बगैर टेंडर मिले ही इवेंट कंपनी ने करवा दिया मांडू उत्सव, मंत्री उषा ठाकुर को भी गुमराह करने से नहीं चूके अधिकारी


सरकार और विभाग इस इवेंट कंपनी पर कितनी मेहरबान है कि जो ऑनलाइन टेंडर हुए व बिना प्रकिया पूरी किए ही कंपनी को काम करने दिया गया।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
mandu utsav event company

धार। पांच दिवसीय मांडू उत्सव भले ही समाप्त हो गया हो लेकिन इवेंट कंपनी ई-फैक्टर से जुड़े विवाद खत्म नहीं हो रहे हैं। लोगों के बीच यह चर्चा है कि सरकार की इससे ज्यादा क्या उदारता होगी कि मांडू उत्सव उस कंपनी ने संपादित कर दिया जिसको उसे करने के लिए ऑर्डर नहीं दिया गया था।

आज 13 जनवरी तक भी उक्त टेंडर ऑनलाइन प्रक्रिया मे पूर्ण नहीं बताया जा रहा है। सरकार और विभाग इस इवेंट कंपनी पर कितनी मेहरबान है कि जो ऑनलाइन टेंडर हुए व बिना प्रकिया पूरी किए ही कंपनी को काम करने दिया गया।

म.प्र. पर्यटन बोर्ड द्वारा मांडू उत्सव के लिए 6 दिसंबर को ऑनलाइन टेंडर जारी किया गया था जिसकी 15 दिसंबर को अंतिम तारीख निधारित की गई थी। दो कंपनियो ने इस टेंडर में भाग लिया था।

पहली थी ई-फैक्टर और दूसरी कंपनी थी लल्लु जी एंड संस, जिन्होंने टेंडर भरा था लेकिन शर्तों के आधार पर बड़ी चतुराई से विभाग के आला अधिकारियो ने ई-फैक्टर को लाभ पहुंचाने की नीयत से 50 प्रतिशत अंक प्रेजेंटेशन के लिए निर्धारित किए गए।

बताया जा रहा है कि यह नियम इसलिए जोड़े गए ताकि यह अंक अधिकारियों द्वारा अपनी चहेती कंपनी को दिया जा सके और उन्होंने यह 50 अंक अपनी चहेती ई-फैक्टर इवेंट कंपनी को दिए भी।

काम करने के पहले ही दे दी 70 प्रतिशत राशि –  

किसी सरकारी टेंडर में किसी सरकारी विभाग किसी कंपनी को 70 प्रतिशत राशि कार्य के पहले एडवांस देने का प्रावधान नहीं रखा जाता लेकिन इवेंट कंपनी को जमकर लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से टेंडर में यह उदार शर्त भी रख दी गई ताकि चहेती इवेंट कंपनी को कार्य पूर्ण करने के पहले ही बड़ा अमाउंट मिल जाए।

यह अनोखी शर्त म.प्र. पर्यटन निगम ने रखने का दुस्साहस किया अन्यथा कभी भी शासकीय स्तर पर ऐसी अनोखी शर्त नहीं रखी जाती, लेकिन विभाग के कर्ताधर्ताओं को शासन के नियम से क्या लेना-देना। उन्हें तो अपनी चहेती ई-फैक्टर को लाभ जो पहुंचाना था।

खत्म हो गया आयोजन लेकिन ऑनलाइन नहीं खुला टेंडर – 

मांडू उत्सव का टेंडर भी कम विवादित नहीं रहा और 12 जनवरी को जब मांडू उत्सव एक दिन पहले समाप्त हो गया है और अभी तक सिर्फ ऑनलाइन टेंडर की तकनीकि बिट ही खोली गई जबकी वित्तीय बिट अभी तक खोलने का कष्ट नहीं उठाया गया है।

जब वित्तीय बिट नहीं खोली गई तो यह माना जाता है कि टेंडर की प्रकिया पूर्ण नहीं हुई है। साइट पर अभी भी वित्तीय बिट नहीं खोली गई है यानी कि आजादी के बाद यह पहला ऐसा मामला सामने आया है कि बगैर टेंडर खोले ही कंपनी को काम दे दिया गया।

जिस काम के लिए टेंडर खोला जाना था, उस टेंडर को कार्य पूर्ण होने के बाद भी खोलने की जहमत नहीं उठाई गई है। अभी भी ऑनलाइन टेंडर नहीं खोला गया। इससे बड़ी उदारता और क्या होगी कि जब टेंडर प्रक्रिया ही नहीं पूरी अपनाई गई तो इवेंट कंपनी को 70 प्रतिशत राशि कैसे दे दी गई?

मंत्री को भी कर दिया गुमराह – 

इन अधिकरियों के हौंसले कितने मजबूत हैं यह इस बात से समझा जा सकता है कि विभाग की मंत्री उषा ठाकुर को भी गुमराह करने से नहीं हिचके, उन्हें भी विभाग के इस काले-पीले कारनामे की खबर नहीं लगने दी गई।

जब उद्घाटन करने मंत्री आई तो वहां के लोगों ने कंपनी की हठधर्मिता और मांडू उत्सव की सार्थकता पर सवाल उठाए थे जिसपर मंत्री ने पत्रकारों से चर्चा में कहा था कि मैंने इवेंट कंपनी को डांट पिलाई है।

मंत्री ठाकुर तो यहां तक बोल गईं थी कि छः दिन पहले ही कंपनी को ऑर्डर मिला इसलिए परेशानी आ रही है। अगली बार हम टेंडर प्रक्रिया छः महीने पहले कर देंगे।

हालांकि, मंत्री को यह भी नहीं मालूम है कि टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं अपनाई गई और विभाग ने अपनी चहेती कंपनी को काम दे दिया।

खास बात यह है कि 7 जनवरी को मंत्री ने कहा कि छः दिन पहले ही ऑर्डर दिया यानी कि 1 जनवरी को ऑर्डर कंपनी को मिलना था, लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा की कंपनी को कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी ऑर्डर नहीं देकर कार्य करवाकर आर्थिक लाभ से नवाज दिया गया।

पर्यटकों को होना पड़ा परेशान –

करोड़ों रुपये खर्च कर मांडू उत्सव तो करवा दिया लेकिन घूमने आये पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा और यहां आने वाले लोगों को यहां महलों तक जाने में ठंड में भी पसीने छूट गए।

ऐसा इसलिए क्योंकि मांडू उत्सव की वजह से सड़क मार्ग में परिवर्तन किया गया था जिससे पहली बार आने वाले पर्यटकों को परेशान होना पड़ा जबकि सागर जिले से घूमने आये पर्यटक को दो घंटे तक इधर से उधर चक्कर लगाना पड़े।

कुछ खास नहीं था इस बार –

मांडू उत्सव के नाम पर करोड़ों खर्च करने वाली इवेंट कंपनी इस बार कुछ खास नहीं कर पाई। धार से घूमने गए अमन पटेल व उनके मित्रों ने बताया कि न तो इस बार कोई अच्छा डेकोरेशन था इस बार न ही कोई व्यवस्थाएं थीं।

न तो कोई खास एक्टिविटीज थी मैनेजमेंट कंपनी द्वारा। कंपनी ने पूरा का पूरा पैसा खा लिया है इस बार के आयोजन में और मांडू उत्सव बिल्कुल ही फ्लॉप रहा है।



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