कांग्रेस की हुई नगर पालिका पीथमपुर, बिगड़ते रहे भाजपा के गणित, अशोक पटेल और वैष्णव को निराशा


दोनों दलों ने आखिरी समय में अपने उम्मीदवार तय किये, सेवंती बाई पटेल बनीं अध्यक्ष


अनवर खान अनवर खान
धार Updated On :

धार। जिले की सबसे ज्यादा चर्चित नगर पालिका पीथमपुर में अध्यक्ष का चुनाव बेहद अप्रत्याशित रहा। इस चुनाव के परिणाम ने सबको चौंका दिया। यहां ज्यादा पार्षद कांग्रेस के थे लेकिन डर था भाजपा के नेताओं से जो यहां अब तक हावी रहे हैं। ऐसे में पहली बार पार्षद बनी सेवंती बाई अध्यक्ष चुन ली गईं। दिलचस्प रहा कि कांग्रेस के सभी पार्षदों ने एक जुट होकर उनका साथ दिया वहीं भाजपा के अशोक पटेल की अध्यक्ष बनने की इच्छा इस बार भी पूरी नहीं हो सकी। वहीं सबकी नज़रें अब तक अध्यक्ष पति और नपा के अघोषित अध्यक्ष रहे संजय वैष्णव पर थी लेकिन इस बार उनके राजनीतिक दांव-पेंच काम नहीं आए।

नगर पालिका परिषद का पहला सम्मेलन सोमवार को हुआ। पीथमपुर एसडीएम और पीठासीन अधिकारी रोशनी पाटीदार की अध्यक्षता में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए। नगर परिषद अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस की ओर से सेवंती सुरेश पटेल और भाजपा की ओर से अशोक पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। दोनों ही उम्मीदवार निर्वाचन से ठीक पहले तय किए गए थे। दोनों उम्मीदवारों ने नामांकन प्रस्तुत किए और जांच प्रक्रिया के बाद पहले अध्यक्ष पद हेतु मतदान हुआ। मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतों की गिनती की गई कांग्रेस की  सेवंती बाई पटेल को 16 मत मिले और भारतीय जनता पार्टी के अशोक पटेल को 14 मत मिले। इनमें से एक एक मत निरस्त हो गया।

इस तरह वार्ड नंबर सात से पहली बार पार्षद बनी सेवंती बाई सुरेश पटेल पीथमपुर नगर पालिका की अध्यक्ष विजय घोषित की गई। इसी तरह नगर परिषद उपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस प्रत्याशी वार्ड 15 से पार्षद पप्पू असोलिया और भाजपा की ओर से सागौर के वार्ड 21 की पार्षद रचना रंजीत भंडारी ने नामांकन पेश किया था। उपाध्यक्ष पद के निर्वाचन में कांग्रेस के पप्पू असोलिया को 17 मत मिले। इस तरह वे उपाध्यक्ष चुने गए।

इन नतीजों के बाद कांग्रेसियों ने चैन की सांस ली क्योंकि भाजपा की ओर से उन्हें डर लगातार सता रहा था और फिर शुरु हआ जश्न। कांग्रेस के निवृतमान जिलाध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम, कुलदीप सिंह बुंदेला, जिलाध्यक्ष कमल किशोर पाटीदार,  महेश परमार, देपालपुर विधायक विशाल पटेल, निर्मल मेहता सोमवार को सुबह ठीक 10 बजे से ही इन चुनावों के लिए पहुंच गए थे। इनके साथ कांग्रेस पार्षद भी थे। इसके कुछ देर बाद भाजपा के पार्षद भी पहुंच गए।

उल्लेखनीय है कि पीथमपुर नपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस में कई पार्षदों के नाम चर्चा में थे लेकिन अंतिम समय में जब भाजपा की ओर से अशोक पटेल का नाम आया तो कांग्रेस ने पटेल के सामने पटेल का ही दांव चल दिया।

सभी कांग्रेसी पार्षदों ने एक मत होकर सेवंती पटेल वोट किया हालांकि एक वोट निरस्त होने से 16 वोट कांग्रेस को और 13 बीजेपी और एक निर्दलीय पार्षद मिलाकर बीजेपी प्रत्याशी अशोक पटेल को 14 वोट मिले।

 

अध्यक्ष पद के उम्मीदवार में अचानक हुए इस बदलाव से कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पार्टी के इस निर्णय से नाराज भी रहे। वहीं क्षेत्र की दृ्ष्टि से सागौर और मंडलावदा क्षेत्र के पार्षदों में भी नाराजगी देखी गई। दरअसल अध्यक्ष पद के लिए महिला पार्षद को उम्मीदवार बनाने के पीछे कांग्रेस के दोनों गुट और अध्यक्ष के पति सुरेश पटेल सभी पर्यवेक्षक और प्रभारियों की पसंद रहे।

कांग्रेस नेता सुरेश पटेल का हुआ स्वागत

सेवंती बाई के पति इलाके के पुराने और निष्ठावान कांग्रेसियों में गिने जाते हैं। सुरेश पटेल पूर्व पार्षद रहे हैं और पिछली परिषद में उनके पुत्र विपुल पटेल पार्षद चुने गए। विपुल का काम उनके वार्ड के लोगों को खासा प्रभावित करता रहा। ऐसे में उन्होंने अपनी मां की जीत में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस जीत के बाद अब क्षेत्र में कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ेगा।

नगर पालिका पीथमपुर के अध्यक्ष चुनाव में भाजपा से अशोक पटेल और कांग्रेस से सेवंती बाई पटेल भले ही अलग-अलग दल से हैं लेकिन एक ही परिवार से आते हैं। इससे पहले इसी परिवार के भाजपा के देवेंद्र पटेल भी अध्यक्ष रहे हैं।

संजय वैष्णव का अधिकार होगा खत्म!

इस बार कांग्रेस से कहीं ज्यादा अंतर्कलह भाजपा में दिखाई दे रही थी। दरअसल शुरू से ही संजय वैष्णव अध्यक्ष पद के दावेदार माने जा रहे अशोक पटेल का विरोध कर रहे थे। वे पार्टी नेताओं के सामने तक जाकर ये दावा कर चुके थे कि अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो वे कांग्रेसी पार्षदों तक को अपने साथ ले आयेंगे। इस तरह अशोक पटेल को अपनी उम्मीदवारी लाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।

संजय वैष्णव

दरअसल संजय नगर पालिका से अपना अधिकार छोड़ना नहीं चाहते थे। पिछली अध्यक्ष उनकी पत्नी कविता वैष्णव थी और तब संजय ही नपा पर पूरा कंट्रोल रखते थे। उनके जानने वाले कहते हैं कि नगर पालिका पीथमपुर ने इस सामान्य से नेता को असामान्य ऊंचाई दे दी थी। जाहिर है ऐसे में संजय वैष्णव अपनी जगह कभी छोड़ना नहीं चाहेंगे। हालांकि ऐसा होता है या नहीं यह कहना मुश्किल है क्योंकि नगर पालिका के ज्यादातर कर्मचारी उनके करीबी रहे हैं। भ्रष्टाचार के कई आरोपों के साबित होने के बाद भी इन कर्मचारियों और अधिकारियों पर कभी कार्रवाई नहीं हुई।



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