था। गुरुवार को महेश्वर एसडीएम संघप्रिय ने कलेक्टर अनुगृहा पी के निर्देशों पर खासगी ट्रस्ट की इन संपत्तियों को शासन के आधिपत्य में लेने की कार्यवाही की है।

शासन के आधिपत्य में आने वाली इन संपत्तियों में 6 धर्मशालाएं, 24 मंदिर और 12 छतरियां, नर्मदा तट पर बने कुछ घाट आदि शामिल हैं। खासगी ट्रस्ट के पास अभी नीमच और मंदसौर जिलों में भी कई संपत्तियां हैं जिनमें से कुछ को बेचे जाने की तैयारी थी।

इस बीच इंदौर में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ यानी ईओडब्लू ने भी जांच तेज कर दी है। जांच के आदेश मिलने के बाद इस जांच एजेंसी ने खासगी ट्रस्ट को पत्र लिखकर 18 बिंदुओं पर जानकारियां मांगी हैं। ट्रस्ट ने अब तक अपनी ओर से दो सौ से अधिक संपत्तियों के बारे में एजेंसी को जानकारी दे दी है। बताया जाता है इस जांच में कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं क्योंकि ट्रस्ट में बहुत से सरकारी अधिकारी भी शामिल थे ऐसे में संपत्तियों को बेचे जाने के समय उनकी भूमिका भी संदिग्ध रही है। वहीं भोपाल में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की अध्यक्षता में भी एक कमेटी इस बारे में जांच कर रही है। इसे लेकर इंदौर से कई फाइलें भोपाल बुलाईं गईं हैं। इस स्तर पर ट्रस्ट की संपत्तियों की देखरेख के लिए एक नई योजना पर भी विचार चल रहा है। इसके बाद प्रदेश और इससे बाहर खासगी ट्रस्ट की कई संपत्तियों को प्रदेश शासन अपने कब्जे में ले सकता है।

 

 



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