15 साल बाद ग्राम अनारद में धूमधाम से मनाई गई शीतला माता की मन्नत पूजा


200 से अधिक मन्नत वाली सिगड़ी महिलाओं ने सिर पर लेकर पूरे गांव में भ्रमण किया व हजारों से अधिक ग्रामीण व आसपास की जनता ने माता के दर्शन किए।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
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धार। चारों ओर माता के जयकारों की गूंज, माथे पर सिगड़ी लेकर निकली महिलाएं सुबह-सुबह माता का पूजन करने पहुंची। यह नजारा 15 साल बाद ग्राम अनारद में गांव शीतला माता के आयोजन के दौरान देखने को मिला।

7 बजे से ही राम मंदिर चौक में महिलाओं व पुरुषों का हुजूम इकट्ठा होना शुरू हो गया था। गाजे-बाजे के साथ राम मंदिर से महिलाओं ने सिर पर सिगड़ी लेकर करीबन एक किलोमीटर तक चल समारोह निकाला। डीजे व ढोल की थाप पर युवती-युवकों ने नृत्य किया।

एक दिन पहले माता का चुनरी चढ़ाने का कार्यक्रम हुआ जिसका चल समारोह पूरे गांव में ढोल के साथ निकाला गया व सभी ग्रामीण जनता की मौजूदगी में चुनरी चढ़ाई गई।

15 साल बाद हुआ माता पूजन –

ग्राम अनारद में सोमवार को शीतला माता (गांव गेर) का पूजन किया गया। इस दौरान पूरे गांव का माहौल भक्तिमय हो गया। कई दिनों से इसकी तैयारियां चल रही थीं। दूर-दूर से लोग गांव पहुंचे थे। सभी ग्रामवासी अलसुबह जुलूस के रूप में शीतलामाता मंदिर पहुंचे।

सालों से यह आयोजन नहीं हुआ था। सामूहिक प्रयास से पूजन की तैयारी की गई, जिसमें गांव के रहवासियों द्वारा अपने घरों पर विद्युत सज्जा की गई। आंगन द्वारा लगाए गए, रंगोली बनाई गई और दीपक भी जलाए गए।

रात को सभी ने मिलकर अपने घर पर सिगड़ी सजाई और घरों में पूजा करने के बाद जुलूस के रूप में पूरे गांव से महिलाओं ने सिर पर सिगड़ी रखी। वही शीलता माता के मंदिर की पूर्ण स्थापना के साथ मन्नत का कार्यक्रम भी हुआ।

रिश्तेदारों को दिया निमंत्रण –

शीतला माता की ग्रामगड़े की मान के लिए विशेष तौर पर उनके भाइयों को आमंत्रित किया, जो सिगड़ी उतारेंगे। उसके बाद सभी माता मंदिर परिसर में पहुंचते है। पहली पूजा गांव के पटेल द्वारा की गई। उसके बाद ग्रामवासियों द्वारा माता की पूजा की गई।

पूजन के बाद सभी मेहमानों को ग्रामवासियों ने घर पर होने वाली परम्पराओं का निर्वहन किया। तत्पश्चात यादव, राजपूत, पंडित, गोस्वामी, सेन, मालवीय, आदिवासी आदि समाज की महिलाओं ने सिर पर सिगड़ी उठाई जो मंदिर में पूजा के दौरान उतारी गई। गांव मे सभी घरों में दो दिन से रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था।

हजारों की संख्या में थे ग्रामीण –

सालों बाद गांव में पूजन का आयोजन हुआ और उसको देखते हुए गांव में करीबन 2 हजार से अधिक जनता मौजूद थी। 200 से अधिक मन्नत वाली सिगड़ी महिलाओं ने सिर पर लेकर पूरे गांव में भ्रमण किया व हजारों से अधिक ग्रामीण व आसपास की जनता ने माता के दर्शन किए।

वहीं इस नजारे को देखकर ग्रामीण जनता आनंदमई हुई। आयोजन इसलिए हुए क्योंकि बच्चो को बड़ी माताजी निकलते हैं। उस दौरान मान ली जाती है और उनकी मान उतारने के दौरान सिगड़ी सर पर रखी जाती है। इसको ग्रामीण क्षेत्र में अधिक माना जाता है।



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