मध्यप्रदेश सरकार अब महुए से बनाएगी शराब, आबकारी से ज़्यादा राजस्व लाने की कवायद


इस नई शराब से राज्य सरकार के पास ज्यादा राजस्व आएगा। वर्ष 2019-20 में सरकार को आबकारी विभाग से 10 हजार 800 करोड़ के करीब राजस्व मिला था। हैरिटेज मदिरा पॉलिसी के साथ यह भी प्रस्तावित किया गया है कि शराब का उत्पादन, बॉटलिंग और विक्रय की प्रक्रिया में सुधार किया जाए।


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भोपाल Published On :

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार  अब खुद ही शराब बनाने का फैसला कर रही है। ख़बरों के मुताबिक सरकार अब महुआ से शराब बनाएगी जिसे शराब दुकानों पर बेचा जाएगा। सरकार की नई हैरिटेज पॉलिसी के तहत यह निर्णय लिया गया है जिसे जल्द ही कैबिनेट में भी रखा जाएगा। हालांकि इस नई पॉलिसी से सरकार की योजना आदिवासी क्षेत्रों में स्वसहायता समूहों को मदद देने की है।

इस नई नीति से अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को काम मिल सकेगा और शराब के अवैध निर्माण और ज़हरीली शराब के कारण होने वाली घटनाओं पर कुछ हद तक रोक लगेगी। वहीं सरकार को राजस्व में भी लाभ मिलेगा।

राजस्थान में जोधपुर की ‘चंद्रहास’ और उदयपुर के ‘आशा’ ब्रांड की तरह ही मध्यप्रदेश सरकार का अपना ब्रांड होगा। इसका नाम जल्द ही तय किया जाएगा। महुए की शराब बनाने के लिए प्रदेश की शराब फैक्ट्रियां भी आदिवासी क्षेत्रों में स्व सहायता समूहों में मदद करेंगी। सरकार महुआ से बनने वाली नई शराब को मप्र के नाम से दूसरे राज्यों में भी भेजेगी। ऐसे में इसकी गुणवत्ता अच्छी से अच्छी रखने की कोशिश होगी।

ज़ाहिर है इस नई शराब से राज्य सरकार के पास ज्यादा राजस्व आएगा। वर्ष 2019-20 में सरकार को आबकारी विभाग से 10 हजार 800 करोड़ के करीब राजस्व मिला था। हैरिटेज मदिरा पॉलिसी के साथ यह भी प्रस्तावित किया गया है कि शराब का उत्पादन, बॉटलिंग और विक्रय की प्रक्रिया में सुधार किया जाए। इसके लिए ई-आबकारी सिस्टम लागू होने और विभाग का पूरी तरह कंप्यूटराइजेशन करने से राजस्व और बढ़ेगा। ई-आबकारी सिस्टम को एनआईसी से बनवाया गया है।



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