नायक टंट्या भील को पूजने पातालपानी पहुंचे राज्यपाल और मुख्यमंत्री


जयस और कांग्रेसी नेता भी पहुंचे यहां, लोगों ने कहा कि आदिवासी वोट की चिंता है इसकी वजह


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

इंदौर। आदिवासी नायक टंट्या भील के शहीदी दिवस पर पातालपानी में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कई भाजपा नेता शामिल हुए। इस दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने ट्रेन की पटरी के किनारे बने उस मंदिर में पूजा की जहां खुद टंट्या भील अपने जीवनकाल में पूजा करते थे। अब इस मंदिर में खुद उनकी भी एक मूर्ती लगी हुई है। इसके अलावा पातालपानी क्षेत्र में ही अष्टधातु से बनी टंट्या भील की एक प्रतिमा का भी अनावरण किया गया।

सरकार ने फैसला किया है कि अब हर साल पातालपानी पर इसी तरह का मेला लगेगा। इसके साथ ही यहां कई विकास कार्य भी किये जाएंगे। जिन पर करीब साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

इस आयोजन में करीब दस हजार के आसपास लोग पहुंचे। प्रशासन ने इसके लिए बसों से लोगों को लाने के इंतजाम किये थे वहीं नेताओं ने भी अपने-अपने इलाकों से लोगों को बुलवाया था। मंच पर नेताओं ने टंट्या भील के परिजनों का भी सम्मान किया।

अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला और भारतीय जनता पार्टी को आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा हिमायती बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने केवल एक ही परिवार का भला किया है और किसी का नहीं। इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का भी नाम लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में अब देश के सभी उन नायकों का सम्मान किया जाएगा जिन्होंने आज़ादी के लिए संघर्ष किया और अब तक उन्हें वह सम्मान नहीं दिया गया जिसके वे हकदार हैं।

करीब डेढ़ घंटे तक चले इस कार्यक्रम में प्रशासनिक व्यवस्था तो चुस्त-दुरुस्त नजर आई लेकिन इस दौरान कोरोना का डर प्रशासन को कहीं भी परेशान नहीं कर रहा था। भीड़ को न तो किसी तरह से मास्क पहनने या शारिरिक दूरी बरतने के लिए कहा जा रहा था और न ही यहां पहुंचे नेता या अधिकारी खुद ही इसे लेकर चिंतित दिखाई दिये।

कार्यक्रम के बाद बड़ी संख्या में जयस के नेता और कार्यकर्ता भी यहां पहुंचे। इनमें से कुछ ने बताया कि उन्हें इस सरकारी आयोजन से कोई लेना-देना नहीं है वे तो अपनी जाति के गौरव टंट्या भील के प्रति अपने निष्ठा लेकर यहां आए हैं और हर बार आते रहे हैं। आदिवासी समुदाय के बहुत से लोगों ने इसे भाजपा की एक राजनीतिक कोशिश बताया। उनके मुताबिक इसका मकसद भाजपा से छिटक रहे आदिवासी वोटों को हांसिल करना है।

लोगों की राय…

धार से आए प्रताप सिंह ने कहा कि अब सीएम साहब को अपने ही राज में सत्रह साल बाद टंट्या मामा की याद क्यों आ रही है तो खरगोन से पहुंचे युवा दिलीप ने बताया कि पार्टी कोई भी हो आदिवासियों का इतना ख्याल केवल केवल वोट की राजनीति है जिसे हर पार्टी ने समय-समय पर अपनाया और छोड़ा है।

टंट्या भील के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम ने आदिवासी वोट की राजनीति के लिए लड़ाई तेज कर दी है। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम खत्म होने के बाद यहां बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता भी पहुंचे। इनमें कांग्रेस के विधायक प्रताप गिरवाल, डॉ. हीरा लाल अलावा, पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार, धार के जिलाध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम भी थे। बताया जाता है कि अब भाजपा के सामने कांग्रेस भी आदिवासियों को रिझाने के लिए काम करने जा रही है।

 



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