नामांकन की आखिरी तारीख़ ही परीक्षा फार्म का भी आखिरी दिन


प्रदेश सरकार द्वारा बजट उपलब्ध न कराए जाने से विश्वविद्यालय पूरा खर्च सिर्फ छात्र-छात्राओं की परीक्षा शुल्क और महाविद्यालयों से लिए जाने वाले शुल्क पर ही आश्रित हो गया है।


शिवेंद्र शुक्ला शिवेंद्र शुक्ला
छतरपुर Updated On :

छतरपुर। जिले में संचालित महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि छतरपुर में स्थित विश्वविद्यालय इस पिछड़े क्षेत्र  के छात्र-छात्राओं की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर कार्य करेगा और उसका फीस स्ट्रक्चर भी उसी के मुताबिक बनाया जाएगा। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा बजट उपलब्ध न कराए जाने से विश्वविद्यालय पूरा खर्च सिर्फ छात्र-छात्राओं की परीक्षा शुल्क और महाविद्यालयों से लिए जाने वाले शुल्क पर ही आश्रित हो गया है।

नामांकन हुए नहीं कि परीक्षा फार्म भरने की आ गई तारीख – इस सत्र में कोरोना की वजह से प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया लंबी चली थी और यही वजह है कि अभी तक सभी छात्रों के नामांकन भी पूरे नहीं हो पाए हैं। एक तरफ छात्र नामांकन कराने में उलझे हैं तो वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय में परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी है।

एक अचरज भरी बात यह भी है 19 फरवरी 21 नामांकन कराने की आखिरी तिथि है जो कि विलंब शुल्क 150 रूपए के साथ है तो वहीं परीक्षा आवेदन भरने की तिथि भी 19 फरवरी रखी गई है।

कियोस्क संचालक बताते हैं कि नामांकन फार्म भरे जाने के चार दिन बाद तक भी छात्र का परीक्षा फार्म जनरेट नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में यदि छात्र 150 रूपए विलंब शुल्क के साथ 19 फरवरी को ही नामांकन कराता है तब भी उसे परीक्षा फार्म 750 रूपए की लेट फीस के साथ भरना पड़ेगा।

परीक्षा का कोई प्लान नहीं लेकिन 750 लेट फीस लेकर भरे जाएंगे फार्म

आमतौर पर छात्रों की परीक्षाएं अप्रैल माह में शुरू की जाती हैं लेकिन कोरोना की वजह से इस बार प्रवेश प्रक्रिया नवंबर माह तक  चली थी इसके बाद हाल ही में नामांकन फार्म भरने का सिलसिला शुरू हुआ। यह सिलसिला खत्म ही नहीं हो पाया कि विश्वविद्यालय ने सिर्फ पैसे की आमद की खातिर परीक्षा फीस लेने का मन भी बना लिया।

यही वजह है कि परीक्षा के कोई दिशा-निर्देश भी जारी नही हुए हैं लेकिन परीक्षा फार्म भरने की आखिरी तारीख भी घोषित हो चुकी है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भी परीक्षा संबंधी कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। यानि कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि छात्रों की परीक्षाएं किस माह में होंगी और किस पद्धति से परीक्षाएं कराई जाएंगी।

ऐसे में अगर एक बार फिर से घर में बैठकर परीक्षा कराए जाने के निर्देश आते हैं ऐसी स्थिति में छात्रों से इतनी तगड़ी परीक्षा फीस वसूल करना निश्चित तौर पर विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी ही कही जाएगी। गौरतलब है कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा फाइनल की परीक्षाएं इसी पद्धति से कराए जाने का निर्णय लिया जा चुका है।

प्रथम वर्ष के परीक्षार्थियों को परीक्षा फार्म भरने के लिए सिर्फ 10 दिन का समय

आमतौर पर विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखकर कम से कम 15 दिन का समय सामान्य शुल्क सहित परीक्षा फार्म भरने के लिए दिया जाता है। उसके बाद विलंब शुल्क शुरू की जाती है।

पूर्व के दिनों में विश्वविद्यालयों द्वारा विलंब शुल्क 150 रूपए या 250 रूपए से प्रारंभ होकर क्रमश: 500 रूपए और 750 रूपए पहुंचती थी लेकिन महाराजा छत्रसाल  बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में पैसों की तंगी के चलते मात्र 10 दिन का समय देकर छात्रों से विलंब शुल्क के नाम पर सीधे 750 रूपए वसूले जा रहे हैं।

कई बार दूरदराज के छात्रों को समय पर सूचना न मिल पाने के कारण वे सामान्य शुल्क में परीक्षा फार्म नहीं भर पाते हैं। ऐसी स्थिति में मात्र 150 या 250 रूपए की शुल्क के साथ आगामी 5-7 दिनों में अपनी प्रक्रिया पूर्ण कर लेते थे लेकिन अब विश्वविद्यालय द्वारा सभी तरह की परीक्षाओं में विलंब शुल्क सीधे 750 रूपए कर दिया गया है।

छात्रों ने शुल्क कम करने और तिथि बढ़ाए जाने की मांग की – विश्वविद्यालय के अंतर्गत पढऩे वाले तमाम छात्रों ने ली जा रही फीस को लेकर परेशानी जताई है। छात्रा कल्पना का कहना है कि कोरोना की वजह से घर का सारा काम चौपट है और पढ़ाई भी जारी रखना है लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा और लेट फीस के नाम पर मनमानी शुल्क वसूल की जा रही है।

एक और छात्रा शबनम का कहना है कि हमें उम्मीद थी कि छतरपुर का विश्वविद्यालय हमारी आर्थिक स्थिति और परेशानियों को समझकर शुल्क का प्रारूप तय करता लेकिन छतरपुर विश्वविद्यालय द्वारा ली जाने वाली परीक्षा और विलंब शुल्क पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है जबकि यह क्षेत्र पिछड़े क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

भोपाल उच्च शिक्षा विभाग से दिए गए निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय काम कर रहा है। परीक्षा और नामांकन की तिथि भी उसी के अनुरूप जारी की गई है।

टीआर थापक, कुलपति, छत्रसाल यूनिवर्सिटी छतरपुर

विश्वविद्यालय को प्रथम वर्ष के परीक्षा फार्म की सामान्य शुल्क के साथ तारीख बढ़ाई जानी चाहिए। सिर्फ 10 दिनों के बाद विलंब शुल्क 750 रूपए लेना गलत है। अगर तिथि नहीं बढ़ाई गई तो विद्यार्थी परिषद आवाज उठाएगा।

अंकिता विश्वकर्मा, प्रांत कार्यकारिणी अभाविप, छतरपुर

विश्वविद्यालय सिर्फ गरीब छात्रों के पैसों से चल रहा है। उनसे मनमानी फीस वसूल की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रबंधन को चाहिए कि सामान्य शुल्क के साथ फार्म भरने की तिथि बढ़ाई जाए और शुल्क भी कम किया जाए अन्यथा एनएसयूआई आंदोलन करेगा।

राजवर्धन मिश्रा, एनएसयूआई अध्यक्ष