CRPF आतंकरोधी अभियानों में अब कर रही बुलेट-प्रूफ वाहन, वॉल-थ्रू राडार और ड्रोन का इस्तेमाल


आतंकरोधी अभियानों को और तीव्र गति देने के लिए सरकार ने हाल ही में CRPF को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया है।


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बड़ी बात Published On :
CRPF equipped with modern equipment for anti-terrorist operations

नई दिल्ली। भारत आतंकवाद के खिलाफ मुखर होने के साथ-साथ जरूरी कार्रवाई में भी और तेजी ला रहा है। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेन्स की नीति आगे बढ़ते हुए भारत ने वैश्वीक मंचों पर भी अपनी पक्ष को मजबूती से सबके सामने रखा है।

आतंकरोधी अभियानों को और तीव्र गति देने के लिए सरकार ने हाल ही में CRPF को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया है। इससे ना केवल CRPF को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी बल्कि सैनिकों को भी 180 डिग्री सुरक्षा उपलब्ध कराया जा सकेगा।

CRPF के आईजी ऑपरेशन एमएस भाटिया ने गुरुवार को कहा कि

बुलेट-प्रूफ वाहन, वॉल-थ्रू राडार और ड्रोन कश्मीर में सीआरपीएफ द्वारा अपने आतंक-रोधी अभियानों में शामिल किए गए कुछ नए गैजेट हैं, जो आतंकवादियों के खिलाफ सटीक-आधारित कार्रवाई के लिए अग्रणी हैं। इनमें से कई हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल पुलवामा में मंगलवार के ऑपरेशन में टीआरएफ के दो आतंकियों के खिलाफ किया गया।

सैनिकों के लिए 360 डिग्री सुरक्षा –

CRPF ने मंगलवार की मुठभेड़ में एक क्रिटिकल सिचुएशन रिस्पांस व्हीकल (सीएसआरवी) का इस्तेमाल किया, जो बुलेट प्रूफ है और इसका इस्तेमाल कमरे में हस्तक्षेप करने या दुश्मन को घेरने के लिए किया जा सकता है।

इसका टर्निंग रेडियस बहुत कम है। यह बुलेटप्रूफ है और इसका इस्तेमाल दीवारों पर चढ़ने के लिए किया जा सकता है। CRPF के पास बुलेट-प्रूफ जेसीबी भी हैं, जिनका उद्देश्य एक जैसा है।

सीएसआरवी और जेसीबी में एक फोर्कलिफ्ट पर बुलेट-प्रूफ केबिन लगा होता है ताकि सुरक्षाकर्मी खतरे के संपर्क में आए बिना दुश्मन के खिलाफ ऊंचाई का फायदा उठा सकें।

सीएसआरवी केबिन 180 डिग्री सुरक्षा प्रदान करता है जबकि जेसीबी बुलेट प्रूफ केबिन के अंदर सैनिकों के लिए 360 डिग्री सुरक्षा प्रदान करता है।

आतंकरोधी अभियानों में ड्रोन की भूमिका अहम –

CRPF के आईजी ने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्होंने घाटी में आतंक विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि ड्रोन कुछ ऐसा है जो हमारे काफिलों की आवाजाही के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों की निगरानी के लिए हमारे द्वारा तेजी से उपयोग किया जाता है। अमरनाथ यात्रा के दौरान भी ड्रोन का खूब इस्तेमाल होता है।

हम ऑपरेशनल परिदृश्यों में मुठभेड़ की स्थितियों का पता लगाने के लिए भी ड्रोन का उपयोग करते हैं, यह देखने के लिए कि दुश्मन कहां छिपा है या उसे बेअसर कर दिया गया है या नहीं।

जटिल ऑपरेशन में बढ़ा प्रौद्योगिकी का उपयोग –

आतंकरोधी अभियानों में शामिल किए गए उपकरणों में वॉल-थ्रू राडार और हैंड-हेल्ड थर्मल इमेजर्स जैसे अन्य गैजेट भी CRPF के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। इन उपकरणों ने जटिल ऑपरेशन में जवानों के लिए जोखिम को कम किया है।

CRPF आईजी ने कहा कि सीआरपीएफ ने 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद घाटी में पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीसीटीवी निगरानी जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है।

हमने एनएच पर 14 नाके बनाए हैं। सभी सीसीटीवी कैमरों से लैस हैं और फुटेज की जांच की जाती है तथा अधिकारियों द्वारा चौबीसों घंटे इसका विश्लेषण किया जाता है।

सीआरपीएफ के पास अब एमपी-5 राइफलें –

सीआरपीएफ द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों की बुलेट प्रूफिंग को बड़े पैमाने पर लिया गया है। इस विषय पर आगे बताते हुए सीआरपीएफ आईजी एमएस भाटिया ने कहा कि हमने एमपी-5 राइफलें खरीदी हैं लेकिन कुछ स्थितियों में कुछ खास हथियारों का इस्तेमाल होता है इसलिए एमपी-5 हथियार हमारे पास घाटी में जरूर हैं लेकिन हालात के हिसाब से ही इस्तेमाल किए जाते हैं। हम अपनी टेलीस्कोपिक बंदूकों का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन घाटी में हम जिन हथियारों का इस्तेमाल करते हैं उनमें एके-47 है।



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