हड़बड़ाहट में लोग अहिल्या कोविड केयर सेंटर की ओर कर रहे हैं रुख, डॉक्टर्स ने की ये अपील


राधा स्वामी परिसर में बनाए गए देवी अहिल्या कोविड सेंटर पर अनेक मरीज आ रहे हैं, जबकि जो नंबर दिया गया है उसी पर सूचना करना है। स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद ही मरीज के घर आएगी और जांच के बाद अस्पताल जाने के लिए कहेगी।


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इन्दौर Published On :
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इंदौर। राधा स्वामी परिसर में बनाए गए देवी अहिल्या कोविड सेंटर पर अनेक मरीज आ रहे हैं, जबकि जो नंबर दिया गया है उसी पर सूचना करना है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद ही मरीज के घर आएगी और जांच के बाद अस्पताल जाने के लिए कहेगी। अधिकांश मरीज सीधे ही यहां आ रहे हैं, जिससे उनके साथ-साथ अमले की परेशानी बढ़ रही है।

कई मरीज ऐसे हैं, जिनको फोबिया हो गया है। इस कारण भी वे खुद को अधिक संक्रमित मान रहे हैं जबकि उनका ऑक्सीजन लेबल 95 से 92 के बीच है। सेंटर तक आते-आते उनका लेवल कम हो रहा है।

ऐसे में सभी को सलाह दी जा रही है कि सीधे अस्पताल की ओर न भागें। पहले अस्पताल में परिजनों के माध्यम से बेड की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद ही घर से निकलें। ये कहना है डॉ. अनिल डोंगरे का।

संक्रमित मरीजों में संक्रमण की मात्रा कम होने पर घबराने की आवश्यकता नहीं है। यदि 20% लंग्स इफेक्टेड है, तब भी एकदम से ऑक्सीजन की जरुरत नहीं होती।

सांसों की रफ्तार यदि 90 से ऊपर है, तो भी घबराइए नहीं, इलाज संभव है। सबसे पहले खुद टेस्ट करवाएं और सैम्पल देने के साथ ही आइसोलेशन में चले जाएं।

जरूरी उपाय अपनाते हुए अपने आपको मोटिवेट करें व तनाव न करें। तनाव से न केवल इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है, बल्कि संक्रमण भी बढ़ने लगता है।

अपने आपको सकारात्मक रखकर ये महसूस करें कि जो भी आपकी रिपोर्ट आएगी वह नकारात्मक होगी यानी आप स्वस्थ होंगे। कोरोना संक्रमण से प्रभावित मरीजों को ठीक करने के लिए एक बड़ा प्रभावी तरीका है कि मरीज के परिवार वाले उसका हौंसला बढ़ाएं।

इससे वह उत्साहित हो और जो उत्साहित होते हैं, उनको संक्रमण मुक्त होने में मदद मिलती है। घर का माहौल भी तनावग्रस्त न रखें। संक्रमित का ध्यान बंटे ऐसा प्रयास करें। मधुर संगीत भी संक्रमण रोकने में कारगर उपाय हो सकता है।

कोरोना का नया स्ट्रेन बच्चों पर भी असर कर रहा है। ऐसे में ये सावधानी रखना अत्यंत आवश्यक है। संक्रमित के निकट बच्चों को जाने न दें। अनेक घरों में एक या दो ही कमरे होते हैं, वहां अत्यधिक सावधानी की जरूरत है। अभी देखने में आ रहा है कि लापरवाही की वजह से पूरा का पूरा परिवार ही संक्रमण की चपेट में आ रहा है।

बताया जा रहा है कि वैक्सीनेशन के प्रति अनेक परिवार हिचकिचाहट महसूस कर रहे हैं। जो 45 वर्ष से अधिक उम्र के सदस्य हैं, उनका वैक्सीनेशन जरूर करवाएं ताकि उनमें संक्रमण की मात्रा कम हों।

वैक्सीनेशन का व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है। जिन्होंने वैक्सीन लगवा लिया है, उन पर संक्रमण का असर कम हुआ बजाय उनके जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाया है।

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनिल डोंगरे का कहना है कि एहतियात से ही बचाव हो सकता है। घर पर रहकर सुरक्षित रहें और चिकित्सक की सलाह से उपचार लेते रहें।



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