मांडू के गांवों में अब पर्यटकों के ठहरने के भी होंगे इंतज़ाम, देशभर में प्रचारित होगी होम स्टे योजना


आदिवासियों को आर्थिक लाभ देने के साथ ग्रामीण और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

धार। रानी रूपमती और बाजबहादुर की नगरी आने वाले दिनों में जनजातीय पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। देसी विदेशी सैलानी ऐतिहासिक विरासत के साथ यहां बिखरी आदिवासी संस्कृति को भी आत्मसाध कर सकें, इसके लिए यहां गहरी खोह और पहाड़ियों पर बसे प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत आदिवासी गांवों में ट्राइबल टूरिज्म की शुरुआत की जा रही है।

आदिवासियों को आर्थिक लाभ देने के साथ ग्रामीण और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है। होम स्टे योजना को स्थापित करने के लिए यहां गुजरात के भुज मॉडल पर काम किया जा रहा है।

इस क्षेत्र में जानीमानी कंपनी हुनरसाला इस योजना को अमलीजामा पहनाने में लगी हुई है। कोरोना संक्रमण के कारण बने हालातों के कारण पहले ही इस काम में काफी देर हो चुकी है।  धार के साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी ट्राइबल टूरिज्म विकसित किया जाएगा प्रदेश में इसकी शुरुआत पर्यटन नगरी मांडू से की जा रही है।

ऐसा होगा योजना का स्वरूप: मांडू से लगे भीलबरखेडा सूलीबयडी सोनगढ गेट और मालीपुरा इन 4 गांवों से 15 -15 हितग्राहियों का चयन हुआ है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना के तहत यहां आदिवासी संस्कृति के अनुरूप होम स्टे योजना के लिए आवासों का निर्माण होना है। इसके लिए देश में होम स्टे स्थापित करने वाली ख्यात कंपनी हुनरसाला भुज गुजरात ने यहां हितग्राहियों से चर्चा कर उन्हें कई दौर का प्रशिक्षण भी दे चुकी है।

यहां लगभग 5 लाख की लागत से एक आवास का निर्माण होना है, उसमें 40 प्रतिशत की सब्सिडी प्रत्येक हितग्राही को दी जानी है। हितग्राहियों को गुजरात भुज लद्दाख आदि क्षेत्रों में ले जाकर होम स्टे योजना के बारे में जानकारी दी गई है।

आदिवासी संस्कृति के रंग मे रंगेंगे सैलानी:  यहां आने वाले देसी विदेशी सैलानी इन गांवों में आदिवासी संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। पैदल और घुड़सवारी के माध्यम से आदिवासी गांव में सैलानी पहुंचेंगे।

आदिवासी संस्कृति के अनुरूप बने आवासों में होम स्टे करेंगे। पर्यटक यहां आदिवासियों के घरों में रुककर उनकी संस्कृति के खानपान रहन-सहन वेशभूषा नृत्य तीज त्योहार रस्मों रिवाज से परिचित होंगे। मांदल की थाप और बांसुरी की धुन पर भगोरिया नृत्य में रमेंगे। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए फिशिंग, बैलगाडी से गांव का भ्रमण, साइकिलिंग, आदिवासी खेती के तरीके और आदिवासी हथकरघा जैसे अनोखे आकर्षणों का इंतजाम इन गांवों में रहेगा।

ऑनलाइन के जरिए होगा प्रचार:  मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड इन पर्यटन गांवों का देश व देश में विभिन्न माध्यमों से प्रचार करेगा। ऑनलाइन मार्केटिंग और इंटरनेट मीडिया के सभी प्लेटफार्म के माध्यम से सैलानी इन गांव में मिलने वाली सुविधाओ और शुल्क के बारे में जानकारी लेकर बुकिंग कर सकेंगे।

वहीं मेक मायट्रिप जैसी देश की बड़ी टूर एंड ट्रेवल एजेंसियों के माध्यम से भी इन का प्रचार किया जाएगा। पर्यटन से जुडे जानकार विनायक साकले का कहना है कि केरल में समुद्र तट और आसपास बसे गांव में वहां की मलयाली संस्कृति के अनुरूप पर्यटन गांव विकसित किए गए हैं।

आदिवासी ज़िले के गाँवो किया जायेगा:  इस विषय में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के कौशल विकास विभाग के डायरेक्टर मनोज सिंह से विशेष चर्चा में बताया कि मध्य प्रदेश के 7 आदिवासी जिले धार, झाबुआ, मंडला, उमरिया, छिंदवाड़ा, सीधी और अनूपपुर को चुना गया है। प्रथम चरण में धार, झाबुआ और मंडला में आदिवासी पर्यटन गांवों का विकास किया जाना है।

इसी के तहत मांडू में हमने 4 गांव चुने हैं। इन सभी जिलों की अपनी-अपनी आदिवासी संस्कृति के अनुसार वहां पर आवासों का निर्माण होगा। इस योजना के माध्यम से आदिवासियों को आर्थिक लाभ होगा और ग्रामीण सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर हम पर्यटन गांवों का प्रचार प्रसार करेंगे। मांडू में अगले महीने से होम स्टे के लिए आवासों का निर्माण शुरू होने वाला है।

हम जो आवास बन रहे हैं उसे स्थानीय पर्यटन को फायदा होगा, वहीं हितग्राही खुद रुचि लेकर आवास बना रहे हैं। जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और आने वाले लोगों को कुछ नया अनुभव  मिलेगा।

आशीष वशिष्ठ जिला पंचायत सीईओ धार



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