पट्रोल-डीज़ल की महंगाई बनी बड़ी परेशानी

आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :
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धार। पहले ही आम आदमी व व्यापार कोरोना व मंहगाई की मार के कारण घाटे में हैं। वहीं दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल कुछ दिन बाद महंगाई का शतक बना लेगा। पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से की जा रही मूल्यवृद्धि से पेट्रोल उत्पाद सौ रुपये लीटर मिलेगा।

सादा पेट्रोल इस मूल्य से केवल पांच रुपये दूर है। डीजल का मूल्य भी पिछले एक पखवाड़े में तीन रुपये बढकर 87 रुपये पार कर गया है। मूल्यवृद्धि का यही कार्यक्रम जारी रहा तो आम आदमी का जीना मुश्किल हो जाएगा।

शहर के पेट्रोल पंपों में रविवार को जैसे ही दोपहिया और चौपहिया वाहन के चालक पेट्रोल-डीजल भरवाने ठहरे, वैसे ही पंप की स्क्रीन के रेट देखकर करंट लग गया। पेट्रोल 95 रुपये और डीजल 87 रुपये औसत प्रति लीटर दिखाई दिया। पेट्रोल पावर 98 रुपये दिखाई दिया। हर दिन पेट्रोलियम मूल्यों में वृद्धि की आम जनता में तीखी प्रतिक्रिया दिखाई दी।

बाइक ज्यादा, एवरेज कम से ज्यादा खपत –

शहर में बाइक की संख्या ज्यादा है। आज शहर के युवा वर्ग के पास में करीब 35-40 किमी/प्रति लीटर का एवरेज देने वाला वाहन है। वहीं पेट्रोल मूल्यवृद्धि होने पर यह वाहन अब उन्हें अखरने लगा है। शहर के अंदर ही आवागमन करने पर पेट्रोल खत्म हो जाता है। स्कूल चालू हो गए हैं। बसें और ऑटो बंद पड़े हैं। बच्चों को छोड़ने-लाने के लिए अभिभावक ऐसे वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। उनके लिए भी यह सिरदर्द साबित हो रहा है।

राज्य और केन्द्र के टैक्स की मार ज्यादा –

पेट्रोल पंप मालिकों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम जितने नहीं बढ़ रहे हैं, उतना पेट्रोलियम कंपनियां बढ़ा रहीं हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगाए गए दोगुने टैक्स के चलते भी महंगाई चरम पर पहुंचती जा रही है। वर्तमान में मप्र में लोगों को एक लीटर पेट्रोल पर 32.98 रुपये व डीजल पर 31.83 रुपये एक्साइज ड्यूटी चुकानी पड़ती है। मप्र में 33 प्रतिशत वेट के अलावा तीन रुपये प्रति लीटर सेस भी लगता है। इसके अलावा केन्द्र के 46 प्रतिशत उत्पाद शुल्क अलग हैं। पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन का कहना है कि सरकार अपने टैक्स कम कर दें तो पेट्रोलियम दाम नीचे आ सकते हैं।

किसानों पर दोहरी मार –

बता दें कि पहले ही किसान फसलों के दाम को लेकर परेशान हैं। दूसरी ओर डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों के कारण किसानों के माथे पर चिंता बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में गेहूं की कटाई होने वाली है जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। लगातार ईंधन के बढ़ते दामों से परेशान हैं।

मूल्यवृद्धि से बिगड़ा आम आदमी का बजट –

हर दिन मूल्यवृद्धि करने से धीरे-धीरे यह उपभोक्ताओं पर बोझ बनता जा रहा है। इस पर नागरिकों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पेट्रोलियम मूल्यवृद्धि से आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। वह दिन बहुत करीब है जब पेट्रोल सौ रुपए लीटर तक पहुंच जाएगा। डीजल महंगा होने से सार्वजनिक परिवहन के साथ सामग्री के दाम बढ़ जाएंगे।

रसोई गैस के एक माह में 50 रुपये बढ़े दाम – 

रसोई गैस के दाम पिछले दिनों 730 रुपये थे। इस माह फरवरी में यह बढ़कर 756 रुपये हो गए। कुछ दिनों में 25 रुपये दाम बढ़ गई है। कुछ उपभोक्ताओं ने बताया कि उनके बैंक खाते में सब्सिडी नहीं आई है और किसी में आई भी तो 5 रुपये आ रहे हैं। इससे साफ है कि सरकार ने धीरे-धीरे आनेवाली सब्सिडी समाप्त कर दी है। इससे भी उपभोक्ताओं में असंतोष है।



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