‘अख़बारों और चैनलों ने एजेंडा चलाया और हमारी पढ़ाई छूटी’, गंगा जमना स्कूल के बच्चे अब मांग रहे न्याय


बच्चों के साथ अभिभावकों ने जिला कलेक्टर कार्यालय और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया और दमोह सांसद के बंगले पर जाकर एक पत्र के माध्यम से उन तक अपनी बात पहुचाई है।


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दमोह Updated On :
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भोपाल। दमोह के गंगा जमना स्कूल पर हिजाब से शुरु हुई कार्रवाई धर्मांतरण तक पहुंची और फिर संबंधित परिवार का पूरा कारोबार बंद करवा दिया गया।  एक पोस्टर में हिन्दू लड़कियों को हिजाब सरीख़े किसी कपड़े में दिखाने की यह सज़ा इस स्कूल के मालिकों को दी गई। इस बीच सरकार ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी और फिर इसे हाईकोर्ट ने भी सही माना। इन सब बातों के बीच उन हजारों बच्चों और उनके मां-बाप के बारे में किसी ने नहीं सोचा जिनके बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे थे। फिलहाल संचालक पुलिस के डर के मारे फरार हैं, शिक्षक जेल में हैं और  स्कूल बंद। अब इन बच्चों के पास पढ़ने के लिए कोई जगह नहीं है और ये सरकार से कह रहे हैं कि उन्हें न्याय दिया जाए, उनके शिक्षकों को जेल से निकाला जाए और उनका स्कूल खुलवाया जाए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अब तक मामले में कोई ठोस बात सामने नहीं आई है। विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के मुताबिक सरकार उनकी शिक्षा के लिए किया गया वादा भी पूरा नहीं कर सकी है। अब ये विद्यार्थी और उनके अभिभावक अधिकारियों, नेताओं के चक्कर लगा रहे हैं।

मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गंगा जमुना स्कूल की मान्यता हिजाब मामले के सामने आने के बाद स्कूल में अनियमितता के तहत निलंबित कर दी गई है, लेकिन अब निलंबन से परेशान स्कूल के बच्चे अपने स्कूल के समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं और जल्द से जल्द इसकी मान्यता बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं।

गंगा जमुना स्कूल की मान्यता जल्द से जल्द बहाल किए जाने के मांग को लेकर ये बच्चे जिला कलेक्टर कार्यालय, जिला शिक्षा अधिकारी और सांसद प्रह्लाद पटेल के निवास पर पहुंचे जहां उन्होंने अपनी मांगें रखीं।

दूसरी तरफ, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने एक हफ्ते के भीतर प्रदेश के शिक्षा विभाग को स्कूल की मान्यता संबंधित निर्णय देने का आदेश दिया है।

दमोह जिले के गंगा जमुना स्कूल में पढ़ने वाले ये छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और यही वजह है कि अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के साथ अब आंदोलन का रास्ता पकड़ चुके हैं।

दमोह कलेक्टर कार्यालय पहुंचे सैकड़ों बच्चे और उनके अभिभावक स्कूल को खोले जाने की मांग कर रहे हैं। दमोह जिले में सबसे अच्छा रिजल्ट देने वाले इस स्कूल की मान्यता हिजाब मामले में सुर्खियों में आने के बाद निलंबित है जिसे बहाल करने की पुरजोर मांग उठ रही है।

आंदोलन कर रहे इन्हीं छात्रों में शामिल अयान खान नामक छात्र का कहना है कि मीडिया के कुछ चैनल्स ने गलत मैसेज देकर हमारे स्कूल को बदनाम किया है। अगर हकीकत जानना है तो स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच करा ली जाए। उसका कहना था कि वह हरगिज किसी दूसरे स्कूल में नही पढ़ेगा, आंदोलन करेगा और अपना स्कूल खुलवाकर ही दम लेगा।

छात्रों के साथ-साथ इनके अभिभावक भी स्कूल की मान्यता जल्द से जल्द बहाल किए जाने को लेकर लामबंद हैं। इन अभिभावकों का कहना है कि इतनी कम फीस में इंग्लिश मीडियम की फैसिलिटी देने वाले स्कूल को जल्द खोला जाए।

इन अभिभावकों का कहना है कि उन्हें शासन की वैकल्पिक व्यवस्था कतई मंजूर नहीं कि हम अपने बच्चो को ऐसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाएं जहां न तो अंग्रेजी माध्यम के टीचर हैं, न उर्दू के। और तो और इन सरकारी स्कूलों में वो एक भी व्यवस्था नहीं जिनकी कमी बताकर गंगा जमुना स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई है।

ताजुल नाज़ और सिदरा अंजुम नामक छात्रा का कहना है कि हमारे स्कूल में कुछ कमी बताकर उसकी मान्यता निलंबित कर दी गई थी, जब स्कूल में सारी कमियों को पूरा कर दिया गया है तो हमारी स्कूल की निलंबित मान्यता बहाल कर दिया जाना चाहिए। हर दिन उनकी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है और वो केवल और केवल अपने गंगा जमुना स्कूल में ही पढ़ना चाहते हैं।

स्कूल अब हिन्दू और मुसलमान के बीच बट चुका है। स्कूल को पसंद करने वाले हिन्दू परिवार भी अब खुलकर नहीं बोल पा रहे, इनक परिवार बताते हैं कि उन पर सामाजिक रुप से दबाव है ऐसे में वे बोल नहीं सकते। हालांकि कई बच्चों ने आगे आकर बात की। पिछले दिनों एक छात्रा ने खुलकर कहा कि स्कूल में कभी हिजाब पहनने पर जोर नहीं दिया गया हालांकि इस छात्रा की बातें नहीं सुनी गईं।

मंगलवार को भी कई विद्यार्थियों ने ऐसी बातें कहीं लेकिन अब मामला इतना आगे बढ़ चुका है कि इन बच्चों की बात के किसी अधिकारी के लिए कोई मायने ही नहीं रह गए हैं।

इस दौरान बच्चों के साथ अभिभावकों ने जिला कलेक्टर कार्यालय और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया और दमोह सांसद के बंगले पर जाकर एक पत्र के माध्यम से उन तक अपनी बात पहुचाई है।

अब देखना होगा कि शिक्षा के मौलिक अधिकार की मांग करने वाले गंगा जमुना स्कूल के बच्चों को कब तक उनका स्कूल नसीब होता है या यूं ही उन्हें आगे भी आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।



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