जल्द शुरू होगा ग्रीनफील्ड 8 लेन एक्सप्रेस-वे, आदिवासी जिलों को मिलेगी विकास की रफ्तार


दिल्ली-मुंबई सहित बड़े मंडियों में उपज बेच सकेंगे जिले के किसान
एक्सप्रेस-वे का मुआयना कर एनएचएआई के अधिकारियों ने लिया फीडबैक


DeshGaon
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delhi mumbai expressway

धार। आदिवासी जिलों के लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के मध्यप्रदेश वाले 244.5 किलोमीटर लंबे हिस्से पर जल्द ही यातायात शुरू होने वाला है। दिल्ली से मुंबई तक 1380 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे का 244.5 किलोमीटर लंबा हिस्सा मध्यप्रदेश में झाबुआ, रतलाम व मंदसौर जिले से होकर गुजरेगा।

प्रदेश के रतलाम के नजदीक से गुजरने वाली 8 लेन एक्सप्रेस-वे की सेवाएं एक महीने में शुरू हो जाएंगी। इससे न केवल सफर आसान होगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी लोगों को मिलेंगे। विधानसभा चुनाव से पहले ये एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित कर दिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि इस एक्सप्रेस-वे पर चार पहिया वाहनों को ही चलने की अनुमति होगी, लेकिन इसके संचालन के पहले लोगों ने इस पर बाइक, ट्रैक्टर और भारी वाहन दौड़ाना शुरू कर दिया।

इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद लोगों को जहां पर सफर करने में आसानी होगी, वहीं दूसरी तरफ रतलाम, झाबुआ धार अलीराजपुर सहित कई जिलों के निवासियों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने इस एक्सप्रेस-वे पर एक सर्वे टीम लगाकर कई रास्तों को बंद किए जाने का काम शुरू कर दिया है। लोग एक्सप्रेस-वे के अलावा कई ग्रामीण इलाकों के रास्ते से चढ़ने का प्रयास कर रहे थे, जिस वजह से दुर्घटना भी हो चुकी है। ऐसे में अब इस 8 लेन पर सिर्फ टोल से ही वाहन आ जा सके इसकी फाइनल तैयारी की जा रही है।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी वीरेंद्र गुप्ता के मुताबिक,

जल्द ही इसके बकाया काम पूरे कर दिए जाएंगे। जो वॉल ब्रेक कर दी गई है, उसे भी ठीक करने का काम शुरू कर दिया गया है। जून और जुलाई में इसके संचालन शुरू करने की डेट मिलते ही इस पर आवागमन शुरू हो जाएगा।

बता दें कि दिल्ली से दौसा की तरह ही मप्र में भी 244 किमी के हिस्से में बने देश के पहले ग्रीनफील्ड आठ लेन एक्सप्रेस-वे पर जून माह से ट्रैफिक शुरू हो सकता है। परियोजना के तहत दिल्ली से से मुंबई तक 1380 किमी के हिस्से में देश के पहले आठ लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे फरवरी माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्सप्रेस-वे के पहले फेज के अंतर्गत सोहना-दौसा तक 247 किमी खंड का लोकार्पण किया था।

चूंकि मप्र राजस्थान सीमा पर स्थित भानपुरा से गुजरात सीमा पर स्थित झाबुआ जिले तक कुल 244 किमी के हिस्से में भी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लिहाजा इस महीने तक इस हिस्से के लोकार्पण की संभावना जताई जा रही है।

एक्सप्रेस-वे से किसे, क्या फायदा –

किसान –

एक्सप्रेस चालू होने से आदावासी जिले के किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा। अपनी कच्ची सब्जियों को बड़े शहरों तक ले जा कर बेच सकेंगे। क्षेत्र के किसान दिल्ली-मुंबई से लेकर इसके बीच पड़ने वाली बड़ी मंडियों में उपज बेच सकेंगे। इससे उन्हें अच्छे भाव मिलेंगे। कम समय में खराब होने वाली सब्जियां भी अब लंबी दूरी की मंडियों तक पहुंच सकेगी। पेटलावद, राजोद, बदनावर के टमाटर को दिल्ली और मुंबई तक जल्द पहुंचाया जा सकेगा।

शिक्षा –

एजुकेशन के क्षेत्र कोटा पहुंचने में विद्यार्थियों को कम समय लगेगा। दिल्ली, मुंबई, गुजरात और राजस्थान की यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी आने-जाने में सुविधा होगी व बड़े शहरों में पढ़ने वाले बच्चों को भी समय कम लगेगा।

उद्योग –

इस मार्ग के बनने से क्षेत्र में उद्योग के रूप में फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग एक्सप्रेस-वे से लगे हुए क्षेत्रों में खोले जा सकेंगे। कच्चा माल दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रदेशों की राजधानियों से आना-जाना आसान होगा। इनके परिवहन के लिए भी समय भी बचेगा।

मुंबई से दिल्ली तक का सफर होगा आधा –

इस एक्सप्रेस-वे की वजह से मुंबई से दिल्ली के सफर में लगने वाला समय आधा रह जाएगा। यानी सिर्फ 12 घंटे लगेंगे जबकि पहले इसी में 24 घंटे का समय लगता था।

150 किमी की स्पीड से ले चुके हैं ट्रायल –

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस एक्सप्रेस-वे पर 150 किमी की स्पीड से कार चलवाकर टेस्ट ड्राइव ले चुके हैं। इसके बाद उन्होंने निर्माण कार्य पर संतोष जताया था।

सालाना होगी 32 करोड़ लीटर ईधन की बचत –

दिल्ली से मुंबई के बीच वाहनों के आवागमन व उनकी संख्या के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि इस एक्सप्रेस-वे के बनने पर सालाना 32 करोड़ लीटर से अधिक ईंधन की बचत होगी, जिसके कारण 85 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी जो 4 करोड़ पौधे लगाने के बराबर है यानी लोगों के साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं।

झाबुआ जिले में यहां से जुड़ा है एक्सप्रेस-वे –

झाबुआ जिले में यह एक्सप्रेस वे थांदला तहसील के गांव टिमारवानी में इंटर सेक्शन से जुड़ा है। यहां से करीब 35 किमी आगे फूड कोर्ट और रेस्ट रूम बनाया गया है। यहां रिटेल शॉप, ईंधन स्टेशन और साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाएं होंगी। दुर्घटना के शिकार यात्रियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए ट्रॉमा सेंटर व हेलीपैड भी यहीं बनाया गया है।

जून तक शुरू करवाने का प्रयास है –

सांसद गुमान सिंह डामोर ने बताया कि ये हमारे लिए एक बड़ी सौगात है। जो देश का पहला ग्रीनफील्ड 8 लेन एक्सप्रेस-वे हमारे रतलाम संसदीय क्षेत्र से निकला है। इसके लोकार्पण के लिए हमने आदरणीय नरेंद्र मोदी से भी आग्रह किया है। कब समय का मिलता है उसके बाद ही पता लगेगा। मगर जून माह में यह चालू हो जायेगा।

झाबुआ जिले में इस 8 लेन एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 52 किमी है। निर्माण की दृष्टि से इस एक्सप्रेस-वे को तीन पैकेज में लिया गया था और इसकी लागत करीब ढाई हजार करोड़ है। इसमें करीब 300 हेक्टेयर के आसपास जमीन अधिग्रहित की गई है और इसके लिए किसानों को 65 करोड़ का मुआवजा दिया गया है। झाबुआ और रतलाम जिले में इस एक्सप्रेस-वे का काम पूरा हो चुका है। इस रोड की खासियत ये है कि इससे दिल्ली और मुंबई तक की दूरी करीब 1380 किमी की रहेगी।

इसलिए यह है ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे –

एनएचएआई के डीजीएम, टेक्निक संदीप पाटीदार ने बताया कि यह देश का सबसे लंबा और पहला 8 लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे इसलिए बोलते हैं क्योंकि यहां पहले से कोई रोड नहीं था। यह पूरा नया रोड है जो ग्रीनफील्ड से होकर निकल रहा है। इस एक्सप्रेस-वे से दिल्ली और मुंबई तक की दूरी और समय तो कम हो ही रहा है, इसके अलावा सीधे फायदे ये हैं कि हमारा फ्यूल बचेगा। दुर्घटना की संभावना कम हो जाएगी। इसके अलावा जो आर्थिक गतिविधियां हैं उसमें भी इजाफा होगा। जैसे यहां से रात में किसान सब्जी लोड करते हैं तो वह सुबह दिल्ली की आजाद मंडी में पहुंच सकती है, जो कि पहले नहीं हो पाता था। राजस्थान बॉर्डर पर भानपुरा से लेकर झाबुआ में गुजरात बॉर्डर तक 244 किमी का हिस्सा पूरी तरह से तैयार हो चुका है। कुछ फिनिशिंग वर्क है जो मई के आखिर तक पूरा हो जाएगा। जहां तक पूरे एक्सप्रेस-वे की बात है तो दिल्ली से दौसा तक चालू हो चुका है। दौसा से कोटा के आसपास तक के हिस्से में कुछ समय लगेगा। इसके अलावा गुजरात में 70-80 किमी का हिस्सा है, जिसे तैयार करने में सालभर लगेगा।



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