ग्रीन एनर्जी को बढ़ावाः ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट परियोजना की शुरुआत कर रही भारतीय सेना


भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ उन अग्रिम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट परियोजना की शुरुआत कर रही है, जो राष्ट्रीय/राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं।


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नई दिल्ली। केंद्र सरकार सीमा पर भारतीय सेना की ताकत और सुविधाओं को बढ़ाने कि दिशा में निरंतर काम कर रही है। इसी क्रम में भारतीय सेना ने सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों को 24 घंटे हरित ऊर्जा से बिजली मुहैया कराने की योजना बनाई है।

दरअसल भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ उन अग्रिम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट परियोजना की शुरुआत कर रही है, जो राष्ट्रीय/राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं।

हाल ही में भारतीय सेना और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC REL) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस समझौते के तहत भारतीय सेना बिजली खरीद समझौते (PPA) के माध्यम से उत्पन्न बिजली खरीदने की प्रतिबद्धता के साथ 25 साल के लिए पट्टे पर आवश्यक भूमि उपलब्‍ध कराएगी।

फ्यूल सेल्स के माध्यम से प्राप्त होगी बिजली –

आपको बता दें कि प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए सेना और NTPC ने पूर्वी लद्दाख में संयुक्त रूप से जगह चिन्हित किए गए हैं और इन्हीं स्थानों पर Build, Own and Operate (BOO) मॉडल पर माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट स्थापित किये जाएंगे।

परियोजना में हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पानी के हाइड्रोलिसिस के लिए एक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जायेगा, जो फ्यूल सेल्स के माध्यम से बिजली प्रदान करेगा।

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में आएगी कमी –

भारतीय सेना ने कहा कि यह समझौता भविष्य में ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन में कमी के साथ जीवाश्म ईंधन आधारित जनरेटर सेट पर निर्भरता को कम करने में योगदान देगा।

आपको बता दें कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के साथ भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं को शुरू करने के लिए भारतीय सेना ने इस तरह का पहला समझौता किया है।

क्या है राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन –

मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात के लिए वैश्विक हब बनाना है। यह मिशन भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने और अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करेगा।

केंद्र और राज्य सरकारों के सभी संबंधित मंत्रालय, विभाग, एजेंसियां और संस्थान मिशन के उद्देश्यों की सफल उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित और समन्वित कदम उठाएंगे।

1,466 करोड़ रुपये की मंजूरी –

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम मोदी की अध्यक्षता में जनवरी, 2023 में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी।

मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं, जिसमें साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं।

50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का होगा उत्पादन –

केंद्र सरकार ने 2030 तक सालाना 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसको गति देने के लिए हाइड्रोजन से संबंधित उत्पादक और उपभोक्ता को एक छत के नीचे लाने के लिए हरित हाइड्रोजन केंद्र विकसित किया जाएगा।

इसके साथ ही राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन योजना से वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के देश के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।



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