‘मेड इन इंडिया’ DO-228 विमान के अपग्रेडेशन को डीजीसीए ने दी मंजूरी


DO-228 विमान में शॉर्ट टेक ऑफ और लैंडिंग की क्षमता है। इसकी ईंधन और भार क्षमता पर्याप्त है, रखरखाव की लागत कम है, ईंधन उत्पादकता अधिक है और इसकी गति अपनी श्रेणी में बेहतर है।


DeshGaon
बड़ी बात Published On :
hal-do-228-aircraft

नई दिल्ली। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के विमान ‘हिंदुस्तान डीओ-228’ के एक नए संस्करण को मंजूरी दे दी है।

एचएएल को घरेलू स्तर पर डीओ-228 के निर्माण के लिए अधिकृत किया गया है। इसका इस्तेमाल यात्रियों और वीआईपी को लाने-ले जाने, माल ढोने और एयर एम्बुलेंस के रूप में किया जा सकता है।

अपग्रेडेशन के बाद विमान के नए वर्जन का वजन 19 यात्रियों की क्षमता के साथ अधिकतम 5,695 किलोग्राम होगा। यह वैरियंट ऑपरेटरों के लिए कई ऑपरेशनल सुविधाओं वाला होगा।

जैसे इसे गैर कमर्शियल लाइसेंस वाले पायलट भी उड़ा सकेंगे जिससे विमान के लिए पायलट पूल की उपलब्धता में वृद्धि होगी और परिचालन लागत में भी कमी आएगी। इसके अलावा नए संस्करण के रखरखाव, इंजीनियरों सहित उड़ान और ग्राउंड क्रू के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता कम हो जाएगी।

विमान का इतिहास –

हिंदुस्तान-228 विमान नागरिक संस्करण है, जिसे जर्मन कंपनी डोर्नियर जीएमबीएच के लाइसेंस के तहत एचएएल ने बनाया है। यह मल्टी फंक्शनल हल्का कार्गो विमान है।

1970 के दशक के अंत में एक जर्मन संगठन ने डोर्नियर डीओ-228 का डिजाइन और निर्माण किया। 1983 में विमान के निर्माण के लिए डोर्नियर और एचएएल के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

यह समझौता 150 विमानों तक के लाइसेंसशुदा उत्पादन के लिए था। एचएएल को घरेलू स्तर पर डीओ-228 के निर्माण के लिए अधिकृत किया गया है।

नागरिक संस्करण विमान बनाने का फैसला –

HAL ने 2016 के अंत में विमान का नागरिक संस्करण बनाने के इरादे की घोषणा की। एक साल बाद एचएएल के कानपुर संयंत्र में तत्कालीन नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने अलग से यूनिट शुरू की।

कानपुर के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिविजन ने केंद्रीय प्रशासन के स्थानीय संपर्क कार्यक्रम ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) को समर्थन देने के लिए DO-228 के नागरिक संस्करण का उत्पादन शुरू किया।

यह उड़ान कार्यक्रम जून, 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति का हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारत के छोटे शहरों और अलग-थलग क्षेत्रों के लिए हवाई यात्रा को सस्ता बनाना है।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 21 दिसंबर, 2017 को एचएएल को उसके DO-228 सिविल वैरियंट विमान के लिए ‘सर्टिफिकेट ऑफ एयरवर्थनेस’ से सम्मानित किया, जिससे इसे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए भारत के भीतर एयरलाइंस का उपयोग करने की अनुमति मिली।

जरूरतों के हिसाब से किये गए बदलाव –

इन विमानों में अपनी जरूरतों के लिहाज से भारतीय नौसेना ने कई संशोधन किये जाने के प्रस्ताव हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सामने रखे थे, जिसके अनुरूप एचएएल ने विमान को दो-प्रॉप इंजन, निगरानी रडार, एक एफएलआईआर सिस्टम, ईएसएम तकनीक, उपग्रह संचार उपकरण, डेटा ट्रांसमिशन लिंक, एन्क्रिप्शन सहित निगरानी और गश्ती पुर्जों के साथ अपग्रेड किया है।

इसमें यातायात टकराव से बचाव प्रणाली और एन्हांस्ड ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम (EGPWS) भी लगाया गया है। HAL के मुताबिक हिंदुस्तान-228 (VT-KNR) विमान के ग्राउंड-रन और लो-वेलोसिटी टैक्सी परीक्षण 21 अगस्त, 2021 को किए गए थे।

विमान को बेहतर बनाने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक कॉकपिट, एर्गोनोमिक डेटा स्क्रीन पर फीडबैक लूप और कुछ भी अप्रत्याशित होने पर पायलटों को सचेत करने के लिए स्वचालित स्व-परीक्षण के लिए आधुनिकीकरण किया गया है। इसमें सबसे उन्नत विमानन तकनीक भी है।

अपग्रेड के हिस्से के रूप में पहले के माइनस 5 इंजन को बदलने के लिए एक सिविल-प्रमाणित टर्बोप्रॉप माइनस दस इंजन जोड़ा गया है और पांच-ब्लेड प्रोपेलर की स्थापना पूरी हो चुकी है।

HAL के अनुसार DO-228 विमान में शॉर्ट टेक ऑफ और लैंडिंग की क्षमता है। इसकी ईंधन और भार क्षमता पर्याप्त है, रखरखाव की लागत कम है, ईंधन उत्पादकता अधिक है और इसकी गति अपनी श्रेणी में बेहतर है।

दो सदस्यीय चालक दल वाले इस 19 यात्री विमान को विभिन्न उपयोगों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, जिसमें यात्रियों और वीआईपी को ले जाना, माल ढोना, एयर एम्बुलेंस के रूप में सेवा देना, हवाई निगरानी करना और तस्वीरें लेना, क्लाउड सीडिंग करना और पैरा जंपिंग को सक्षम करना शामिल है।



Related