बुंदेलखंड में भाजपा को मजबूत करने वाले शिवराज सरकार में मंत्री रहे रामदयाल अहिरवार का निधन, शव ले जाने के लिए वाहन तक नहीं मिला


छह बार विधायक रहे, दो बार मंत्री, जनसंघ के जमाने से भाजपा के लिए काम करते रहे, आखिरी वक्त में किसी ने नहीं पूछा…


शिवेंद्र शुक्ला शिवेंद्र शुक्ला
बड़ी बात Updated On :

छह बार विधायक, दो बार मंत्री और एक बार गृह मंत्री, बुंदेलखंड में भाजपा का बड़ा चेहरा रहे रामदयाल अहिरवार का रविवार को निधन हो गया। उनके अंतिम समय में उनका शव उनके गांव पहुंचाने के लिए परिवार को शव वाहन तक नहीं दिया गया। परिवार ने अपने पैसे से शव वाहन लिया, बड़ी मशक्कत से शव को वाहन में रखा और फिर गांव पहुंचे। अपने पिता के साथ ऐसा व्यवहार देखकर अहिरवार का परिवार बेहद दुखी है। परिवार के मुताबिक पार्टी ने उनके पिता का भरपूर उपयोग किया लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें बेसहारा छोड़ दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सागर जिले में संत रविदास मंदिर का शिलान्यास किया। इसे प्रदेश में दलित पिछड़ों के लिए भाजपा की ओर से एक बड़ा तोहफा कहकर प्रचारित किया जा रहा है। हालांकि इसी दिन छतरपुर में एक आदिवासी महिला ने शौचालय में अपने बच्चे को जन्म दिया क्योंकि डॉक्टरों ने इलाज से इंकार कर दिया था। अब एक और बात सामने आई है जो प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था और भाजपा के एक बड़े दलित नेता की पार्टी के द्वारा की गई अपेक्षा से जुड़ी है। गृह मंत्री रहे इस नेता को अपने अंतिम समय में सरकारी शव वाहन तक नसीब नहीं हुआ।

रविवार को भाजपा के सदस्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और छतरपुर इलाके का एक बड़े दलित नेता रामदयाल अहिरवार का निधन हो गया। छह बार विधायक चुने गए अहिरवार सरकार में दो बार मंत्री रहे और इसमें एक बार गृह मंत्री तक रहे हैं। अहिरवार छतरपुर में अपने बेटे के घर रहकर इलाज करवा रहे थे। जिनकी रविवार को मौत हो गई।

अहिरवार के शव को छतरपुर से 22 किमी दूर उनके गांव तक ले जाने के लिए सरकार की ओर से शव वाहन भी उपलब्ध नहीं हो सका। इसके बाद उनके परिवार ने 2200 रुपये में निजी शव वाहन का इंतज़ाम किया।

इस बर्ताव से दुखी अहिरवार के परिवार ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी का दोहरे चरित्र को उजागर करता है। अहिरवार, महाराजपुर विधानसभा से आने वाले वरिष्ठ नेता और वहां से छह बार विधायक रहे हैं। वे दो बार मंडी अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के संगठन में भूमिका निभाते रहे।

छतरपुर की राजनीति में रामदयाल अहिरवार एक सभ्य और मिलनसार व्यक्तित्व माने जाते थे। कांग्रेस की सरकार में भी वह सर्वमान्य नेता के रूप में पहचाने गए थे। वे स्थानीय स्तर पर दलित नेता के रूप में एक बड़ा चेहरा थे और भाजपा को क्षेत्र में मजबूत करने में उन्होंने खूब काम किया। हालांकि इतने अहम होने के बावजूद भी भाजपा के लिए सबसे ताकतवर समय में उन्हें भुला दिया गया।

जीवन की अंतिम बेला में उन्हें पार्टी के किसी नेता ने नहीं पूछा। इस तरह का अपमान दिवंगत नेता के परिजनों को रास नहीं आया। परिजनों ने पार्टी और नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

रामदयाल अहिरवार के पुत्रों और बहू ने दो टूक कहा कि भाजपा के पदाधिकारी और सरकार बेहद लापरवाह है। दु:ख की इस घड़ी में वह उनके साथ नहीं है जबकि मेरे पिता ने जनसंघ से लेकर भाजपा में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।

उनके बेटे ने बताया कि उनके शव को महाराजपुर में अंत्येष्टि हेतु पहुंचाया जाना था जिसके लिये उन्हें प्रशासन से शव वाहन तक नहीं दिया गया। उनके शव और डीफ्रीजर को उनके बच्चों ने अपने हाथों से शव वाहन में रखाया।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता के निधन की खबर और सरकारी विभागों के रवैए की जानकारी लगाने पर छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी और बुंदेलखण्ड क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री दीप्ति पांडे को लगी तो उन्होंने कहा कि यह अमानवीय व्यवहार है, राजनीतिक दल किसी का भी हो लेकिन लंबे समय तक जनता के बीच कार्य करने वाले एक वरिष्ठ नेता के निधन उपरांत भी यदि सरकार शव वाहन भी उपलब्ध नहीं करा सकती तो निश्चित रूप से इस सरकार की लापरवाही और नाकामी माना जायेगा। इससे सिद्ध होता है कि भाजपा की कथनी और करनी में कितना अंतर है।



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