किसानों की मेहनत को पैरों तले रौंद रहे नीलगाय, फसलें कर रहे बर्बाद


नीलगायों से त्रस्त किसानों बताते हैं कि नीलगायों को भगा देते हैं, लेकिन कुछ समय बाद वे पुन: लौट आते हैं। ऐसे में समझ में नहीं आ रहा कि क्या उपाय किया जाए।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
nilgai trampling crops

धार। जहां एक तरफ किसान लगातार प्रकृति की मार का सामना कर रहे हैं, तो वहीं आये दिन इलाके में नीलगाय के आतंक से जूझना पड़ रहा है। झुंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं।

ठंड के कारण किसान जहां रखवाली करने में मुस्तैद नहीं रह पा रहे हैं जिसका लाभ नीलगाय उठाने में लगे हैं। बता दें कि खाली मैदान छोड़कर खेतों में पहुंच रहे नीलगाय द्वारा फसल नष्ट कर दिए जाने से ग्रामीण व किसान काफी परेशान हैं।

अगर आज किसानों व उनकी फसलों को अधिक चोट पहुंचा रहा है तो वे हैं नीलगाय, मगर इसपर पर कोई नियंत्रण नहीं है। नीलगाय गेहूं, मक्का, लहसुन, नर्सरी से लेकर सब्जी व अन्य की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

किसानों के लिए फसल बचाना मुश्किल हो गया है। खेतों में एक साथ 40 से 50 नीलगाय झुंड बनाकर आती हैं। उस खेत की फसल को चरने के अलावा फसलों को बर्बाद भी कर देते हैं।

नीलगायों के तांडव से मुक्ति के लिए किसानों ने जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन भी दिया है, लेकिन किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में आज तक कोई पहल नहीं किया जा सका है जिससे किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है।

नीलगायों से त्रस्त किसानों बताते हैं कि नीलगायों को भगा देते हैं, लेकिन कुछ समय बाद वे पुन: लौट आते हैं। ऐसे में समझ में नहीं आ रहा कि क्या उपाय किया जाए।

भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हो रहे हैं किसान:

नीलगायों का आतंक हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। जिले के ज्यादातर गांवों में दर्जनों नीलगायों के झूंड को फसल बर्बाद करते हुए देखा जा सकता है। कृषि के लिए घातक सबित हो रहे नीलगायों से मुक्ति के लिए न जिला प्रशासन कुछ पहल कर रहीं है, न वन विभाग हीं कुछ करने के मूड में है।

ऐसी स्थिति में जिले के किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हैं। किसान बताते हैं कि नीलगायों के खाने से ज्यादा नुकसान फसल को बर्बाद करने से है। 24 घंटे खेत की रखवाली संभव नहीं है। सरकार और प्रशासन को किसान हित में ठोस कदम उठाना होगा।

वन्य प्राणी अधिनियम का लगता है डर:

नीलगाय जंगली जीव है, इसलिए इन्हें छूने एवं मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके कारण नीलगाय को ग्रामीण मारने से बेहद डरते हैं क्योंकि इसको मारने को लेकर अभी तक विभाग की तरफ से कोई आदेश लागू नहीं हुआ है।

आए दिन किसान नीलगाय से बहुत परेशान होते जा रहे हैं। किसान फसल बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजे का प्रवधान है। किसान संबंधित अंचलाधिकारी के पास आवेदन देकर मुआवजे की मांग कर सकते हैं, लेकिन आज तक किसी किसान को नीलगाय ने फसल बर्बाद की उसका मुआवजा तक नहीं मिला। किसानों को मुआवजा को लेकर कोई जानकारी तक नहीं है।

नीलगाय की वजह से हादसे भी हो चुके हैं। किसान बताते हैं कि बाइक से खेत से घर लौटते समय कई बार रास्ते में नीलगाय का झुंड आ जाते हैं। इसके चलते वे कई बार बाइक सहित गिर गए  जिससे  चोट भी आई।

इसी प्रकार नीलगाय गांव में भी घुसने से नहीं डरती है। गांवों में भी कई बार आतंक मचा चुकी है व नीलगायों की वजह से सड़क हादसे होना आम बात हो गई है।

नहीं होती है गणनाः

जिले में कितनी नीलगाय हैं, इनका आंकड़ा नहीं है क्योंकि इनकी गिनती नहीं होती है। वन विभाग के नियमावली के मुताबिक, नीलगाय वन्यप्राणी है मगर इसकी गणना नहीं होती है। जिले में करीब 761 पंचायते हैं। अधिकांश पंचायतों व गांव में नीलगाय का आतंक है। आज से तीन चार साल पहले एक्का-दुक्का नीलगाय नजर आती थी मगर आज 50 से अधिक नीलगाय झुंडों में एकसाथ खेतों में अलग-अलग समूह में नजर आती हैं।

नीलगाय को लेकर भी सरकार बना रही है योजना –

नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचा रही हैं तो इसको लेकर शासन स्तर पर फसल नुकसानी के लिए राजस्व विभाग आवेदन देकर आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। वहीं नीलगाय को लेकर भी सरकार योजना बना रही है। – हरिशंकर मोहंता, सीएफओ, इंदौर

फसलों को नुकसान तो हो रहा है –

नीलगाय से फसलों को नुकसान तो हो रहा है। इसको लेकर हम भी सतर्क हैं मगर यह वन्यप्राणी एक जगह नहीं रहता है और यह टोली में रहते हैं। इनको पकड़ा भी नहीं जा सकता है। इसको लेकर शासन स्तर पर योजना बन रही है। – अक्षय राठौर, डीएफओ, धार



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