इंफेंट्री स्कूल में संत एंथोनी की 130 वीं जयंती पर मनाया गया नोवेना पर्व


दो साल पुराना है चर्च, इस बार इंफेंट्री स्कूल में नाम और अन्य जानकारी भी दर्ज करवाने के बाद मिला प्रवेश


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर। महू छावनी क्षेत्र में ईसाई समाज द्वारा चमत्कारी संत एंटोनी का नौ दिनी नोवेना पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस पर्व का समापन मंगलवार की शाम संत एंथोनी के डोले की परिक्रमा के साथ समाप्त हुआ। इस पर्व में देश के अनेक राज्यों से आए अनुयायियों ने माथा टेक कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इंफेंट्री स्कूल के घोड़खाता चर्च पर संत एंथोनी में अहम आयोजन हुआ। पर्व की शुरुआत से ही चर्च में प्रार्थना व आराधना कार्यक्रम जारी थे। अंतिम दिन मंगलवार को हजारों की संख्या में ईसाई समाज के समाज बंधुओं ने यहां आकर प्रार्थना की तथा मन्नत के धागे बांधे।

संत एंथोनी का डोला लेकर पहुंचे अनुयायी

मंगलवार को संत एंथोनी की 130 वीं जयंती मनाई गई। हर साल संत एंथोनी जयंती का यह कार्यक्रम दो सौ साल पुराने घोड़खाता चर्च में होता है। चर्च पहले रहवासी क्षेत्र में  था लेकिन बाद में सेना द्वारा क्षेत्र का अधिग्रहण कर लिया गया और अब यह इलाका छावनी क्षेत्र में है। नोवेना पर्व के दिन ही अब यहां अनुयायियों को आने की अनुमति दी जाती है इस वर्ष अनुयायियों को यहां आने के लिए मुख्य द्वार पर अपना नाम दर्ज कराना पड़ा।

मंगलवार को चर्च में पहुंचे अनुयायी

संत एंथोनी को चमत्कारी संत माना जाता है। उनके बारे में काफी मान्यताएं हैं। इस पर्व को लेकर समाज बंधुओं में काफी गहरी आस्था है यहां आने वालों में महू इंदौर खंडवा-देवास-झाबुआ के अलावा महाराष्ट्र, मुंबई, गुजरात और राजस्थान से भी अनुयायी आते हैं। अंतिम दिन कई अन्य मन्नत पूरी होने पर संत एंथोनी का डोला लेकर आते हैं इस पर्व का समापन शाम को होता है।

 

अंतिम दिन सुबह पवित्र मिस्सा बलिदान वह प्रार्थना की गई।  मिस्सा बलिदान विकास जनरल जी जॉन तथा पल्ली पुरोहित फादर थामस राजमणिकूम ने संपन्न कराई।

कहा जाता है कि संत एंथोनी का जन्म पुर्तगाल में हुआ था 36 वर्ष की अल्पायु में 13 जून 1232 को उनका निधन हो गया था। संत एंटोनी के जीवन काल में चमत्कारी घटनाएं हुईं थी जिसके लिए वे प्रसिद्ध हुए।



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