सालभर पहले जहां फर्ज़ी प्रमाणपत्र लगाने पर होनी थी FIR, अब डॉ. शर्मा उसी आंबेडकर विवि में बन सकते हैं कुलपति


विश्वविद्यालय में होनी है पूर्णकालिक कुलपति की नियुक्ति , संघ और भाजपा को रिझाने के लिए आंबेडकर विवि को रंगा जा रहा सनातनी रंग में


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इन्दौर Published On :

इंदौर। महू का डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय इन दिनों खासा चर्चाओं में है। विश्वविद्यालय में अब पूर्णकालिक कुलपति का चयन होना है। इसके लिए लगातार तैयारियां जारी हैं। इस रेस में कई लोग शामिल हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ. दिनेश कुमार शर्मा की हो रही है बताया जाता है कि जो किसी भी तरह पूर्णकालिक कुलपति बनना चाहते हैं। हालांकि उनकी योग्यता सवालों में है लेकिन वे खुद को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का करीबी दिखाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। हालही में उन्हें विश्वविद्यालय के ही द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में एक संस्था के द्वारा दो लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरुस्कार भी दिए गए हैं जिसका विश्वविद्यालय ने खूब प्रचार प्रसार किया।

Dr. Dinesh Sharma, Vice Chancellor in charge of Ambedkar Social Sciences University, Mhow, Picture www.Deshgaon.com
डॉ. दिनेश शर्मा, आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विवि के प्रभारी कुलपति

डॉ शर्मा कुलपति बनने के लिए इसके लिए वे ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। वहीं प्रदेश के अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी- कर्मचारी संघ ने विवि के कुलपति पद पर किसी अनुसूचित जाति के योग्य व्यक्ति को पदस्थ करने की मांग की है। इसके लिए संघ की ओर से राज्यपाल को एक पत्र भी लिखा गया है।

Aambedkar university Mhow
कुलपति पद पर अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति की मांग

डॉ. आंबेडकर की जन्मस्थली महू में बनाया गया आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय इन दिनों एक खास रंग में रंगा जा रहा है। इसे सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों से हटाकर सनातनी विचारधारा में रंगने की कोशिश हो रही है और कोशिश हो रही है कि आंबेडकर को किसी तरह हिन्दू धर्म के साथ अभिन्नता से जोड़ दिया जाए। कुछ महीनों पहले इसी विश्वविद्यालय में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आंबेडकर कथा का आयोजन भी हुआ था।

इस विषय को करीब से देख रहे लोग कहते हैं कि राजनीतिक रूप से ऐसी कोशिशें होना आम बात है, लेकिन आंबेडकर विवि में यह कोशिश शिक्षा से जुड़े वे लोग कर रहे हैं जिन्हें राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए था और यह कोशिशें इसलिए भी हो रहीं हैं ताकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उनके अभिभावक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को रिझाया जा सके।

डॉ बीआर आंबेडकर के नाम पर खुले इस सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में पिछले दिनों प्राणी विज्ञान के विशेषज्ञों, आरएसएस से जुड़े पत्रकारों को जोड़कर एक राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस की गई। इस कान्फ्रेंस को नाम दिया गया ‘महाभूत फॉर इनवायरमेंट एंड सोशल हार्मोनी’।

Ambedkar University
आंबेडकर विवि में आयोजन की ख़बर अख़बार में, दैनिक भास्कर, सोमवार 12 दिसंबर 2022,

भाजपा और आरएसएस को भाने वाला यह आयोजन प्रभारी कुलपति दिनेश शर्मा के दिमाग की उपज थी जिन्होंने इस आयोजन को डॉ. आंबेडकर, सामाजिक विज्ञान और इकोलॉजी से जोड़कर दिखाया ताकि आंबेडकर के नाम पर कोई विवाद भी न हो और वे भाजपा-संघ के नेताओं को खुश करने में भी सफल हो जाएं और वे इस विश्वविद्यालय के पूर्णकालिक कुलपति बनकर कुछ समय और शासकीय सेवाओं का लाभ ले सकें।

उन्होंने इसे लेकर बताया कि यह कार्यक्रम पर्यावरण को लेकर है, इसलिए इसमें बॉटनी और जूलॉजी के लोग आ रहे हैं। यह कार्यक्रम हमारे स्ट्राइड प्रोजेक्ट के तहत हो रहा है। इस कार्यक्रम में संस्कृति मंत्रालय की भूमिका भी है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में सवा सौ मेहमान आ रहे हैं, कुलपति का दावा था कि इस कार्यक्रम में विवि का एक पैसा भी खर्च नहीं हो रहा है।

हालांकि डॉ शर्मा को जानने वाले उनकी अचानक बदली इस एक दम उलट रानीजीतिक विचारधारा से हतप्रभ हैं लेकिन वे कहते हैं कि विचारधारा का यह बदलाव उनके लिए जरूरी था।

पुरानी शिकायतें बन सकती हैं परेशानी – 

एक ओर जहां डॉ. दिनेश शर्मा अपनी जगह पक्की करने के लिए प्रयास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके कुछ पुराने मामले उनके इस सपने को तोड़ सकते हैं। दरअसल, प्रभारी कुलपति बनने से कुछ पहले ही साल जनवरी 2022 में डॉ. दिनेश शर्मा पर एक जांच शुरू की गई थी। उस समय वे आंबेडकर विश्वविद्यालय में ही कुलसचिव थे। उस समय वे तत्कालीन कुलपति प्रो. आशा शुक्ला के साथ अपने गंभीर मतभेदों के कारण चर्चा में आए थे।

फर्ज़ी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया – 

डॉ. शर्मा ने 7-09-201 को पंद्रह दिन का मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया था। यह प्रमाण पत्र पंद्रह दिनों के उनके अवकाश को मेडिकल अवकाश में समायोजित करने के लिए बनवाया गया था। वे एक दुखद दुर्घटना में अपने पुत्र की मृत्यु के बाद छुट्टी पर थे।

हालांकि विवि के तब के अधिकारियों ने उनसे प्रमाणपत्र जमा नहीं करने के लिए कहा था क्योंकि इस बड़े दुख में इस तरह छुट्टियां समायोजित करने वाला प्रमाणपत्र बहुत जरूरी नहीं था। लेकिन, डॉ. शर्मा ने इसे फिर भी आवेदन के साथ संलग्न किया। इस आवेदन को संदेहजनक माना गया और जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि जिस डॉक्टर ने यह प्रमाणपत्र बनाया था वे भोपाल के हमीदिया अस्पताल में  उस समय थे ही नहीं।

होनी थी एफआईआर .

विश्वविद्यालय की तत्कालीन कुलपति डॉ. आशा शुक्ला ने इसे गंभीर माना और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन से इसकी शिकायत की और एफआईआर दर्ज करने के बारे में भी अनुमति मांगी। बताया जाता है कि डॉ शर्मा के बारे में विश्वविद्यालय के एक और वरिष्ठ प्राध्यापक में सीएम हेल्पलाइन पर कई बार जानकारी भी दी।

विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. वर्मा की शिकायत वाला पत्र

इसके बाद विश्वविद्यालय से इसकी जांच करवाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भलावी ने एक पत्र भी लिखा। इन दोनों पत्रों को यहां पढ़ा जा सकता है।

Ambedkar university Mhow
गलत प्रमाणपत्र के मामले में अवर सचिव के जांच के आदेश

हालांकि इसके बाद से यह जांच आज तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। बताया जाता है कि तत्कालीन कुलपति डॉ. आशा शुक्ला को शासन द्वारा जब हटाया गया तो  डॉ. शर्मा ने भाजपा नेताओं से अपनी करीबी बढ़ा ली और इसी कोशिश में उन्हें प्रभारी कुलपति बना दिया गया और उनके द्वारा लगाए गए फर्ज़ी मेडिकल प्रमाणपत्र की जांच भी ठंडी पड़ गई।

यूजीसी के नियमानुसार भी नहीं योग्य .

किसी भी विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने जो शर्तें निर्धारित की हैं उनमें 10 वर्षों तक 10 हज़ार रुपये का ग्रेड पे प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को याग्य माना जाता है, लेकिन डॉ. शर्मा 9 हजार ग्रेड पे वाले अधिकारी रहे हैं। बताया जाता है कि ऐसे में वे तकनीकी रूप से अयोग्य हैं। इस बारे में भोपाल के एक पत्रकार श्रवण मावई ने भी डॉ. शर्मा की नियुक्ति को लेकर राजभवन में शिकायत की थी। इस शिकायत में डॉ. शर्मा द्वारा फर्ज़ी प्रमाणपत्र जारी करने के मामले को भी उठाया गया है।

कुलपति रेस में ये हैं शामिल .

विश्वविद्यालय में कुलपति के चयन के लिए बैठकें लगातार हो रहीं हैं और खबरों की मानें तो इस कुलपति की रेस में मंत्री तुलसी सिलावट के भाई डॉ. सुरेश सिलावट और उनकी भाभी डॉ. सुधा सिलावट भी हैं। इसके अलावा ममता चंद्रशेखर, आंबेडकर विवि के ही डीन प्रो. डीके वर्मा और प्रभारी कुलपति डॉ. दिनेश शर्मा का नाम भी बताया जा रहा है। हालांकि कई लोगों ने इससे इंकार किया है लेकिन फिर भी इनके नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में बने हुए हैं।

लगभग सभी के राजनीतिक संपर्क .

ख़बरों की माने तो डॉ. डीके वर्मा को छोड़ दें तो सभी के सीधे तौर पर कोई न कोई राजनीतिक संबंध हैं जो उन्हें कुलपति बनवा सकते हैं। हालांकि डीके वर्मा ने भी हाल ही में संघ के अख़बार पांच्जन्य की वेबसाइट पर आंबेडकर और राम को जोड़ने वाला एक लेख लिखा था। वैसे प्रो. वर्मा खुद के इस रेस में होने से इनकार करते हैं।

इसके साथ ही डॉ. सुरेश सिलावट और उनकी पत्नी डॉ. सुधा सिलावट ने भी कुलपति बनने से इंकार किया है। इस बारे में हमने डॉ. सिलावट से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलेगा भी तो वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे और वे ऐसा लिखकर देने को भी तैयार हैं। उन्होंने अपनी पत्नी की ओर से भी ऐसा ही जवाब दिया।

Dr Suresh Silawat, Educationist from Indore
डॉ. सुरेश सिलावट, इंदौर के शिक्षाविद
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वहीं डॉ. दिनेश शर्मा कुलपति बनने के लिए अपनी पूरी जानपहचान का उपयोग कर रहे हैं। डॉ. शर्मा नोबल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के करीबी रिश्तेदार हैं  इसके अलावा वे भारतीय जनता पार्टी और ख़ासकर संघ के नेताओं को मनाने में कोई कोशिश नहीं छोड़ रहे हैं। बताया जाता है कि इसके लिए विश्वविद्यालय में सनातन का जयकारा लगाने वाले आयोजन करवाए जा रहे हैं। इसके पीछे डॉ. शर्मा की खुद को कुलपति पद के लिए सबसे उपयुक्त दिखाने की कोशिश है, ऐसे ही आयोजन में पिछले दिनों जूलॉजी से जुड़ी एक संस्था ने उन्हें दो लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरुस्कार भी दिए गए।

डॉ. शर्मा की गतिविधियां देख लोग अचरज में हैं क्योंकि वे जितने संघ और भाजपा से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, वैसी कोशिशे तो भाजपा और संघ की करीब के लोग भी नहीं कर रहे।

क्या मिला है संघ का साथ !

खबरों की मानें तो डॉक्टर शर्मा अपनी इस नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेताओं की कृपा चाहते हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान डॉ. शर्मा संघ के कई कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं।

उन्होंने चित्रकूट में संघ के एक शिविर में भी भाग लिया। इसके अलावा वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मनाने की कोशिशें भी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने हाल ही में भोपाल और सलकनपुर की कई यात्राएं की। हालांकि संघ के बहुत से नेता डॉ. शर्मा के इन तौर तरीकों से बहुत खुश भी नहीं बताए जाते हैं।

वहीं स्थानीय भाजपा नेताओं की मौजूदगी वाले भंडारों, गरबों, फुटबॉल मैच के आयोजनों में भी कुलपति डॉ. शर्मा की उपस्थिति नियमित रही है। कई अख़बारों में इन आयोजनों की ख़बरों में उनका नाम देखा सकता है।

Rajesh Sonakar, BJP Indore
डॉ. राजेश सोनकर, भाजपा इंदौर के जिलाध्यक्ष

हालांकि भाजपा के जिलाध्यक्ष डॉ. राजेश सोनकर से जब हमने इस मामले के बारे में बात की जो उन्होंने साफ कहा कि “मुझे नहीं पता कि वहां कुलपति कौन है और न ही मैंने कभी उनसे संपर्क किया, न ही वे कभी मुझसे मिले ऐसे में मैं कैसे कह दूं कि भाजपा नेता किसी तरह से मदद कर रहे हैं!”

संघ के करीबी अख़बार के संपादक की भूमिका !

इसके अलावा इंदौर और महू के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कार्यक्रमों में भी डॉ. शर्मा कई बार देखे जाते हैं। वहीं वह इंदौर और भोपाल में भी संघ से जुड़े नेताओं से लगातार संपर्क में रहते हैं ताकि पूर्णकालिक कुलपति के रूप में उनका चयन हो जाए।

जानकारी के मुताबिक, इसके लिए डॉ. शर्मा ने संघ से जुड़े एक अख़बार के संपादक की मदद ली है। इन्हीं संपादक ने डॉ. शर्मा का नाम प्रदेश के भाजपा के कुछ बड़े नेताओं और मंत्रियों और इस विषय में सिफारिश कर सकने वाले लोगों तक पहुंचाया और उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलवाया। वे संपादक पिछले दिनों विवि के कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे।

इसे लेकर जब देशगांव के अरुण सोलंकी ने जब डॉ. शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने कहा…

सवाल: नए कुलपति की घोषणा कब तक होगी और क्या आप भी रेस में हैं?

जवाब: कुलपति पद की घोषणा तो राजभवन से ही होगी। इस रेस में मैं भी हूं क्योंकि मैं अच्छा काम कर रहा हूं और ऐसे में कुलपति बनने की चाह रखना गलत नहीं है। 

सवाल: खबरें हैं कि आप कुलपति बनने के लिए संघ और भाजपा नेताओं से खूब सिफारिशें लगा रहे हैं और उनके कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। इसके लिए आप चित्रकूट भी गए थे?

जवाब: देखिए यह सही नहीं है कि मैं कोई सिफारिशें लगवा रहा हूं और ना ही मैं भाजपा के कार्यक्रमों में शामिल हो रहा हूं लेकिन मैं संघ के कार्यक्रम में गया था क्योंकि वह एक शैक्षणिक कार्यक्रम था। इसमें कोई बुराई नहीं। 

तय माना जा रहा है कुलपति पद …

विश्वविद्यालय में डॉ. शर्मा के इन प्रयासों की जानकारी पूरी तरह आम है। ऐसे में यहां के कर्मचारी अब मान कर चल रहे हैं कि कि डॉ. शर्मा ही अब अगले कुलपति बनने जा रहे हैं।

गोपनीयता की शर्त पर विवि के एक कर्मचारी ने बताया कि सभी जानते हैं कि भाजपा और संघ के नेताओं का साथ मिलने पर कुलपति बनना तय हो जाता है, भले ही फिर आपके उपर कोई भी जांच क्यों न चल रही हो।

वे बताते हैं कि इससे पहले जबलपुर के विश्वविद्यालय में भी इसी तरह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. वीडी शर्मा के ससुर को कुलपति बनाया गया, फिर शहडोल के डॉ. शंभुनाथ शुक्ल विवि में भी इसी तरह भाजपा नेताओं को तरजीह दी गई। पिछले दिनों दैनिक भास्कर अख़बार ने इसे प्रकाशित किया था।

Ambedkar University Mhow, Anter Singh Darbarअ
अंतर सिंह दरबार, कांग्रेस नेता

इस मामले में हमने महू के पूर्व विधायक और जिला कांग्रेस के बड़े नेता अंतर सिंह दरबार से भी उनका पक्ष जाना। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश सरकार और भाजपा के काम जगजाहिर हैं। ऐसे में महू में ऐसा कुछ होना बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस विषय पर बहुत जानकारी नहीं है लेकिन बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को भाजपा लगातार खत्म कर रही है।



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