राजगढ़ः बिना रजिस्ट्रेशन चल रहा था सीएचएल एमडी अस्पताल, दसवीं फेल नर्स व अप्रशिक्षित दाई कर रहे थे इलाज


अस्पताल में एक भी चिकित्सक के दस्तावेज सही नहीं मिले, कलेक्टर ने बनाई जांच समिति, जल्द होगी एफआईआर। अस्पताल में दसवीं फेल नर्स, अप्रशिक्षित दाई, बिना रजिस्ट्रेशन चिकित्सक, बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर मिलने पर अस्पताल सील कर दिया गया है।


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भोपाल Published On :
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राजगढ़। राजगढ़ जिले के खुजनेर रोड स्थित सीएचएल एमडी अस्पताल की कारगुजारियां सामने आने के साथ ही इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है।

जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने अस्पताल की जांच के लिए एसडीएम पल्लवी वैद्य के नेतृत्व में जांच समिति बनाई है और इसकी जांच रिपोर्ट मिलते ही संचालक और इलाज करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा। अस्पताल संचालक तनवीर वारसी के पुराने अपराधिक प्रकरणों की भी जांच-पड़ताल शुरू हो गई है।

जानकारी के मुताबिक, राजगढ़ जिले सीएचएल अस्पताल में गुरुवार को कलेक्ट्रेट में पदस्थ स्टेनो अजय नकवाल की पत्नी की डिलीवरी हुई और कुछ देर बाद ही नवजात की मौत हो गई।

इसके बाद परिजनों ने प्रशासन से शिकायत की तो राजगढ़ एसडीएम पल्लवी वैद्य जांच करने अस्पताल पहुंचीं। मौके पर पहुंचीं एसडीएम को वहां भर्ती तीन अन्य महिलाओं ने बताया कि उनकी भी डिलीवरी के बाद बच्चों की मौत हो गई।

इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर्स-कर्मचारियों की डिग्री और योग्यताओं की जांच-पड़ताल की गई तो वहां अप्रशिक्षित नर्स व स्टाफ द्वारा इलाज करने की बात सामने आई, जिसके बाद अस्पताल को प्रशासन ने सील कर दिया।

जांच में सामने आया कि एक साल से संचालित सीएचएल एमडी अस्पताल का रजिस्ट्रेशन ही नहीं था और एक माह पहले ही उसका रजिस्ट्रेशन कराया गया है।

इस अस्पताल में इलाज कर रहे डॉ. साहिल और डॉ. विनोद शर्मा अपनी डिग्री और रजिस्ट्रेशन नहीं दिखा सके। अस्पताल संचालक तनवीर वारसी पर कुछ साल पहले संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने अस्पताल की जांच के लिए समिति बना दी है। समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

अस्पताल में दसवीं फेल नर्स, अप्रशिक्षित दाई, बिना रजिस्ट्रेशन चिकित्सक, बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर मिलने पर अस्पताल सील कर दिया गया है।

जैसे ही स्थानीय लोगों को इस फर्जीवाड़े का पता चला। अस्पताल के बाहर काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए और उन्होंने अस्पताल संचालक और इलाज करने वालों फर्जी डॉक्टर्स व कर्मियों पर रासुका लगाने की मांग की।

अस्पताल में मरीजों का डाटा भी नहीं रखा जाता था। आशंका है कि अप्रशिक्षित व फर्जी डॉक्टरों के कारण कई नवजातों की जान साल भर में गई होगी। एक सप्ताह में ही चार नवजातों की मौत अस्पताल की लापरवाही से हो चुकी है।

निजी अस्पताल की अनियमितता की जांच प्रशासन कर रहा है। जांच रिपोर्ट मिलते ही संबंधित लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

– प्रदीप शर्मा, एसपी, राजगढ़



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