किसान आंदोलनः किसान संसद में दर्शकों की तरह बैठकर किसानों को सुनते रहे राहुल गांधी सहित तेरह सांसद


राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी नेता जंतर-मंतर पहुंचकर कुछ देर तक किसानों के बीच बैठे और किसान नेताओं का भाषण सुना।


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उनकी बात Updated On :

नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच 22 जुलाई से जंतर-मंतर पर किसान संसद जारी है। शुक्रवार को यहां कांग्रेस के राहुल गांधी सहित तेरह अन्य सांसद किसान संसद में पहुंचे।

ये सभी सांसद किसान संसद में दर्शक के तौर पर पहुंचे और दर्शक दीर्धा में ही बैठे रहे। उपर किसान नेता भाषण दे रहे थे और असली सांसद दर्शक के तौर पर उन्हें सुन रहे थे।

इस मंच से किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई।  सभी सांसदों ने किसानों को अपना पूरा सर्मथन दिया। यहां किसानों ने व्हिप जारी किया है कि इस किसान संसद में किसान के मुद्दों के अलावा कोई चर्चा नहीं की जाएगी।

हालांकि किसानों के इस प्रदर्शन पर मोदी सरकार के मंत्री कोई खास गंभीर नहीं हैं। मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इसे तमाशा बताया तो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष के  किसान संसद में जाने को ‘मीडिया इवेंट’ कहा।

उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी दल किसानों के मुद्दों को लेकर ईमानदार होते तो संसद में चर्चा करते। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।

राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी नेता जंतर-मंतर पहुंचकर कुछ देर तक किसानों के बीच बैठे और किसान नेताओं का भाषण सुना।

किसान संगठनों द्वारा आयोजित ‘किसान संसद’ में भाग लेने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों ने किसानों के प्रति अपना पूरा समर्थन जताया है और वे तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर कायम हैं।

किसान संसद में पहुंचने वाले सांसदों में  राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, द्रमुक नेता तिरुची शिवा, शिवसेना के संजय राउत, राजद के मनोज झा, भाकपा के विनय विश्वम, माकपा ई. करीम, समाजवादी पार्टी के एसटी हसन और अन्य विपक्षी नेता शामिल थे।

आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा कि अगर खड़गे की अगुवाई में विपक्षी नेता जंतर-मंतर जाते तो उनकी पार्टी पहुंचती, लेकिन वो राहुल गांधी की अगुवाई में वहां नहीं जा सकती।

उन्होंने यह दावा भी किया कि सरकार सदन में विपक्ष को नहीं सुनना चाह रही और पेगासस के मामले पर चर्चा नहीं करा रही है।

 



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