धारः नाग को लेकर घूम रहे सपेरों पर वन विभाग का कब्जा, जब्त किए सांप


शहर में सुबह से वन विभाग की टीम सक्रिय नजर आई। पूरे शहर में घूमकर सपेरों पर नजर रखी गई। डीएफओ धार के निर्देश पर शहर में यह कार्रवाई की गई। जहां भी सपेरे नजर आए, उन्हें रोककर उनसे सांप जब्त कर लिए।


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dhar snake charmer

धार। जिले में नागपंचमी पर्व के दिन सांप के पूजन का रिवाज है। सपेरे नाग को टोकरी में बंद कर घर-घर पहुंचते है, जहां लोग सांपों का पूजन करते हैं, लेकिन इसके लिए सांप को काफी कष्ट उठाना पड़ता है।

सपेरे उनके दांत तोड़ते हैं, ताकि उनमें जहर न बचे और वे उन्हें दिनभर टोकरी में बंद रखा जाता है। इस कारण वन विभाग धार द्वारा सपेरों पर कार्रवाई की गई। शहर में सुबह से वन विभाग की टीम सक्रिय नजर आई। पूरे शहर में घूमकर सपेरों पर नजर रखी गई।

डीएफओ धार के निर्देश पर शहर में यह कार्रवाई की गई। जहां भी सपेरे नजर आए, उन्हें रोककर उनसे सांप जब्त कर लिए। सुबह से ही टीम ने पूरे शहर से वन विभाग की टीम एवं एनजीओ की टीम द्वारा 23 सर्प जिसमें 16 कोबरा व 7 घोड़ापछाड़ सपेरों से जब्त कर जंगल में छोड़े गये।

जिले भर में हुई करवाई –

वन विभाग डीएफओ जीडी वरवड़े ने बताया कि जिले में कई टीम बनाई गई थी। इस टीम ने जिले भर में कारवाई की। डीएफओ रनशोरे ने बताया कि शहर में राजवाड़ा, आनंद चौपाटी, चौपाटी, जिला अस्पताल तिराहा, मगजपुरा, त्रिमूर्ति कॉलोनी, काशीबाग कॉलोनी सहित अन्य कॉलोनी में टीम ने कार्रवाई की और सांप जब्त किए हैं।

रेंजर प्रवेश पाटीदार व उनकी पूरे दिन टीम शहर में सक्रिय रही। इसके अलावा जिले की हर रेंज में टीम कार्रवाई की गई है। सरदापुर रेंजर अहिरवार ने बताया कि चार टीम बनाई गई थी और उन्होंने सांपों को पकड़कर जंगल मे छोड़ा।

वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत सांप वन्य प्राणी है। इसे पकड़ा नहीं जा सकता, लेकिन सपेरे नागपंचमी पर इन्हें लेकर पूरे शहर में घूमते हैं। इस कारण सांप को कष्ट उठाना पड़ता है। ऐसा करने पर सपेरे पर जुर्माने के साथ-साथ 3 साल की जेल भी हो सकती है।

हालांकि वन विभाग ने नागपंचमी पर कार्रवाई करते हुए सिर्फ सांप को जब्त किया और सपेरों को चेतावनी देकर छोड़ा गया है। लोगो को समझाइश दी गई कि सर्प को दूध ना पिलायें क्योंकि सर्प पूजा का अर्थ सर्पों को पकड़कर परेशान करना नहीं है।

विज्ञान के अनुसार सर्प दूध को नहीं पचा सकते क्योंकि सर्प सरीसृप वर्ग में आते हैं जिनका पाचन तंत्र इतना विकसित नहीं होता है कि वे दूध पचा सकें। सर्पों को दूध पिलाने से इन्हे फेफड़े का संक्रमण हो जाता है और उनकी मृत्यु हो जाती है इसलिए आस्था और श्रद्धा के इस पर्व पर एक मूक प्राणी की जान न लें।

वन विभाग की टीम के साथ एनजीओ टीम ने भी सराहनीय भूमिका अदा की। एनजीओ संचालक विजया शर्मा द्वारा प्रतिवर्ष जनजागरूकता हेतु अभियान चलाया जाता है। वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 के तहत वन्यप्राणी का शिकार माना जाता है जिसके लिए सजा का प्रावधान है।



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