मंडी में नहीं मिल रहे सोयाबीन के भाव, उतार-चढ़ाव से घटी आवक


दिसम्बर में दो हजार से तीन हजार बोरी की रही आवक किसान नहीं ले रहे उपज बचने में रुचि


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

किसानों ने सोयाबीन का भंडारण कर रखा था, उन्हें उम्मीद थी कि दिसम्बर अंत मे ओर भाव आएंगे मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं वहीं मावठे की बारिश होने पर दाम में बढ़ोतरी की उम्मीद थी मगर यह भी नहीं हुआ, अब कीमतों में बढ़ोतरी की जगह गिरावट ही दर्ज हो रही है।

अब किसान सही भाव नहीं मिलने को लेकर कम दाम में ही उपज बेचने को मजबूर हैं। किसानों को भाव बढ़ने का इंतज़ार है।

सोयाबीन की फसल में गत दिनों से भाव कम होने से चिंता बढ़ती जा रही है। पहले ही इस वर्ष सोयाबीन की फसल में उत्पादन कम होने से किसानों को लागत भी पूरी नहीं मिली थी। ऐसे में भावों में कमी के कारण अब किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

जिले में किसानों की प्रमुख व्यवसायिक फसल सोयाबीन ही है। लेकिन गत वर्षों से फसल के उत्पादन में लगातार कमी हो रही है। वहीं गत दो वर्ष के भावों में भी कमी ही रह रही है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

दो महीने पहले भाव पांच हजार रुपए प्रति क्विंटल से अधिक हो गए थे। लेकिन अब भाव 45 सो रुपए से कम हो गए है। हालांकि अब एक बार फिर भाव बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।

मंडी में यह रहे भाव:

सोयाबीन के भावों में गत दो महीनों से कमी बनी हुई है। सोयाबीन के भाव चार हजार से 4800 रुपए प्रति क्विंटल तक रह गए है। वहीं अन्य मंडी में भी सोयाबीन के भावों में कमी है । जिले की सबसे बड़ी अनाज मंडी धार में सोयाबीन की बेचवाली कम हो गई है। जानकारों के अनुसार नवंबर में दीपावली के बाद मुहूर्त सौदे के दूसरे दिन सोयाबीन के भाव 7 हजार से 8 रुपए तक पहुंच गए थे। लेकिन उसके बाद से निरंतर ‘भावों में कमी आई और सोयाबीन के दाम जैसे अस्थिर रहे। यही कारण है कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में ड्राइवर की हड़ताल से मंडी में आवक ना के बराबर रही। अभी भाव 4500 रुपए हैं।

पूरे साल होती है आवक:

धार अनाज मंडी में वैसे पूरे साल मोटे अनाज के रूप में सोयाबीन, मक्का सहित मटर, चना व मसूर की खरीदी होती। वहीं सोयाबीन का सीजन अक्टूबर से आरंभ होकर मई-जून तक चलता है लेकिन इस बार पैदावार कम होने से आवक भी कम हो रही है।

किसानों को मिले उपज का सही मूल्य:

किसान राजू चौधरी ने बताया कि कई वर्षों से किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए कई वर्षों से किसान वर्ग संघर्ष कर रहा है। लेकिन कोई भी सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। सभी फसलों को इस प्रकार से समर्थन मूल्य घोषित किया जाए, जिससे किसानों को उनकी मेहनत मिल सके। इसके लिए किसानों को एकजुट होना होगा।

किसानों रतनलाल यादव का कहना है। अभी स्टॉक में सोयाबीन है और मंडियों में भाव नहीं है। जिसके कारण किसान उपज मंडी में नहीं ले जा रहे हैं वहीं चुनावी साल होने के बाद भी किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। दो-तीन महीने बाद लोकसभा चुनाव है उसके बाद भी अभी भी किसानों को अपनी उपज के भाव के लिए सरकार की ओर ताकना पड़ रहा है वहीं पिछले तीन माह से सोयाबीन 5 हजार के अंदर ही बिक रही है किसानों को उम्मीद है कि कभी जनवरी में भाव बढ़ जाए

वही इस वर्ष सितंबर में अत्यधिक बारिश के कारण सोयाबीन की उपज प्रभावित हुई थी। पैदावार कम होने से अच्छे भाव मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी प्रकार मक्का के भाव भी उम्मीद के अनुरूप नहीं मिल पा रहे है।

भाव बढ़ने की उम्मीद…

 

अभी ड्राइवर की हड़ताल के कारण मंडी में आवक कम हो रही है वहीं पिछले कुछ दिनों से सोयाबीन के साथ अन्य फसलों में भाव की कमी देखने को मिली है अभी भाव स्थिर है, आने वाले दिनों में उपज के भाव बढ़ने की उम्मीद है

केके नरगावे, सचिव, मंडी, धार

 

 

पांच दिन की उपज की स्थिति:

दिनांकवार सोयाबीन गेंहू आवक

2 जनवरी 4710 2650 2464

1 जनवरी 4760 2630 4237

30 दिसम्बर 4810 2680 4176

29 दिसम्बर 4780 2570 7666

28 दिसम्बर 4790 2580 8664

 

 

तीन महीनों की आवक टन में

फसल अक्टूबर नंबवर दिसंबर

सोयाबीन 182692 180889 172934

गेहूं 53189 71295 40102

डालर चना 2325 1709 1272

मक्का 2166 10236 5496

देशी चना 659 830 670



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