अतीक अहमद के बेटे का एनकाउंटर, जानिये क्या है 19 साल पुराना हत्याकांड


साल 2004 में राजू पाल की हत्या कर दी गई थी जिसका आरोप अतीक पर था। उमेश पाल इस मामले में गवाल था।


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घर की बात Updated On :

भोपाल। उत्तर प्रदेश के उमेश पाल हत्याकांड में फ़रार  गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद और उसके सहयोगी गुलाम पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए। इन दोनों उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ गुरुवार 13 अप्रैल को झांसी में मुठभेड़ हुई। जहां उप्र पुलिस एसटीएफ के मुताबिक दोनों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं और जवाबी फायरिंग में पुलिस ने दोनों को मार दिया। इस दौरान करीब आधे घंटे में 49 राउंड फायरिंग हुई थी।

“असद और गुलाम उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी हैं और उन पर  5 लाख रुपये का इनाम था। मुठभेड़ की जानकारी विशेष अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने दी। 2005 के राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह उमेश पाल था और उसकी इस साल की शुरुआत में 24 फरवरी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2005 में राजू पाल की हत्या के बाद हुई काफी हिंसा हो चुकी है और उमेश की हत्या इसमें आखिरी बड़ा मामला था। इस कहानी के केंद्र में अतीक अहमद और उनका परिवार है। अतीक के जिस बेटे असद को पुलिस ने मारा है उसने हालही में 12वीं की परीक्षा दी थी।

जानिये इस मामले को…
2002: राजू पाल ने अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव लड़ा। एक स्थानीय डॉन और व्यवसायी अतीक अहमद पहली बार 1989 में इलाहाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय विधायक के रूप में चुना गया था। वह 15 साल तक इस सीट पर रहा, 1996 में समाजवादी पार्टी और फिर 2002 में अपना दल में शामिल हुआ।

2004: राजू पाल उपचुनाव जीते
2004 में, समाजवादी पार्टी के टिकट पर आम चुनाव में फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सीट के लिए चुनाव लड़ने से पहले अतीक अहमद ने सीट खाली कर दी थी। उनकी अनुपस्थिति में, यह व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि उनके छोटे भाई अशरफ उपचुनाव जीतेंगे और इलाहाबाद पश्चिम सीट पर अपना कब्जा बनाए रखेंगे लेकिन इस दौरान कए अप्रत्याशित मोड़ आया। बसपा उम्मीदवार राजू पाल ने अशरफ को लगभग 5,000 मतों के अंतर से हरा दिया।

2005: राजू पाल की हत्याः इसके बाद 25 जनवरी, 2005 को अपने चुनाव के ठीक तीन महीने बाद, राजू पाल पर हमलावरों ने हमला किया था, जब वह अपने गांव में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए जा रहे थे। हमले में उनकी और उनके दो साथियों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हो गए।

पुलिस ने दावा किया कि हत्या के पीछे का मकसद 2004 के उपचुनाव में राजू पाल की जीत थी। नतीजतन, राजू की पत्नी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में अतीक, अशरफ और सात अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।

इलाहाबाद पुलिस ने अपनी जांच करने के बाद स्थानीय अदालत में अतीक और अशरफ समेत 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. हालांकि, राजू की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में, अशरफ ने राजू की विधवा, पूजा पाल के खिलाफ बड़े अंतर से जीत हासिल की। फिलहाल इस मामले की सुनवाई लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में चल रही है।

2007: उमेश पाल ने दावा किया कि अतीक ने उनका अपहरण किया था। पूजा पाल का चचेरा भाई उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह था। 2007 में, उन्होंने एक पुलिस शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि राजू पाल हत्याकांड में अदालत में बयान बदलने के लिए अतीक और उनके सहयोगियों द्वारा उन्हें नियमित रूप से धमकी दी जा रही थी और उन पर दबाव डाला जा रहा था। उसने अतीक द्वारा अपहरण और प्रताड़ित किए जाने के भी आरोप लगाए।

उमेश ने यह भी कहा था कि अतीक के दबाव में उसने कोर्ट में झूठा बयान दिया था। उसकी शिकायत के आधार पर प्रयागराज पुलिस ने अतीक, उसके भाई अशरफ और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

इस साल 28 मार्च को अदालत ने अतीक अहमद और दो अन्य खान शौकत हनीफ और दिनेश पासी को उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दशकों तक अपराध से जुड़े रहने के बावजूद अतीक की यह पहली सजा है।

2023 में उमेश पाल की हत्याः  24 फरवरी को प्रयागराज में वकील उमेश पाल की उनके दो बंदूकधारियों सहित गोली मारकर हत्या कर दी। उमेश के परिवार ने मौत के पीछे अतीक, उसकी पत्नी शाहिस्ता परवीन, भाई अशरफ, अतीक के बेटे असद व अन्य पर आरोप लगाया है।

दूसरी ओर, यूपी पुलिस ने दावा किया कि हत्या केवल उमेश को गवाह के रूप में बंद करने के लिए नहीं थी  बल्कि प्रयागराज के निवासियों को साफ संदेश भेजने के लिए थी कि अतीक जेल में रहने के बावजूद अपराध की दुनिया में बना हुआ है।

यह हत्या कैमरे में कैद हो गई और इसमें पांच लोगों को शामिल दिखाई दिए। इनमें विजय चौधरी उर्फ उस्मान, जिसने पहली गोली चलाई; हमलावरों द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहन का चालक अरबाज, अतीक के बेटे असद अहमद, उसका खास आदमी गुलाम और गुड्डू मुस्लिम।

पांच में से चार का एनकाउंटरः 
इन पांच में से अब चार को यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है। 27 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के तुरंत बाद अरबाज़ एक एनकाउंटर हुआ। 6 मार्च को प्रयागराज में विजय चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 13 अप्रैल को झांसी में हुई मुठभेड़ में असद और गुलाम मारे गए। फिलहाल  गुड्डू मुस्लिम फरार है।

अतीक अहमद और परिवार पर दर्ज अपराधः  अतीक अहमद वर्तमान में उनके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, उनके भाई अशरफ के खिलाफ अन्य 50 मामले हैं। फरवरी 2017 में, अतीक को पुलिस ने सैम हिगिन के कर्मचारियों के सदस्यों पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

 



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