विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवसः हर कदम पर रोजाना ठगे जाते हैं उपभोक्ता


ऐसे बीसों हथकंडे हैं जिससे उपभोक्ता शोषण के शिकार होते हैं। उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने के लिए संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भी कोई प्रयास नहीं करते कि शोषण बंद हो जाए।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Published On :
world consumer rights day- protection

15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस है, लेकिन उपभोक्ता वर्ष के 365 दिन कदम-कदम पर रोजाना ठगे जाते हैं और अब सुनियोजित तरीके से उपभोक्ताओं के शोषण और ठगे जाने के हथकंडे आम हो गए हैं जिस पर उपभोक्ताओं का ध्यान नहीं जाता। कभी-कभी जरूरत पड़ती भी है तो व्यवस्थाओं के मकड़जाल में वह उलझ कर रह जाते हैं।

देखिये ऐसे ही कुछ हथकंडे –

केस – 1
सामान्य गेहूं में छानकर बेच रहे शरबती के नाम पर – हर साल जिले में यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। बाजार में धड़ल्ले से अब भी चल रहा है। कई लोग शरबती गेहूं खरीदते हैं ताकि रोटियां अच्छी बने। शरबती के नाम पर कुछेक व्यापारी कहीं-कहीं फिल्टर छन्ने लगाए हैं। छानकर एक जैसी गेहूं को शरबती के नाम पर बेच रहे हैं। शरबती के नाम पर वह उपभोक्ताओं से 500 से 1000 रुपये तक अतिरिक्त मूल्य लेते हैं और गेहूं लोकमन या सामान्य रहता है।

केस – 2
नामचीन शोरूम में कंपनी के रिजेक्टेड पीस – शहर के कुछ नामचीन कपड़ा व्यवसायी और उनके शोरूम में रेडीमेड गारमेंट्स का अच्छा खासा व्यवसाय होता है लेकिन उपभोक्ता यहां भी ठगी और शोषण के शिकार होते हैं। कंपनी से ऐसा लॉट भी खरीदा जाता है जो थोड़ा डिफेक्टेड या रिजेक्टेड होता है, उसे कंपनी कम दामों में दे देती है।
इसे व्यवसायी अच्छे रेडीमेड गारमेंटस के साथ साथ इस तरह के डिफेक्टेड पीस को भी बीच में खपत करा देते हैं। उपभोक्ता समझ नहीं पाते और दाम मनमाना लेते हैं। जब यह कपड़े दो-चार बार धुल जाते हैं तो कलई खुलती है। उपभोक्ता सोचता है कि कपड़ा खराब निकल गया है। क्या कर सकते हैं।
कभी कोई खरीददार दुकानदार से शिकायत भी करता है तो बातों में निपुण दुकानदार उन्हें चतुराई से समझा देता है कि ऐसा हो नहीं सकता या ऐसा हो सकता है कि कोई पीस गड़बड़ आ गया हो। इस तरह का उपभोक्ताओं के साथ शोषण का फंडा कई दुकानों पर धड़ल्ले से चल रहा है।

केस – 3
70 हजार का सामान लेकिन पर्ची या कैशमेमो नहीं – रामबिहारी श्रीवास्तव ने बिटिया के विवाह के लिए नगर के नामचीन कपड़ा व्यवसायी के यहां से करीब 70 हजार की खरीदी की जिसे एक सामान्य सी पर्ची में लिखकर हिसाब दे दिया गया। कोई कैशमेमो नहीं दिया गया। एक समस्या तो यह भी कि 70 हजार 233 रुपये के बिल में 100 रुपये भी नहीं छोड़े जाते। खरीदी की कोई रसीद नहीं। एक तरफ व्यापारी टैक्स बचाने के फंडा अपनाते हैं तो दूसरी तरफ कोई कपड़ा एक-दो माह में खराब निकल जाए तो फिर उसे लेकर आप दुकानदार से राहत भी नहीं पा सकते।

केस – 4
गाड़ी खरीदी, लेनदेन में चार हजार की रसीद नहीं – किसान भूपेन्द्र ने यहां एक शोरूम से गाड़ी खरीदा। आरटीओ से संबंधित सारी खानापूर्ति की, लेकिन जब उसने कुल दी गई राशि में से चार हजार रुपये से कम की रसीद मिली तो उन्होंने डीलर से कहा भी कि यह पैसा लिया गया है तो रसीद दीजिए लेकिन उसे जबाब मिलता है कि वह लगते ही हैं क्योंकि आरटीओ में काम कराना पड़ता है। उसकी कोई रसीद नहीं मिलती।

केस – 5
दवाइयों के मनमाने दाम – रामकुमार बीमार हो गया। प्राइवेट अस्पताल में दाखिल कराया गया। वहां दवाईयों का जब बिल दिया गया तो उसे अचंभा हुआ। आमतौर पर जो दवाईयां उसे अपने परिचित केमिस्ट से साढ़े चार सौ में मिल जाती थी वह यहां अस्पताल की दवाई दुकान में 515 रुपये में दी जा रही है और फिर रसीद भी नहीं। दवा बाजार में उपभोक्ताओं से मनमाने पैसे लिए जाते हैं। दवाएं सस्ती भी होती हैं तब भी मनमाने तरीके से एमआरपी पर बेची जाती हैं।

और इस तरह ठगी के शिकार –

– उचित वजन में कम तौल
– व्यापारी दामों में जोड़ते हैं कई शुल्क
– बेचते हैं मिलावटी दोषपूर्ण वस्तुएं
– एक्सपायरी डेट की वस्तुओं की भी धड़ल्ले से बिक्री
– सामग्री को गुणवत्ता बढ़ा चढ़ाकर बताना और बेचना
– एक खरीदो एक मुफ्त पाओ के नाम पर लिए जाते हैं पैसे
– ऑनलाइन सेंटरों में बिल या फीस जमा करने पर मनमाना सेवा शुल्क
– दुकानों में कार्यरत लोगों से 6-8 घंटे से अधिक कार्य कराना
– गर्मी में कूलर की एल्युमीनियम वायर की मोटर में कापर कोड कर बेचना, कापर के पैसे लेना
– कूलर की लगने वाली खस को पानी में भिगोकर वजनदार बनाना और बेचना

ऐसे बीसों हथकंडे हैं जिससे उपभोक्ता शोषण के शिकार होते हैं। उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने के लिए संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भी कोई प्रयास नहीं करते कि शोषण बंद हो जाए। मसलन, नापतौल विभाग के अधिकारी कर्मचारी कभी बाजार में यह कार्रवाई करते नहीं दिखते कि किराना दुकानों या प्रतिष्ठानों में तराजू-बांट अथवा नापतौल के उपकरण सही है या नहीं। अब तो शिकायतें यह हैं कि इलेक्ट्रानिक वेट मशीन में भी कारगुजारी हो रही है। इससे उपभोक्ता बहुत शोषित हो रहे हैं। यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीनों के व्यवसाय में भी कई तरह की तकनीकी गड़बड़ियां हैं।

कार्यक्रम 11 बजे से डाइट में –

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था में 15 मार्च को सुबह 11 बजे से विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जायेगा। इस मौके पर खाद्य एवं नागरिक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, नापतौल, शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, अनुसूचित जाति-जनजाति, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य, बीमा, परिवहन, तेल कंपनी, बिजली कंपनी, दूरसंचार आदि के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहेंगे। संबंधित विभागों की सेवाओं के संबंध में अधिकारियों द्वारा उपभोक्ताओं को अवगत कराया जायेगा।



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