धार की राजनीति में उभरी नई तस्वीर, पुराने जनसंघी पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत कांग्रेस में शामिल, दत्तीगांव के सामने बड़ी चुनौती


उद्योग मंत्री राजवर्धनसिंह दत्‍तीगांव के सामने लड़ सकते है चुनाव, बदलेंगे जिले में चुनावी समीकरण, इंदौर नेता शरद सिसौदिया की बदनावर से रवानगी तय, गौतम तैयार करेंगे शेखावत के लिए जमीन


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

जिले की राजनीति में नई तस्वीर बन रही है। चार साल के अंतर में पुराने कांग्रेसी भाजपाई हो गए और भाजपा से नाराज पुराने जनसंघी बन गए कांग्रेसी।

जिले में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत ने कांग्रेस की सदस्‍यता ले ली है। भोपाल पहुंचकर शेखावत ने पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थामा है। शेखावत के लंबे समय से कांग्रेस में जाने की अटकलें लग रही थी। हाल में ही जब सोशल मीडिया पर यह मैसेज वायरल हुआ तो उन्‍होंने कांग्रेस में जाने की बात को खंडन करते हुए वीडियो भी जारी किया था। लेकिन इसके बाद कांग्रेस विधायक संजय शुक्‍ला ने शेखावत से मुलाकात की थी। उम्‍मीद थी कि 2-3 सितंबर को शेखावत कांग्रेस में आ सकते है और फिर शनिवार को एकाएक वे भोपाल पहुंचे, जहां पर पूर्व सीएम कमलनाथ की मौजूदगी में उन्‍होंने कांग्रेस की सदस्‍यता ले ली।

पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत के कांग्रेस में शामिल होने के दौरान पूर्व जिला कांग्रेस अध्‍यक्ष बालमुकुंदसिंह गौतम की भी मौजूदगी देखने को मिली। दरअसल बदनावर में उपचुनाव के पहले से ही गौतम की सक्रियता और कार्यकर्ताओं के बीच अच्‍छी पकड़ रही है।

गौतम को ही इस बार विधानसभा चुनाव में बदनावर से टिकट का मुख्‍य दावेदार माना जा रहा था। इस बीच शेखावत के आने की चर्चा और शामिल होने के दौरान गौतम की मौजूदगी ने साफ कर दिया है कि वे और उनकी टीम शेखावत के लिए जमीन तैयार करेगी। हालांकि बदनावर से पूर्व विधायक रहे शेखावत की खुद की टीम मजबूत है। ऐसे में आने वाले चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकते है। वर्तमान में भाजपा के उद्योग मंत्री राजवर्धनसिंह दत्‍तीगांव बदनावर से विधायक है और वे ही आने वाले चुनाव में भाजपा का चेहरा भी रहने वाले है।

नेता प्रतिपक्ष और पूर्व जिलाध्‍यक्ष ने रची पटकथा : 

दिग्‍गज भाजपा नेता शेखावत को भाजपा से कांग्रेस में लाने की पटकथा पहले ही तैयार कर ली गई थी। इसे मूर्तरूप देने के लिए नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और पूर्व कांग्रेस जिलाध्‍यक्ष धार बालमुकुंदसिंह गौतम ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों ने ही शेखावत को कांग्रेस में लाने के लिए जमीन तैयार की और उन्‍हें शनिवार को सदस्‍यता लेने के लिए मनाया। चर्चा है कि अब बदनावर में चुनाव लड़ने के लिए शेखावत के सारथी की भूमिका में गौतम नजर आ सकते है।

निर्दलीय लड़ा था चुनाव : 

बात करें पूर्व विधायक शेखावत की तो वे जनसंघ के नेता माने जाते है। वर्ष 1990 में शेखावत ने निर्दलीय होकर पहला चुनाव लड़े थे, लेकिन पहले ही चुनाव में उन्‍हें हार झेलना पड़ी। लेकिन इसके बाद उन्‍हें वर्ष 1993 में भाजपा ने टिकट दिया और वे पहली बार इंदौर की 5 नंबर विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद कई पदों पर भी शेखावत ने राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखा। गत विधानसभा चुनाव 2018 में बदनावर से चुनाव लड़ने के दौरान वे भाजपा के ही बागी राजेश अग्रवाल के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के कारण चुनाव हार गए थे। इसके बाद कांग्रेस से राजवर्धन दत्‍तीगांव चुनाव जीते थे। लेकिन सिंधिया के साथ उन्‍होंने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्‍यता ले ली थी। जिसके चलते बदनावर में उपचुनाव के बाद वे भाजपा की तरफ से चुनाव लड़े और जीतकर दत्‍तीगांव मंत्री बने। अब शेखावत के कांग्रेस में जाने के बाद चुनावी विरोधी तो वहीं होंगे, लेकिन दोनों की पार्टियां इस बार अलग-अलग होने वाली है।

 

शरद सिसौदिया की रवानगी लगभग तय : इधर पूर्व विधायक शेखावत के कांग्रेस में आने से कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री शरद सिंह सिसौदिया की इंदौर रवानगी लगभग तय हो गई है। गौतम की सजा होने के बाद सिसौदिया खुद को दावेदार मानकर प्रचार और रणनीति में जुट गए थे। लेकिन गौतम की रिहाई के बाद शेखावत की कांग्रेस में इंट्री से इंदौर नेता शरद सिसौदिया की रवानगी तय हो गई है।

हालांकि बदनावर में जब पूर्व मंत्री कमलनाथ सभा लेने पहुंचे थे, तब भी उन्‍होंने साफ कर दिया था कि बाहरी को बदनावर से टिकट नहीं मिलेेेेगा। चूंकि शेखावत भी कांग्रेस के लिए बदनावर में बाहरी है, लेकिन वे 5 साल भाजपा सरकर में बदनावर से विधायक रहे है, ऐसे में इस बार वे ही चुनाव मैदान में दत्‍तीगांव को टक्‍कर देते दिखाई दे सकते है।

जनसंघ के नेता है शेखावत : जनसंघ के जमाने के नेता रहे भंवर सिंह शेखावत का एकाएक कांग्रेस में आना भाजपा के लिए बड़ा झटका है। एक बड़े नेता की अनदेखी इतनी हुई कि उन्‍हें पार्टी ही छोड़ना पड़ी। विभिन्‍न मोर्चे और पुराने नेताओं ने शेखावत के जाने पर प्रतिक्रिया भी दी है। जिसमें उन्‍होंने पार्टी की नीतियों को जिम्‍मेदार भी ठहराया है।



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