सूचना के अधिकार कानून का गला घोंटने पर आमादा है राज्य सरकार, हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी


सूचना आयुक्त ने ही कलेक्टर को कह दिया आवेदक की जांच करने के लिए


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जबलपुर Published On :

जबलपुर। सूचना के अधिकार का उपयोग करने वाले एक सरकारी शिक्षक पर ही अधिकारियों ने कार्रवाई करने की तैयारी कर ली क्योंकि उस शिक्षक ने आरटीआई में वह रिपोर्ट मांग ली थी जिसके आधार पर उसे निलंबित किया गया। इस मामले में सूचना आयुक्त ने भी सूचना देने को तो कहा लेकिन कलेक्टर को यह निर्देश भी दिए कि वे शिक्षक के खिलाफ़ विभागीय जांच करें।

अपना यह मामला लेकर टीकमगढ़ के शिक्षक विवेकानंद मिश्र हाईकोर्ट पहुंचे। उनकी ओर से उनके वकील दिनेश उपाध्याय ने दलीलें रखीं। मामले में कोर्ट ने सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने राज्य सूचना आयुक्त को हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने उनसे यह भी पूछा है कि किस नियम के तहत आवेदक को सजा दी गई और क्यों न इसके लिए उनसे हर्जाना वसूल कर याचिकाकर्ता को भुगतान किया जाए। कोर्ट ने जिला पंचायत टीकमगढ़ के सीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी व शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य आरके मेथ्यू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

वकील ने कोर्ट को बताया कि जब आवेदन पर जानकारी नहीं दी गई तो नियमानुसार दूसरी अपील मप्र सूचना आयोग से की गई। इसके बाद सूचना आयुक्त मध्य प्रदेश ने जानकारी दिलवाने में मदद तो की और 30 दिन के भीतर जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये लेकिन  इसी आदेश में  सूचना आयुक्त ने कलेक्टर टीकमगढ़ को आवेदक शिक्षक के खिलाफ़ विभागीय जांच करने के लिए कहा। आयुक्त ने माना था कि शिक्षक ने बदनीयती से आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल किया है।

इसके बाद शिक्षक ने सूचना आयुक्त के इसी आदेश को आधार बनाकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका  इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। शिक्षक की ओर से वकील दिनेश उपाध्याय ने कहा कि आरटीआई कानून के तहत आयुक्त को किसी भी स्थिति में अपीलार्थी को दंडित करने का अधिकार नहीं है।



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