स्वच्छता की रेस में सबसे आगे आने को बेचैन दो सौ साल पुरानी महू छावनी


रेल के सामने एक सेल्फी प्वाइंट है और आसपास महू और आसपास के पर्यटन केंद्रों से जुड़ी ख़ूबसूरत चित्रकारी की गई है।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर। देश के सबसे साफ़-सुथरे शहर इंदौर का उपनगर महू भी अब इसी दौड़ में आगे बढ़ रहा है। दो सौ बरस पुरानी सैन्य छावनी महू अपने आप में ख़ास है। इस हैरिटेज को बचाए रखना यहां के निकाय छावनी परिषद के लिये भी आसान नहीं है लेकिन वे इन दिनों इस काम को बख़ूबी कर रहे हैं।

जैसे इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है वैसे ही महू प्रदेश की सबसे स्वच्छ छावनी है और देश में इसका नंबर छठवां है। इस बार महू छावनी को पहले या शुरुआती तीन में लाने की कोशिशें तेज़ हैं।

स्वच्छता और  लोगों में इसके प्रति जागरुकता ये दोनों ही इंदौर और महू में अब काफी हद तक देखी जा सकती है। ऐसे में अब कोशिश है कुछ नया करने की, जिससे लोग अपने शहर से प्यार करें, उसकी कद्र करें।

छावनी परिषद ने इसी विचार में कुछ नया भी किया है। यहां केवल कबाड़ से एक पूरी रेल खड़ी कर दी गई है। बेशक़ किसी टॉय ट्रेन की तरह दिखने वाली यह रेल चलती नहीं लेकिन यह महू की मीटर गेज की याद दिलाती वो गाड़ी है जो इस ख़ूबसूरत शहर की पहचान रही है।

छावनी परिषद की सीईओ मनीषा जाट के मुताबिक लोगों में शहर के प्रति अपनापन जगाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी कदम है। जिसके बाद ही लोग सफाई और बेहतरी के तमाम नियम मानेंगे।

ऐसे में उन्होंने शहर में एक ऐसा चौराहा बनाया है जहां लोग आएं और महसूस कर सकें कि वे अपने ख़ास शहर में हैं। यहां रेल के सामने एक सेल्फी प्वाइंट है और आसपास महू और आसपास के पर्यटन केंद्रों से जुड़ी ख़ूबसूरत चित्रकारी की गई है।

सीईओ मनीषा जाट के मुताबिक यह कोई बहुत बड़ा कदम नहीं है लेकिन ज़रूरी प्रयास है और ऐसे ही छोटे-छोटे प्रयास एक बड़ी कामयाबी को लेकर आते हैं। सीईओ ने इस स्थान पर एक ज़रूरतमंद लोगों और विद्यार्थियों का भी ख़्याल रखा है।

यहां लोग अपने लिये ग़ैरज़रूरी हो चुके कपड़े या दूसरे कुछ सामान के साथ किताबें भी दे सकते हैं। कपड़े और दूसरा सामान ज़रुरत मंद लोग उठा सकते हैं वहीं किताबों के लिये विद्यार्थी परिषद से संपर्क कर हांसिल  कर सकेंगे।

कबाड़ से रेल तैयार करने का आईडिया परिषद के स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी विभाग के अधिकारी मनीष अग्रवाल का है। मनीष अग्रवाल विभागीय कामों को अच्छी तरह करने के अलावा अपने रचनात्मक कार्यों के लिये भी जाने जाते हैं।

उनके मुताबिक इस रेल को बनाने में परिषद में पड़े पुराने कबाड़ के अलावा कुछ भी नहीं लगा है और इसे बनाने का खर्च भी बेहद कम है। हालांकि ज्यादातर काम परिषद के ही वर्कशॉप में पूरा किया गया है।

अग्रवाल इससे पहले एक पूरा स्क्रैप गार्डन भी तैयार कर चुके हैं। यह गार्डन देश के मशहूर सैन्य प्रशिक्षण संस्थान आर्मी वॉर कॉलेज के सामने है। यहां भी सभी कुछ कबाड़ से ही तैयार किया गया है।

सीईओ मनीषा जाट के मुताबिक कबाड़ से कलाकृतियां तैयार करना रिसाइक्लिंग को लेकर एक संदेश है जो बताता है कि अनुपयोगी चीज़ो को कैसे उपयोग में लाया जा सकता है उन्हें सुंदर बनाया जा सकता है।

सीईओ मनीषा जाट बताती हैं कि शहर को स्वच्छ रखने का काम लगातार जारी है और इसकी निगरानी भी हो रही है। स्वच्छ भारत अभियान के सर्वेक्षण के लिये छावनी इस बार पूरी तरह तैयार है।

इस बार उन क्षेत्रों में भी नंबर हांसिल किये जाएंगे जो अब तक छूटे रहे। इनमें सबसे अहम है परिषद क्षेत्र में स्वच्छता के साथ-साथ सुंदरता का होना। इसके साथ ही परिषद ने इस बार दीवारों पर सुंदर पेंटिग्स भी करवाई हैं।

इसका ज़िम्मा प्रशिक्षित कलाकारों को दिया गया है। जिन्होंने शहर की दीवारों को किसी कैनवस की तरह रंग दिया है। कलाकारों ने इस कैनवस पर ख़ूबसूरत चित्र बनाए हैं। जिन्हें देखने के लिए लोग अक्सर देर तक  खड़े रहते हैं।

फाइन आर्ट्स के विद्यार्थी रहे विनीता जोशी, भूमि शर्मा, दीपाली जैन, अंकित रघुवंशी, लोकेंद्र पांचाल ने शहर में अब तक करीब तीन हज़ार मीटर की दीवारों पर चित्रकारी की है।

इनके कई चित्र शानदार हैं। जो निश्चित तौर पर परिषद को इस बार एक बेहतर स्थान तक पहुंचाएंगे।

महू छावनी परिषद के सभी अधिकारी और कर्मचारी भी इस बार स्वच्छ भारत अभियान में बेहतर स्थान लाने के लिये प्रतिबद्ध नज़र आ रहे हैं। यही हाल नागरिकों का भी है।

बहुत से नागरिकों के मुताबिक बीते सालों की अपेक्षा इस साल अब तक बेहतर काम हुआ है और इसे यदि जारी रखा जाता है तो परिणाम निश्चित रुप से बेहतर होंगे।

हालांकि कुछ नागरिकों की स्वच्छता को लेकर परिषद से शिकायतें भी हैं। ज़्यादातर शिकायतें घनी आबादी वाले उन इलाकों में हैं जहां सैन्य भूमि पर अतिक्रमण भी है। हालांकि परिषद के मुताबिक वे इन शिकायतों को भी जल्द ही दूर करेंगे।

 

 

 

 



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