विश्व ग्लूकोमा सप्ताह: देश में बढ़ रही गंभीर बीमारी, नियमित जांच से बचाव संभव


विश्व ग्लूकोमा सप्ताहः नरसिंहपुर पहुंचे राजस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश शर्मा से देशगांव की खास बातचीत।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
घर की बात Updated On :
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नरसिंहपुर। पूरे विश्व में 7 मार्च से 13 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है। भारत में तेजी से लोगों में ग्लूकोमा बढ़ रहा है जिससे आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है। इस मामले में लोगों को सजगता और सर्तकता बरतनी होगी। यह बात प्रख्यात नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शर्मा ने नरसिंहपुर प्रवास के दौरान कही।

राजस्थान के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शर्मा जबलपुर-नरसिंहपुर प्रवास पर थे। उनसे ग्लूकोमा अर्थात काला मोतिया या कालापानी के बारे में चर्चा की।

प्रस्तुत है डॉ. शर्मा से बातचीत के कुछ अंश – 

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प्रश्न- ग्लूकोमा अर्थात आंख का काला पानी या काला मोतिया क्या होता है? नेत्रों की रोशनी में इसका क्या प्रभाव है?

उत्तर- ग्लूकोमा आंख की गंभीर बीमारी है जिसमें आंख के अंदर का दबाब अर्थात इंट्राआक्यूलर प्रेशर बढ़ने लगता है जो आंख की एक विशेष नाड़ी जिसे ऑप्टिक नर्व कहते हैं उस पर दबाब पड़ता है जिससे यह नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है। मनुष्य की नजर धीरे-धीरे कम होने लगती है। आंखों में एक विशेष द्रव होता है जिसका प्रवाह एक निश्चित दिशा व रास्ते से होता है। इसमें कहीं भी रूकावट पैदा होने से ग्लूकोमा हो जाता है।

प्रश्न- किन-किन लोगों को ग्लूकोमा होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं?

उत्तर- 40 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे व्यक्ति जिन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मायोपिया जिसे हम निकट दृष्टि दोष भी कहते हैं या उन व्यक्तियों में जिनके परिवार में ऐसी हिस्ट्री हो जैसे उनके माता पिता, दादा-दादी, नाना-नानी आदि को यह बीमारी हो तो उन्हें ग्लूकोमा होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा जो लोग लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाओं का सेवन करते हैं। जिनकी आंखों में चोट लगती हैं उन्हें भी यह संभावना बनी रहती है।

प्रश्न- भारत में इसकी गंभीरता कितनी है?

उत्तर- देश में लगभग एक करोड़ व्यक्ति इससे पीड़ित हैं। लगभग चार करोड़ लोग संदेहात्मक ग्लूकोमा जिसे हम गल्कोमा सस्पेक्ट कहते हैं उससे पीड़ित हैं। जिन्हें इस बीमारी के होने की संभावना अधिक रहती है।

प्रश्न- कैसे मालूम हो कि किसी व्यक्ति को ग्लूकोमा है?

उत्तर- पहले तो यह कहना चाहूंगा कि प्रत्येक व्यक्ति जो 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग का है उसे अपने योग्य नेत्र चिकित्सक से समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। विशेष रूप से आंखों के दबाब की जांच। साथ ही एक छोटी सी जांच जो घर पर ही कर सकते हैं वह यह कि निश्चित दूरी पर बैठकर अपनी एक आंख को बंद कर दूसरी आंख से घर की दीवार पर लगी किसी घड़ी, कैलेंडर या तस्वीर को देखें फिर दूसरी आंख से ऐसे ही देखें। यदि आपको किसी एक आंख में बहुत कम दिखाई दे रहा है जो पहले से ठीक था तो उसमें एक संभावना हो सकती है कि आपको ग्लूकोमा है। तीसरा आप घर पर लगे किसी बिजली के बल्ब को देखने पर उसके चारों ओर एक रंगीन चक्र सा दिखता है तो आपको तुरंत जांच कराना चाहिए। हो सकता है आपको ग्लूकोमा हो।

प्रश्न- इसके इलाज के बाद सामान्य दृष्टि संभव है?

उत्तर- नहीं, ग्लूकोमा में जो नजर या दृष्टि चली जाती है उसे हम पुन: नहीं लौटा सकते परंतु ग्लूकोमा की गति और उसके और आगे बढ़ने को हम रोक सकते हैं।

प्रश्न- इसकी रोकथाम कैसे संभव है?

उत्तर- इसमें विभिन्न प्रकार के तरीके हैं जो ग्लूकोमा के प्रकार और श्रेणी तथा गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए हैं। इसमें आंखों के ड्रॉप, दवाईयां, आपरेशन, लेजर तथा ग्लूकोमा वाल्व आदि विधियां प्रमुख हैं।

प्रश्न- नेत्र दृष्टि बेहतर रहे इसके लिए और क्या बेहतर सुझाव हैं?

उत्तर- यह कि 40 वर्ष की आयु के बाद आप नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहें तथा नजर कम होने पर या बिजली के बल्ब आदि के चारों तरफ रंगीन चक्र की तरह महसूस हो तो तुरंत नेत्र चिकित्सक की सलाह लें। कभी-कभी ग्लूकोमा में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते या इतने कम होते हैं कि व्यक्ति को पता नहीं चलता कि उसे ग्लूकोमा है इसलिए इसे गुपचुप दृष्टि चुराने वाला चोर यानि साइलेंट स्टीलर ऑफ विजन भी कहते हैं। समय-समय पर अपनी दृष्टि की जांच कराएं। आंखों के दबाब की जांच कराएं। ग्लूकोमा के प्रति जागरूक रहें। तभी इस पर नियंत्रण संभव है।

अंधत्व निवारण फिल्म का प्रदर्शन –

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शर्मा ने यहां स्थानीय नेत्र अस्पताल में आम नागरिकों व मरीजों की उपस्थिति में अंधत्व निवारण पर एक फिल्म का प्रदर्शन किया जिसमें बढ़ रहे अंधत्व तथा नेत्र दान को लेकर लोगों को जागरूक किया गया।



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