किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है कि सोयाबीन की ये नई किस्म


भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) में विकसित हुआ है NRC 150, किसान कम रकबे में लगाकर इसके बीज कर रहे हैं तैयार


आशीष यादव आशीष यादव
विविध Updated On :
धार जिले के खेतों में लहलहा रही है सयोबीन की नई किस्म NRC 150 जिसे हालही में विकसित किया गया है।


इलाके में सोयाबीन की फसल का रकबा काफी बड़ा है। हर साल बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। इस साल बारिश की अनियमितता के चलते फिर सोयाबीन उत्पादक किसान सोयाबीन के पौधों में रोग संबंधी कुछ परेशानियां देख रहे हैं। इसी तरह की परेशानियों को दूर करने के लिए  सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में विकसित की गई इसकी नई किस्म किसानों को काफी लुभा रही है।

आज आधुनिक समय के साथ आधुनिक तरीके से खेती करता किसान बदलते युग के साथ बदलती किसानी के अंतर्गत जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर गांव बिलोदा के किसान राहुल भाकर उन्नत खेती का तरीका लोगों को सिखाकर एक से बढ़कर एक वैरायटी लोगों के बीच लाकर खेती को लाभ का व्यवसाय बना रहे है। इसमें एक वैरायटी एनआरसी 150 है जिसे किसानों ने काफी कम रकबे में उन्होंने लगाया है। हालांकि वे इसके बारे में लोगो को खूब जागरुक कर रहे हैं। राहुल भाकर जमीनी स्तर पर लोगों को इसकी जानकारी दे रहे हैं वे बता रहे हैं कि इस वैरायटी से किसानों को क्या लाभ है और कैसे उत्पादन में फायदा होगा।

धार जिले के किसान राहुल भाकर अपने सोयाबीन के खेत में

राहुल यह भी बताते हैं कि कैसे यह वैरायटी किसानों की आमदनी दोगुनी कर सकती है। पहली बार राहुल भाकर ने एक किलो बीज लेकर इस वैराइटी की बुवाई की थी जो बढ़ते हुए दो हेक्टियर में लगाई है। किसान थोड़ी-थोड़ी मात्रा में यह वैरायटी  बिलोदा, अनारद,काजीपुरा,मगोद,सकतली तीसगांव आदि गांवों में लगा रहे हैं। यहां के किसान एक दो या पांच किलो बीज लगाकर इसके बीज बना रहे है।

सोयाबीन की एनआरसी 150 की विशेषता: बाजार में इस वैरायटी की मांग ऐसे बढ़ी  कि लोग दूर-दूर से उनके पास बीज लेने के लिए आ रहे हैं। किसान कहते हैं कि यह वैरायटी 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। उन्हें इसका उत्पादन 5 से 7 क्विंटल प्रति बीघा से अधिक उत्पादन मिला है वहीं किसान प्रकाश मंडलोई ने बताया कि  सोयाबीन की सैकड़ों वैरायटी हैं मगर यह वैरायटी नई आई है। जिससे बाजार में लोग इस बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लगाएंगे। इस वैरायटी के फायदे ज्यादा हैं वहीं फसल में कीटनाशकों का प्रकोप भी कम रहता है जिससे उत्पादन अच्छा आता है। सोयाबीन की उंचाई 75 सेमी तक होती है।

हार्वेस्टर से काटना  वैराइटी:  सोयाबीन 150 की वैरायटी बाजार में नई है ऐसे में किसान इसका फिलहाल कम उपयोग कर रहे हैं। वहीं आज सबसे बड़ी परेशानी मजदूरों की है। किसान बताते हैं कि  हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी खेतों में ही कई क्विंटल फसल खराब हो जाती है मगर यह वैरायटी ऐसी है जिसे निकालने के लिए हार्वेस्टर की मदद ली जा सकती है। किसान कहते हैं कि सोयाबीन की फल्लियां चटकने की कोई समस्या नहीं होती है और 8 इंच के पौधे में ही फल्लियां होती है जिसे आसानी से हार्वेस्टर से काटा जा सकता है।

NRC 150 सोयाबीन की नई किस्म है।

सोयाबीन की विशेषता: किसानों की दूसरी बड़ी परेशानी फसलों में लगने वाली बीमारी है लेकिन NRC 150 में इसकी समस्या भी कम है। खेती में सबसे अहम खर्च आजकल कीटनाशकों का है जो बहुत महंगे हो चुके हैं। इसके बावजूद फसल को बचाने की गारंटी नहीं है। वहीं NRC 150 कम बीमारी वाली सोयाबीन है इसमें पीला मोजेक, स्टेम फ्लाय आदि रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। वहीं इस सोयाबीन में मुख्य तौर पर ऐसी बीमारियां दिखती ही नहीं।

यह किस्म NRC 150 गंध रहित: सोयाबीन की प्राकृतिक गंध पसंद नहीं आने के कारण कई लोग इससे बने खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं, लेकिन इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकालते हुए सोयाबीन की अनचाही गंध से मुक्त किस्म NRC विकसित करने में कामयाबी हासिल की है। आसान शब्दों में  कहें तो इससे बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी। IISR के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन का मप्र के लिए एनआरसी सोयाबीन की किस्में ‘एनआरसी 150’ किस्म प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है और कुपोषण दूर करने के लक्ष्य के साथ विकसित की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनचाही गंध से मुक्त होने के कारण सोयाबीन की इस किस्म से बने खाद्य पदार्थों का आम लोगों में इस्तेमाल बढ़ेगा।

 

कम वर्षा में प्रतिकूल उत्पादन: कई किसान इस वैरायटी को गर्मी में लगाकर बीज पैदावार कर रहे हैं वहीं यह वैरायटी कम पानी में भी पकाने लायक है। यह प्रतिकूल मौसम की वजह से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति के कारण सोयाबीन की खेती में करने में कठिनाई आती जा रही है। सोयाबीन की फसल में फैलने वाले रोग एवं कम वर्षा के कारण सोयाबीन की पैदावार प्रभावित होती है। जिसके चलते किसानों की आय प्रभावित हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब सोयाबीन की कई ऐसी किस्में इजाद की है, जो कम वर्षा में भी अच्छा उत्पादन देगी।

 

यह सोयाबीन बहुत अच्छी वैराइटी है जो 90 से 95 दिन में पककर तैयार होती है। यह मौसम अनुकूल सोयाबीन है और इसका 5 से 7 क्विंटल प्रति बीघा उत्पादन होता है। पिछले साल बीज कम था, इस बार इसकी बुआई किसानों ने अपनी सहुलियत के हिसाब से की है। वे 5 किलो 10 किलो बीज लगाकर आगे के लिए बीज तैयार कर रहे हैं।

          डॉ जीएस गठिया, कृषि वैज्ञानिक केंद्र, धार

 

 

नई वैरायटी है यह थोड़े-थोड़े रकबे किसानों ने अपने हिसाब से लगाई है। अच्छे किसानों ने इसकी बुआई की है। इसका उत्पादन भी अच्छा है कृषि विभाग के अधिकारी भी इसकी खेतों में जाकर इसे देख रहे हैं।

          संगीता तोमर, सहायक संचालक कृषि विभाग धार



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