शंकराचार्य ने फहराया तिरंगा, देश के स्वतंत्रता दिवस की तिथि अब 16 जुलाई


भारतीय पर्व क्यों नहीं भारतीय तिथियों के हिसाब से मनाए जाते, भारत इसी दिन स्वतंत्र हुआ था।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

नरसिंहपुर। अक्सर सुर्खियों में रहने वाले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक और नई बात की है। उन्होंने रविवार 16 जुलाई को देश का स्वतंत्रता दिवस मनाया और तिरंगा फहराया । इसके पीछे उनका तर्क था कि श्रावण माह की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के इसी दिन इसी भारतीय तिथि को हमारा देश आजाद हुआ था तो सभी देशवासियों को भारतीय तिथि के अनुसार ही स्वाधीनता दिवस मनाना चाहिए।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में चातुर्मास कर रहे हैं। यह उनका पहला चातुर्मास है। मेला प्रांगण में राष्ट्रध्वज फहराते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत की स्वतन्त्रता तिथि श्रावण माह,कृष्ण चतुर्दशी है, आज ही की तिथि को भारत देश आजाद हुआ था।

शंकराचार्य ने कहा कि यह इस देश की विडम्बना ही है कि भारत में आज भी अंग्रेजी तिथि के अनुसार राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है। भारतीयता की स्थापना के लिए हमारे पूर्वजों ने जिस अंग्रेज और अंग्रेजियत को हटाया वह आज भी हमारे सत्ताधीशों के द्वारा चलाई जा रही है।

रविवार को तिरंगा फहराकर शंकराचार्य ने मनाया स्वतंत्रता दिवस

शंकराचार्य ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस देश में नेता लोग इस बात को नहीं समझते हैं कि भारतीय तिथियों में भारत के पर्व मनाए जाते हैं क्योंकि रामनवमी, जन्माष्टमी और महाशिवरात्रि के दिन इसी देश में विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में तिथि अनुसार ही अवकाश दिया जाता है परन्तु हमारे राष्ट्रीय पर्व को आयोजित करने के लिए अंग्रेजों के बनाए ग्रेगोरियन कैलेण्डर का आधार लिया जाता है।

उन्होंने कहा कि जब भारत के पास अपनी समृद्धशाली काल गणना की परम्परा विद्यमान है तो हमें इस पर गौरव करना चाहिए। कोई कारण नहीं कि हमें दूसरों की पद्धति को अपनाना पड़े। भारत के लोग भारतीय होने में ही गौरव का अनुभव करते हैं। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के चित्र का पूजन और फिर ध्वजोत्तोलन किया।  इस मौके पर जगद्गुरुकुलम् के वैदिक बटुकों ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया।



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