रक्षा संपदा विभाग की कार्रवाई का जमकर विरोध, सैन्य ज़मीन से गुमटियां हटाईं लेकिन बड़ी दुकानों का निर्माण जारी


रक्षा संपदा विभाग के अधिकारी और आम लोगों के बीच तीखी बहस, लोगों ने कहा कि सैन्य जमीनों पर करोड़ों की बेकरी बन रहीं हैं लेकिन अधिकारियों की नज़र छोटी गुमटियों पर ही क्यों है, क्या बड़े दुकानदारों को अतिक्रमण की छूट है।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
रक्षा संपदा विभाग के अधिकारी अजय दीवाने से सवाल-जवाब करते भाजपा के अमित जोशी


इंदौर। महू तहसील के सैन्य इलाके में मंगलवार दोपहर खासा हंगामा देखने को मिला। यहां लोगों ने रक्ष संपदा विभाग के लोगों का खासा विरोध किया।

विभाग के लोग एक सैन्य बंगले की ज़मीन पर से कुछ छोटी-छोटी गुमटियां हटा रहे थे। इस दौरान दुकान मालिक आ गए और उन्होंने इसका कारण पूछा।

रक्षा संपदा विभाग के अधिकारियों ने अपने पास मौजूद कागज़ दिखाए लेकिन लोगों ने कहा कि यदि ऐसा है तो उन्हें पहले से सूचना देकर आना चाहिए था ताकि वे अपने लिए इंतज़ाम कर पाते।

विवाद की शुरुआत तो हो चुकी थी लेकिन अभी काफी कुछ बाकी था। गुस्साए लोग रक्षा संपदा विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे थे।

लोगों ने सवाल उठाना शुरु किया कि पास में ही रक्षा संपदा विभाग की जमीनों पर जो बड़े निर्माण हो रहे हैं उन पर विभाग क्यों कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस पर विभाग के लोग जवाब देने में कतराने लगे। इसके बाद लोगों का विरोध बढ़ता रहा।

इस दौरान पुलिस भी मौजूद थी लेकिन उन्हें भी नहीं पता था कि विभाग के अधिकारियों और लोगों के बीच दूरी कैसे बनाएं क्योंकि यहां मौजूद छोटी दुकानों के मालिक अब रुहांसे हो गए थे और अपना कुसुर पूछ रहे थे। ऐसे में पुलिसकर्मी उन पर किसी तरह की सख्ती भी नहीं कर पा रहे थे।

मौके पर हंगामा बढता देख कुछ स्थानीय नेता भी इन गुमटी वालों का पक्ष लेने पहुंचे। उन्होंने कई बार रक्षा संपदा विभाग के अधिकारियों से कार्रवाई न करने की अपील की लेकिन अधिकारी नहीं मानें। इस दौरान नेताओं को सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में अंदर करवाने की धमकी दी गई।

आखिरकार विरोध बढ़ता देख रक्षा संपदा के अधिकारी और कर्मचारी मौके से पीछे हट गए और चले गए। हालांकि लोगों का विरोध जारी रहा। यहां पहुंचे अधिकारी अजय दीवाने की गाड़ी की चाबी भी किसी ने निकाल ली और बाद में उन्हें पैदल ही अपने कार्यालय की ओर जाना पड़ा।

लोगों ने अपनी दुकानें फिर लगाईं। उन्होंने कहा कि हमारा अस्थाई कामकाज है उसे कभी भी हटाया जा सकता है लेकिन रक्षा संपदा की जमीनों पर जिन लोगों ने करोड़ों रुपये खर्च करके बड़े निर्माण किए हैं उन्हें कैसे छोड़ा जा रहा है। यह पूरी तरह अन्याय है।

दरअसल यहां के लोगों की शिकायत दो बेकरी की दुकानों को लेकर थी। इनमे से एक बेकरी बन रही है और दूसरी यहां वर्षों से स्थापित है ।

यह दोनों ही रक्षा संपदा विभाग की जमीनों पर हैं। जो नई बेकरी बनाई जा रही है उसके मालिक ने बड़ी रकम में यह ज़मीन खरीदी है और इस पर काफी खर्च कर इसे आर्कषक बनाया जा रहा है।

यह सर्वे नंबर 127 की जमीन है जिस पर रक्षा संपदा विभाग की चेतावनी का बोर्ड पहले से ही लगा हुआ लेकिन फिर भी इस जमीन का सौदा हो गया और इस पर पिछले तीन महीने से निर्माण खुलेआम जारी है।

इस निर्माण पर न तो रक्षा संपदा विभाग के अधिकारी ही ध्यान दे रहे हैं और न ही छावनी परिषद द्वारा इसकी औपचारिक रिपोर्ट रक्षा संपदा को भेजे जाने की खबर है। ऐसे में यह दुकान मालिक केंद्र सरकार और सैन्य ज़मीनों के विभागों को मुंह चिढ़ाते हुए निर्माण कर रहा है।

इस मामले में जब रक्षा संपदा के अधिकारी अजय दीवाने से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन बड़ी दुकानों के मामले कोर्ट में चल रहे हैं। हालांकि सर्वे नंबर 127 की जिस जमीन पर बेकरी बन रही है वहां पहले भी रक्षा संपदा विभाग ने कई बार अतिक्रमण हटाए हैं लेकिन इस बार कोर्ट की दलील दी जा रही है।

इसे लेकर रक्षा संपदा विभाग की छवि क्षेत्र में खासी खराब हुई है लेकिन विभागीय अधिकारी इसे लेकर चिंतित नहीं हैं। अब शहर के लोग इस मामले में स्टेशन कमांडर के कार्यालय में जाकर शिकायत करने का मन बना रहे हैं। इस मामले में लोगों ने  पीएमओ, रक्षा मंत्रालय और रक्षा संपदा विभाग के प्रमुख अधिकारियों तक शिकायत पहुंचाने की भी बात कह रहे हैं।

 



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