“तरक्की अगर सीएम की वजह से तो बदहाली के भी वही ज़िम्मेदार” शिक्षक भर्ती के लिए 23 दिसंबर को भोपाल में जुटेंगे हजारों युवा


11 साल बाद आई है भर्ती, 1.94 लाख अभ्यर्थी पास कर चुके हैं परीक्षा और सरकार दे रही 18 हजार को नौकरी, इससे दस हजार एसटी वर्ग के लिए


DeshGaon
उनकी बात Updated On :

भोपाल। शिक्षक भर्ती के लिए युवाओं का संघर्ष लगातार जारी है। वर्ग तीन में युवाओं ने 51000 पद की मांग की है। इनके मुताबिक आने वाले 23 दिसंबर को प्रदेश के दस हजार युवा इस मांग के साथ भोपाल में जुटेंगे और वहां विधानसभा तक जाएंगे। इन युवाओं ने अपनी तैयारियां शुरु कर दी हैं। इस लड़ाई में उनका साथ दे रहा है भर्ती सत्याग्रह करने वाला संगठन नेशनल एज्युकेटेड यूथ यूनियन। इस यूनियन के झंडे तले तृतीय वर्ग के शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले ये युवा भोपाल में जुट रहे हैं।

भोपाल में होने वाला यह जमावड़ा बड़ा हो सकता है क्योंकि प्रदेश के बेरोजगारों में वर्ग तीन के बेरोजगारों का यह सबसे बड़ा गुट है। वर्ग तीन में कुल उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या ही 1.94 लाख है और ये सभी अपनी-अपनी नौकरी के लिए काफी समय से इंतज़ार कर रहे हैं। सरकार के अब तक के रवैये को देखते हुए इन अभ्यर्थियों को लग रहा है कि उनके पास यह नौकरी हासिल करने का आख़िरी मौका है। इसके लिए यह युवा लगातार एकजुट हो रहे हैं और दूसरे संगठनों से मदद मांग रहे हैं। प्रदर्शन के लिए   आह्वान करने वाले एक युवा कहते हैं कि प्रदेश में शिक्षा की स्थिति खराब है लेकिन सरकार इसे मानने को तैयार नहीं है और प्रदेश की तरक्की के लिए अगर मुख्यमंत्री जिम्मेदार हो सकते हैं तो बदहाली की जवाबदेही भी उनकी ही होनी चाहिए।

प्रदेश में शिक्षा विभाग के आंकड़ों को लेकर खुद राज्य सरकार भी कटघरे में है। प्राईमरी स्कूलों में फिलहाल 1.25 लाख शिक्षकों की कमी है। यह आंकड़े खुद सरकार के ही हैं। जो पिछले काफी समय से सुर्ख़ियों में बने हुए हैं।

प्रदेश के सरकारी स्कूल बदहाल हैं। 2357 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं तो वहीं 8307 स्कूल के विद्यार्थी केवल एक शिक्षक के सहारे पढ़ रहे हैं। वहीं एक नई जानकारी यह है कि प्रदेश के 25 लाख बच्चों में से 97 प्रतिशत अक्षर भी बनीं पहचानते। ऐसे में मप्र की सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है।

एमपी के स्कूल शिक्षा की मीडिया रिपोर्ट

इन युवाओं ने अपनी इस मांग को पूरी करने के लिए अपने-अपने इलाकों के नेताओं को भी मिलना शुरु कर दिया है और उन्हें अपनी मांग का सर्मथन करने के लिए कह रहे हैं। युवाओं का तर्क है कि सरकार केवल 18 हजार शिक्षकों की भर्ती कर रही है और वह भी 11 साल बाद। ऐसे में बेरोजगार युवाओं की संख्या भी बढ़ चुकी है और शासन द्वारा जारी की गई नियुक्तियां इसके सामने नकाफी हैं।

इन युवाओं का गुस्सा बेवजह नहीं है। ये कहते हैं कि लगातार बेरोजगार रहना परिवार और समाज में भी उनके लिए मुश्किल हो रहा है। युवाओं को एकजुट रहने का आह्वन करने के लिए एक वीडियो अपलोड करने वाले मंगल सिंह कहते हैं कि युवाओं की परेशानी को समझना ज़रूरी है। वे कहते हैं कि युवा बेरोजगारी से परेशान हैं लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।

मुरैना के मंगल सिंह बताते हैं कि कई युवा इतने डिप्रेशन में हैं कि आत्महत्या करने तक की सोच रहे हैं और सरकार अगर इनका ध्यान नहीं रखती है तो भविष्य में ये होना बड़ी बात नहीं है और अगर ऐसा होता है तो कहीं न कहीं सरकार भी इसके जवाबदार होगी क्योंकि मुख्यमंत्री पिछले कई बार शिक्षकों की नियुक्तियां करने की बात कहते रहे हैं और उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया, वहीं मुख्यमंत्री अगर प्रदेश की खुशहाली के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं तो बदहाली की जिम्मेदारी भी उन्हें ही लेनी चाहिए।

दरअसल सरकार ने इन युवाओं के लिए करीब 18 हजार पद निकाले हैं और इनमें से करीब चार हजार पद अतिथि शिक्षकों को दे दिए गए हैं और करीब 11 हजार पद एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए करीब दस हजार पद आरक्षित किए गए हैं ऐसे में बाकी पद एससी, ओबीसी, जनरल वर्ग के अभ्यर्थियों के बीच बांटे जाने हैं। ऐसे में इन अभ्यर्थियों के लिए कुल कितने अवसर होंगे इसे समझना मुश्किल नहीं।

 



Related