डेवलेपमेंट अल्टरनेटिव और ग्राम वाणी के साथ ग्रामीण-कस्बाई इलाकों की ये महिलाएं बनी हैं बिजनेस लीडर


डेवलपमेंट एंड अल्टरनेटिव मोबाइल वाणी के साझा कार्यक्रम कौन बनेगी बिजनेस लीडर में चयनित हुई है 50 महिलाएं, इन्हें बिजनेस के गुर सिखाने के साथ दी जा रही है आर्थिक सहायता


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घर की बात Updated On :

महिला सशक्तिकरण क्या है इसके कई जवाब हो सकते हैं। इनमें से एक है महिलाओं का अपने मन का काम करना, व्यापार करना। आज के माहौल में यह कोई बहुत अचरज भरी बात नहीं है लेकिन ग्रामीण भारत में इसकी कल्पना अगर नामुमकिन नहीं तो थोड़ी मुश्किल ज़रूर है।

बुंदेलखंड की कई महिलाओं को इन दिनों कुछ ऐसा ही करने का मौका मिला है। यह मौका उन्हें कुछ संस्थाओं ने मिलकर दिया है या ये कहें कि इन संस्थाओं के दिए मंच पर इन जुझारू महिलाओं ने खुद को साबित किया है।

बुंदेलखंड इलाके में झांसी जिले की बबीना में रहने वाली तीस वर्षीय महिला छन्नो कला अपनी सहेलियों के बीच एक लीडर की तरह हैं। वे अपनी साथी इन महिलाओं को हिम्मत देने का काम करती हैं। ये सभी महिलाएं एक स्व सहायता समूह चलाती हैं। आजकल इस समूह की महिलाएं खासी व्यस्त हैं। दरअसल इन महिलाओं ने अपने हाथ एक ऐसा काम लिया है जो बुंदेलखंड के इलाकों में महिलाएं नहीं करती। ये महिलाएं एक ढाबा चलाती हैं, एक शाकाहारी ढाबा।

छन्नो कला को उनके शाकाहारी ढाबे के बिजनिस आइडिया के लिए पहला पुरुस्कार मिला है।

छन्नो कला बताती हैं कि उनके समूह की महिलाओं का यह ढाबा एकदम शाकाहारी है। यहां वे लहसुन और प्याज़ तक का उपयोग नहीं करती हैं। वे बताती हैं कि उनके ढाबे पर चिल्ली पनीर और चाउमीन जैसे खानों की मांग है हालांकि फिलहाल मुनाफा बहुत कम है लेकिन थोड़ा और प्रयास किया जाए तो यहां व्यापार चल सकता है और सभी को अच्छी आय हो सकती है वर्ना नुकसान होगा।

बुंदेलखंड और इसके समाज को समझने वाले जानते होंगे कि यह साधारण सा सुनाई देने वाले व्यवसाय इन महिलाओं की कितनी कितनी बड़ी जीत है।

सामाजिक विकास के लिए उधम की राह दिखाने वाली जानी मानी संस्था डिवलमेंट अल्टरनेटिव और ग्रामीण कस्बाई इलाकों में तकनीक के जरिए लोगों मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें शसक्त बनाने वाली संस्था ग्रामवाणी ने पिछले दिनों झांसी जिले में कौन बनेगी बिजनेस लीडर नाम का एक कार्यकम शुरू किया था, जिसके तहत कई महिलाओं को उनके बिजनेस आइडिया साझा करने को कहा गया। महिलाओं को बताया गया कि उनके अच्छे व्यवसायिक विचार को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाएगी।

छन्नो कला बताती हैं कि दिसंबर के महीने में उन्होंने अपने मोबाइल पर मोबाइल वाणी से आए एक फोन पर इस कार्यक्रम के बारे में सुना। कुछेक बार सुनने के बाद समूह की दूसरी महिलाओं को बताता और इसी दौरान प्रक्रिया को समझा फिर अपना बिजनेस आइडिया यहां रिकार्ड किया।

महिलाओं तक यह संदेश पहुंचाने और उनके बिज़नेस आइडिया सुनने के लिए ग्रामवाणी का मोबाइल वाणी सेवा की मदद ली गई। इस सेवा के तहत संस्था से जुड़े स्वयंसेवियों की सहायता से समुदायों के बीच पहुंचा गया और वहां की महिलाओं इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी गई। इन महिलाओं को मोबाइल वाणी के माध्यम से अपने बिज़नेस आइडिया रिकार्ड करने के लिए प्रेरित किया गया था।

इसके बाद जिले की हजारों महिलाओं ने झांसी मोबाइल वाणी पर फोन किया और इस बारे में जानकारी ली। मोबाइल वाणी के मुताबिक तय अवधि तक उनके पास 600 महिलाओं ने अपने बिज़नेस आइडिया रिकॉर्ड किए थे। इन्हीं में से छन्नों, नीलम, रचना और भारती जैसी महिलाएं शामिल थीं। इन्होंने अपने बिजनिस आइडिया यहां साझा किए।

भारती सेन ने यहां स्थानीय स्तर पर साड़ियों को लोगों के घर जाकर बेचने और खरीदने का आइडिया दिया था।

कुल रिकॉर्ड हुए बिजनेस आइडिया में 134 का चयन पहले दौर के लिए हुआ और अंतिम प्रक्रिया तक करीब 50 महिलाएं शेष रहीं। जिन्हें अब उनके बिजनेस आइडिया को शुरू करने के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी।

इन महिलाओं के बिजनेस आइडिया का चुनाव करने के लिए स्थानीय समाजसेवियों अधिकारियों और विशेषज्ञों की एक जूरी को जिम्मेदारी दी गई थी। इस जूरी में शामिल झांसी की कृषि विज्ञान केंद्र की निदेशक डॉ निशा राय ने बताया कि उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने के बाद काफी अचरज हुआ क्योंकि उन्हें अंदाजा नहीं था कि ग्रामीण परिवेश में रहने वालीं ये महिलाएं व्यवसाय को लेकर इतनी समझदार हैं। राय रहती है कि अमूमन हम बुंदेलखंड में महिलाओं को सामाजिक रूढ़ियों में बंधा हुआ देखते हैं लेकिन यहां स्थिति एकदम अलग थी महिलाओं को मंच मिला तो वह आगे आई और उन्होंने अपने व्यवसायिक नजरिए पर खुलकर बात की।

छन्नो कला के अलावा रचना का भी आइडिया चुना गया है जिन्होंने शैक्षणिक संस्थाओं के नजदीक फास्ट फूड बनाकर बेचने का काम शुरू किया है। वहीं रचना सेन ने लोगों के घर घर पहुंचकर साड़ियां बेचने, नीलम ने होम मेड ताज़ा अदरक और लहसुन का पेस्ट बनाकर घर घर पहुंचाने का बिज़नेस आइडिया दिया था। इन सभी पचास महिलाओं को अब डेवलपमेंट अल्टरनेटिव की ओर से आर्थिक मदद की जाएगी।

इस कार्यक्रम से इन महिलाओं की सामाजिक हिचक टूटी है, इन्होंने खुलकर अपने व्यवसायिक विचार लोगों के सामने रखे।

छन्नो कला को अपना ढाबा शुरू करने के लिए फिलहाल 40 से 50 हज़ार रु की आर्थिक मदद दी जा रही है इसी तरह दूसरी महिलाओं को भी उनके व्यावसायिक खर्च के अनुरूप आर्थिक मदद की जा रही है।

इस संस्था ने इन सभी महिलाओं को स्थानीय स्तर पर व्यापार करने के सही तरीके भी सिखाए। मोबाइल वाणी संस्था के माध्यम से इन महिलाओं को अपने विचार खुल कर रखने का प्रशिक्षण दिया गया। छन्नो कला ने हमें बताया कि वे अपने विचार मोबाइल पर का पाई यही वजह रही कि वे इस प्रतियोगिता में सफल होकर कुछ हासिल कर पाई हैं। वह कहती है कि आर्थिक सहायता बेहद मायने रखती है और इसके साथ ही यह आत्मविश्वास जो उन्हें और दूसरी महिलाओं को यह सफलता हासिल करने के बाद मिला है।

 

 

 



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