गुरु नानक देव के दिए हुए मीठे पानी का कर्ज़दार है इंदौर


आज का संपन्न बेटमा क्षेत्र गुरु नानक देव के प्रयासों का नतीजा भी कहा जा सकता है। कहा जाता है कि इंदौर से होते हुए नानक देव इंदौर से बेटमा की ओर गए और यहां कुछ दिन रहे। इस इलाके में लोग पहले भेड़-बकरी चराते थे। नानक देव यहां लोगों को प्रवचन देते और लोग  गुरु नानक की सेवा करते उन्हें भेड़ का मीठा दूध पिलाते।


उमेश सोलंकी उमेश सोलंकी
सितारों की बात Updated On :
guru nanak gurudwara

इंदौर। सिख धर्म के पहले गुरू नानक देव साहब का इंदौर से भी ख़ास रिश्ता है। गुरु नानक देव ने प्रकृति का आदर सिखाया। उन्हें नदियों के किनारे भाए जहां आज सुंदर गुरुद्वारे हैं। नानक देव ने एक इलाके के लोगों को मीठा पानी दिया आज यह इलाका खेती की उपजाऊ जमीन के लिए जाना जाता है। नानक की सीख ही रही होगी कि इंदौर और मालवा के लोगों ने पानी का महत्व समझ लिया और यहां कुए बावड़ियों का निर्माण होता रहा।

गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी में चार उदासियां यानि यात्राएं की। उनकी दूसरी उदासी मालवा की धरती की ओर रही। ऐसा माना जाता है कि गुरू नानक अपने भगत त्रिलोचन के गांव बारसी होते हुए नासिक और ओंकारेश्वर पहुंचे। ओंकारेश्वर में उन्होंने दखणि ओंकार की वाणी का उच्चारण किया जो कि गुरूग्रंथ साहब में दर्ज है। नानक देव बुरहानपुर भी गए और यहां ताप्ती नदी के किनारे बैठे। आज भी यहां सुंदर गुरुद्वारा है।  इसके बाद नानक देव इंदौर आए। यहां उन्होंने खान नदी के किनारे इमली के पेड़ के नीचे पहली संगत की। आज यहां इमली साहब गुरुद्वारा है।

आज का संपन्न बेटमा क्षेत्र गुरु नानक देव के प्रयासों का नतीजा भी कहा जा सकता है। कहा जाता है कि इंदौर से होते हुए नानक देव इंदौर से बेटमा की ओर गए और यहां कुछ दिन रहे। इस इलाके में लोग पहले भेड़-बकरी चराते थे। नानक देव यहां लोगों को प्रवचन देते और लोग  गुरु नानक की सेवा करते उन्हें भेड़ का मीठा दूध पिलाते।

गांव का पानी बहुत खारा था और लोगों को पीने के पानी के लिए खासी परेशानी होती थी। पानी की समस्या हल करने के लिए उन्होंने एक जगह बताई और अपने एक अनुयायी से कहा कि सच्चे मन से यहां कुदाल मारो। कुदाल मारने के बाद यहां से मीठा पानी निकलने लगा। बाद में यहां पर बावड़ी बना दी गई।

इस बावड़ी से कई मान्यताएं जुड़ती चली गईं। गुरु नानक देव का दिया हुआ वही मीठा पानी था जो आज बेटमा कस्बे को एक कृषि संपन्न इलाके में बदल चुका है।

समय के साथ इंदौर की गुरूसिंघ सभा ने कच्ची बावड़ी को पक्का बनवाया और उसके उपर एक सुंदर गुरूद्वारे का निर्माण किया। बाद में यहां एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया गया। इस सरोवर में अमृत सरोवर, दिल्ली के गुरू हरकिशन गुरूद्वारे, आनंदपुर साहेब, पटना साहेब और हुजूर साहेब के सरोवरों का जल टैंकरों द्वारा बुलवाकर डाला गया। सिख धर्म के पांच पवित्र सरोवरों का जल बेटमा के सरोवर में है।







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