मप्र में आदिवासियों पर अत्याचार की ये कहानियां बताती हैं कि वो दिन अब तक नहीं आया जिसका वादा था


आदिवासियों पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश नंबर एक पर, पिछले दो सालों में कई बड़े मामले हुए जिनका ध्यान दुनियाभर ने खींचा


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उनकी बात Updated On :
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भोपाल। आने वाले दिनों में देश को पंद्रवें राष्ट्रपति मिलने वाले हैं और कयास हैं कि इस बार एक आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मु राष्ट्रपति पद को सुशोभित करेंगी। इसके बाद से ही यह एक बहस भी छिड़ गई है कि क्या देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने का मतलब यह है कि आदिवासी समुदाय को अब भी अपने सभी अधिकार मिल रहे हैं।

एक ओर जहां देश भर में ज्यादातर सत्ताधारी नेता इसे बदलता भारत बता रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश में एक आदिवासी महिला का बदन इस समय एक असहनीय पीड़ा झेल रहा है। उनकी हर आह जो हमें बता रही है कि फिलहाल वो दिन अब तक नहीं आया है जिसका दावा व्यवस्था बनाने वाली हमारी सरकारें लगभग हर रोज़ ही कर रही हैं।

प्रदेश के गुना जिले में आदिवासी महिला को कथित तौर पर डीज़ल डालकर जला दिया गया। जिसके बाद उन्हें भोपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार पर हमले तेज़ हो गए हैं।

कांग्रेसी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और संस्थाएं आरोप लगा रहीं हैं कि प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार लगातार बढ़ रही है लेकिन इसे लेकर प्रदेश सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

प्रदेश में पिछले कुछ समय में ही आदिवासियों पर कई बड़े हमले हुए हैं जो देशभर में चर्चा का केंद्र बने रहे। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं।    

अनुसूचित जनजाति के नागरिकों पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। यहां साल 2018 में 4753, 2019 में 5300 और 2020 में 6899 मामले दर्ज किये गए हैं।

यह आंकड़े उस प्रदेश के हैं जहां आदिवासी मतदाता सरकार बनाने का दम रखते हैं। प्रदेश में आदिवासी नागरिकों की संख्या करीब डेढ़ करोड़ है और यह प्रदेश की कुल आबादी का करीब 21 प्रतिशत है।

यही नहीं आदिवासी बाहुल्य इलाकों में विधानसभा की 230 में से 80 सीटें आती हैं। इतनी बड़ी आबादी के बावजूद यहां आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

एक नज़र पिछले कुछ समय में आदिवासियों पर हुए उन हमलों पर जो देशभर में चर्चा का विषय बने रहे – 

गोकशी के शक पर दो आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या 

इसी साल 3 मई को सिवनी जिले में दो आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। इन पर गोकशी का आरोप लगाया गया और बताया जाता है कि जिन लोगों ने इनकी हत्या की वे हिन्दुत्ववादी संगठन बजरंग दल के सदस्य हैं।

मामला कुरई थाने के सिमरिया गांव का था जब धनसा इनवाती (52), सागरगांव निवासी संपत बट्टी (35) व ब्रजेश को लोगों ने घेर लिया।

सिवनी में गोकशी के शक पर ही दो आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या

घेरने वाले आरोप लगा रहे थे कि ये तीनों गोमांस ले जा रहे हैं। बस इसी शक के आधार पर आरोपितों ने लाठी-डंडों से तीनों की जमकर मारपीट की। इसी बीच बजरंग दल के किसी पदाधिकारी ने बदलापार पुलिस को फोन लगा दिया।

पुलिस ने गंभीर रूप से घायल तीनों को जिला अस्पताल लाया, जहां धनसा व संपत ने दम तोड़ दिया। यह मामला देशभर में छाया रहा जिसके बाद आदिवासी संगठनों ने जमकर विरोध जताया। इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है।

नेमावर हत्याकांड

नेमावर में पांच लोगों की हत्या ने देशभर का ध्यान खींचा। यहां 13 मई 2021 को रूपाली, ममता बाई, दिव्या, पवन और पूजा की हत्या कर दी गई थी। इस बारे में किसी को पता नहीं था और परिवार के सदस्यों के न मिलने पर ही एक अन्य सदस्य ने 17 मई को पुलिस को गुमशुदगी की सूचना दी थी।

इसके दस दिन बाद 27 मई को पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। काफी समय तक कोई खास हलचल नहीं हुई और फिर पुलिस ने एक संदिग्ध को पकड़ा जिसने पूरी कहानी खोल दी। उसने बताया कि रूपाली और गांव के ही एक नेता सुरेंद्र का प्रेम प्रसंग था लेकिन सुरेंद्र रूपाली से शादी नहीं करना चाहता था और उसकी शादी कहीं और तय हो गई थी।

नेमावर हत्याकांड में शव निकालने के दौरान लिया गया चित्र

इस पर रूपाली शादी के लिए सुरेंद्र पर दबाव बना रही थी। इससे परेशान होकर उसने हत्या की योजना बनाई। सुरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने रूपाली सहित उसके परिवार के चार सदस्यों की अपने  खेत पर हत्या कर दी और शवों को खेत में बने गड्ढे में डाल दिया। यह गड्ढे पहले ही तैयार कर लिये गए थे।

पुलिस ने आरोपी मनोज कोरकू, विवेक तिवारी, वीरेंद्र राजपूत, करण कोरकू, रामजकुमार, सुरेंद्र राजपूत को 30 जून 2021 को गिरफ्तार किया। मामले में कुल नौ आरोपी बनाए गए। इसके बाद दिसंबर में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।

चुनाव जीतने के लिए हत्या !

पंचायत चुनाव के प्रचार के दौरान ही एक आदिवासी प्रत्याशी की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। मामला सतना जिले का है जहां पंच पद के एक प्रत्याशी 40 वर्षीय राजमणि की हत्या कर दी गई।

उप सरपंच प्रत्याशी को सरपंच प्रत्याशी सनी सिंह उर्फ आकाश सिंह और उसके भाई दर्पण सिंह ने उसके घर के सामने बेरहमी से पीटा था। जिसके बाद परिजनों ने उसे गंभीर हालत रीवा अस्पताल में भर्ती कराया।

राजमणि दूसरी बार उप सरपंच बनने के लिए पंच का चुनाव लड़ रहा था। इस मामले ने बहुत सुर्ख़ियां तो नहीं बटोरीं लेकिन स्थानीय स्तर पर इसकी काफी चर्चा रही और आदिवासी समाज ने इसे लेकर विरोध भी किया।

पांच हज़ार के लिए ज़िंदा जलाया !

नवंबर 2020 में गुना जिले के बमोरी पुलिस थाना क्षेत्र के उकावद गांव में 28 साल के एक आदिवासी व्यक्ति विजय सहरिया को कथित तौर पर पांच हजार रुपये का कर्ज़ नहीं चुका पाने के कारण मिट्टी का तेल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया था। घटना के बाद कांग्रेस ने सरकार पर जमकर हमला बोला और दावा किया कि मृतक एक बंधुआ मजदूर था।

पहले टक्कर मारी और फिर मार डाला !

इससे पहले नीमच में अगस्त  2021 में एक आदिवासी नागरिक की बुरी तरह पीट कर हत्या कर दी गई। इस दौरान उसे ट्रक में बांधकर करीब सौ मीटर तक घसीटा गया।

यहां सिंगोली थाने के अंतर्गत कन्हैया लाल भील की हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया था। दूध बांटने जा रहे गुर्जर समाज के एक व्यक्ति की मोटरसाईकिल सड़क पर पैदल चल रहे कन्हैयालाल से टकरा गई।

कन्हैया लाल को ट्रक में बांधकर इस तरह घसीटा गया

इससे वाहन में बंधा दूध का बर्तन गिर गया औ दूध फैल गया। इस पर कन्हैयालाल की पिटाई कर दी गई और बाद में कई दूसरे लोगों को बुलाकर उसे और भी जमकर पीटा गया।

इस दौरान उस पर चोर होने के आरोप लगाए गए और एक पिकअप वाहन से बांधकर करीब सौ मीटर तक घसीटा गया। इसके बाद उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मामले में आठ आरोपियों को पकड़ा है।

पुलिस हिरासत में मौत 

सात सितंबर 2021 में खरगोन जिले में न्यायिक हिरासत में 35 वर्षीय बिसेन नाम के एक आदिवासी व्यक्ति की मौत हो गई। यहां बिस्टान थाने पर बाद में आदिवासी समुदाय के लोगों की भीड़ ने पथराव और तोड़फोड़ भी की। बताया जाता है कि पुलिस ने उक्त व्यक्ति को दो दिनों तक बेरहमी से पीटा। पुलिस को उस पर चोरी का शक था।



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