मन की बात नहीं बोल रही जनता, कई परेशानियों के बावजूद ग्रामीणों में डर कि अगर बोलेंगे तो बदला लेगा…


नरसिंपुर के गांवों का हाल, किसान, बिजली की समस्या के साथ नकली खाद और बीज से परेशान लेकिन इस बार नहीं खोल रहे अपनी ज़ुबान



लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और ऐसे में उम्मीद की जाती है कि मतदाता ने अब अपना निर्णय बना लिया है। हालांकि इस चुनाव में ऐसा नहीं है। मतदाता इस बार चुप हैं उनकी चुप्पी में क्या छिपा है यह पता नहीं लेकिन जो नजर आ रहा है वह ये कि न तो वे सरकार से खुश हैं और न ही अपना पक्ष रखने वाले विपक्ष से।

जब मतदान के चंद दिन शेष हैं। कहा जाता है कि चुनाव के वक्त मतदाता मुखर भी हो जाते हैं पर नरसिंहपुर नर्मदापुरम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नरसिंहपुर के कई गांव के मतदाता खामोश हैं, चुप्पी साधे हैं।

कहा भी तो यह भी कहा गया है कि बोलेंगे तो बदलेगा लेकिन नरसिंहपुर जिले के बहुत से गांव के लोग कुछ और सोचते हैं। वह कहते हैं कि बोलेंगे तो बदलेगा नहीं बल्कि वे  बोलेंगे तो बदला लेगा। अब बदला कौन लेगा इसे लेकर वे खामोश हैं बस इतना कहते हैं कि जो बदला ले सकता है वही लेगा।

गली – गांव की राजनीति का माहौल ही कुछ अलग है। लोग बोलने से कतरा रहे हैं। उनके चेहरे पढ़ने से यह जरूर अहसास होता है कि खत्म हो गई सौहार्दपूर्ण राजनीति को गांव के लोग बखूबी समझने लगे हैं इसलिए चुप रहने में ही भलाई समझते हैं।

समनापुर  गांव के युवक अरुण कहते हैं कि यहां कुछ बोलना आफत मोल लेना है। गांवों के लोगों को मालूम है कि उनके इलाके के कुछ दबंग दादानुमा नेता ही ख़ास हैं । वह ही प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची फाइनल करवाता है। वृद्धावस्था पेंशन हो या लाडली लक्ष्मी या लाडली बहना सब का काम उसकी ही सिफारिश से होगा इसलिए बेहतर है कि जिस दिशा में हवा चल रही है इस दिशा में रहो या फिर जमीर आड़े आता है तो चुपचाप रहो।

गांव की समस्या जानने के लिए जब देशगांव कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचा तो पाया कि लोग बोलना तो बहुत चाहते हैं लेकिन बोलते नहीं है। हमारे सवालों पर उनका जवाब था कि बोलेंगे तो बदला लेगा। कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं बहुत हैं। यह जरूर कि खेतीबाड़ी की बात करने पर इन गांवों के लोग बताते हैं कि हाल ही में कुछ समय पहले जब मौसम बदला था तो ओला – बारिश की वजह से मसूर की फसल पूरी तरह खराब हो गई।

गांव के लोगों ने शिकवा शिकायत की, उम्मीद रखी कि पटवारी आएगा लेकिन पटवारी आंकलन के लिए नहीं पहुंचे। जैसे कि समानापुर गांव के ही एक बुजुर्ग कहते हैं कि मसूर खराब हो गई लेकिन कोई सर्वे नहीं हो पाया। बिजली की समस्या ग्रामीण झेल रहे हैं। पर्याप्त वोल्टेज नहीं मिलने की वजह से सिंचाई के काम अधूरे पड़े रहते हैं। गांव के लोग बताते हैं कि रात में 9 बजे ही बोल्टेज आता है जो रात 11 बजे तक 2 घंटे रहता है।  इसके बाद फिर रात 2 बजे से सुबह 5 बजे तक। इतने बीच में किसान सिंचाई के लिए अपनी शिफ्ट बदलेगा, इसके लिए रात भर जागने की मजबूरी होती है।

आपके क्षेत्र के प्रत्याशी कौन हैं , यह शायद उन्हें मालूम नहीं या फिर बताने में भी बचते हैं। अलबत्ता कुछ किसानों की यह शिकायत है कि जंगली सुअरों की फौज और बेसहारा मवेशियों ने उनकी नाक में दम कर रखा है। पूरी फसल चौपट कर रहे हैं। यहां तक कि जान माल तक को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

समनापुर के बाद नर्मदा तट झामर के लोग भी देशगांव से बताते हैं कि जंगली सुअरों और बेसहारा मवेशियों की समस्या, बिजली के बोल्टेज की समस्या उन्हें भी परेशान कर रही है। नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से लगे ग्राम सूरजगांव व डोंगरगांव के किसान भी बिजली की व्यवधान से परेशान है। यहां राजाराम यादव और अन्य किसान बताते हैं कि पिछले 15 दिन से बिजली बंद पड़ी है।  मूंग और अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।

खाद बीज की कीमत को लेकर गांव के ही मुलायम मल्लाह कहते हैं कि मूंग के बीज 12 से 15 हजार रुपए क्विंटल मिल रहा है। उड़द का बीज भी बहुत महंगा है। अब खेती-बाड़ी बहुत घाटे का धंधा बन रही है। वे कहते हैं कि कीटनाशक महंगे और नकली मिल रहे हैं जिससे किसान हर बार ठगा जाता है पर इस पर सरकार या प्रशासन का ध्यान नहीं जाता।

कई बुजुर्ग मतदाता जिनकी आयु 75 – 80 साल से ऊपर है वह भी कहते हैं कि जिस ओर गांव जाएगा ,हम भी उसी तरफ जाएंगे, उसी तरफ रहेंगे आखिर हम गांव से अलग नहीं है। इस उम्र के लोगों की एक अलग लिस्ट भी बन गई है चूंकि इन्हें इस बार से घर पर ही मतदान की सुविधा मिलेगी तो इसके भी इंतजाम कर लिए गए हैं। लोगों, मतदाताओं के ना बोलने की बात को लेकर यह जरूर कहा जा सकता है कि कई बार खामोशी, चुप्पी भी करवट बदल देती है।



Related