नई तकनीक से 30 सेकंड में कर सकेंगे ‘दूध का दूध और पानी का पानी’


दूध की शुद्धता का परीक्षण करने के लिए पारंपरिक प्रयोगशाला-आधारित विधियों, जो महंगी और समय लेने वाली हैं, उनकी तुलना में यह तकनीक अपेक्षाकृत किफायती है।


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नई दिल्ली। खाद्य पदार्थों में मिलावट आज एक चुनौती बन गई है। दुध में कई जगहों पर मिलावट पाई गई और इसके कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भारतीय शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण बना लिया है, जो दूध का दूध और पानी का पानी’ कहावत को सच कर देगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित उपकरण की सहायता से दूध का परीक्षण घर पर भी आसानी से किया जा सकता है और शुद्धता मापी जा सकती है।

यह एक पोर्टेबल उपकरण है, जो 3डी पेपर के उपयोग से बनाया गया है। इससे महज 30 सेकंड के भीतर दूध में मिलावट का पता लगा सकता है।

यह यूरिया, डिटर्जेंट, साबुन, स्टार्च, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, सोडियम-हाइड्रोजन-कार्बोनेट और नमक सहित मिलावट के लिए आमतौर पर उपयोग होने वाले पदार्थों का पता लगा सकता है।

पारम्परिक तकनीकों से किफायती –

दूध की शुद्धता का परीक्षण करने के लिए पारंपरिक प्रयोगशाला-आधारित विधियों, जो महंगी और समय लेने वाली हैं, उनकी तुलना में यह तकनीक अपेक्षाकृत किफायती है।

इसका उपयोग पानी, ताजा रस और मिल्कशेक जैसे अन्य तरल पदार्थों का परीक्षण करने के लिए भी किया जा सकता है। मिलावट के परीक्षण के लिए किसी भी तरल पदार्थ का केवल एक मिलीलीटर का नमूना पर्याप्त है।

वर्णमिति पहचान –

यह अध्ययन आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पल्लब सिन्हा महापात्रा नेतृत्व में किया गया है।

डॉ. महापात्रा बताते हैं कि

3डी पेपर-आधारित माइक्रोफ्लुइडिक उपकरण की संरचना सैंडविच की तरह है, जिसके ऊपर एवं नीचे के आवरण के बीच एक मध्यवर्ती परत होती है। यह 3डी डिजाइन सघन तरल पदार्थों के समान गति से प्रवाह के अनुकूल है। कागज को अभिकर्मकों (reagents) के साथ संसाधित किया जाता है और सूखने दिया जाता है। सुखाने के बाद दोनों पेपर परतें इसके समर्थित किनारों से चिपक जाता है, और आवरण दोतरफा टेप से चिपका रहता है। इस डिजाइन में व्हाटमैन फ़िल्टर पेपर ग्रेड-4 का उपयोग किया गया है, जो तरल प्रवाह में सहायता करता है, और अधिक अभिकर्मकों के भंडारण को सक्षम बनाता है।

वे आगे बताते हैं कि

सभी अभिकर्मकों को उनकी घुलनशीलता के आधार पर आसुत जल या इथेनॉल में घोल दिया जाता है। वर्णमिति पहचान तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न तरल नमूनों में मिलावट का पता लगाया जाता है। परीक्षण से यह पाया गया है कि इस विधि में दूध घटकों के बजाय अभिकर्मक केवल विशिष्ट मिलावट के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। इसलिए, यह विश्लेषणात्मक उपकरण तरल खाद्य सुरक्षा की निगरानी में मदद कर सकता है। इस प्रकार, यह उपकरण दूरस्थ क्षेत्रों में भी आसानी से दूषित दूध का पता लगाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

दूषित दूध बिमारियों का जनक –

दूध स्वस्थ जीवन शैली के लिए सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से है। आज यह दुनिया में सबसे अधिक मिलावटी खाद्य पदार्थ है, जो बढ़ता हुआ खतरा है। विशेष रूप से दुग्धुत्पादक देशों जैसे भारत, पाकिस्तान, चीन और ब्राजील जैसे विकासशील देशों में दूध की मिलावट बड़ी चुनौती रही है।

दूषित अथवा संक्रमित दूध पीने से किडनी की समस्या, शिशु मृत्यु, आँत संबंधी जटिलताएं, डायरिया और यहां तक कि कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं।

इस प्रकार यह शुद्धता पहचान प्रक्रिया बहोत उपयोगी है। और जांच कर बेहतर दुध के उपयोग से स्वास्थ्य भी बेहतर बनेगा।



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