सेंट मेरी स्कूल का विवादः दूसरे दिन हिन्दू संगठनों के दबाव के विरोध में थाने पहु्ंच गईं शिक्षिकाएं, थाने के बाहर जमकर हंगामा


सबसे अच्छी पढ़ाई के लिए पहचाना जाने वाला स्कूल धार्मिक विषयों पर बेवजह विवादों में फंसा, थाने में शिक्षिकाओं ने न्याय मांगा तो हिन्दू संगठन वाले हनुमान चालीसा पढ़ने लगे


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

शहर का एक सबसे अच्छा गर्ल्स स्कूल एक फिजूल विवाद में फस गया। स्कूल की प्राचार्या की लापरवाही से शुरु हुआ यह विवाद धार्मिक विवाद बढ़ाने वालों के हाथ में आया तो और पेचीदा होता गया और अच्छी पढ़ाई और अनुशासन के लिए पहचाना जाने वाला सेंट मेरी स्कूल हिन्दू संगठनों के युवाओं के निशाने पर  आ गया। इन संगठनों ने स्कूल की पढ़ाई पर कोई टिप्पणी नहीं की बल्कि वहां छात्राओं को धार्मिक आधार पर नहीं मिल रही छूट का विरोध किया। वहीं छात्राएं भी इस विवाद में लगातार स्कूल पर आरोप लगाती रहीं। इसके केंद्र में स्कूल की एक प्राचार्या हैं। छात्राओं के मुताबिक वे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी काम को स्कूल में नहीं करने देतीं और अक्सर ऐसी भाषा का प्रयोग करतीं हैं जो आज के समय में स्कूल में नहीं बोली जाती।

महू के सेंट मैरी स्कूल में दूसरे दिन भी हंगामा हुआ और यह इतना बढ़ गया है कि लोग थाने पहुंच गए। थाने पहुंचने वालों में स्कूल के शिक्षक भी थे जो आरोप लगा रहे थे कि लोग उन पर बिना वजह दबाव बना रहे हैं और अभद्रता कर रहे हैं। जिन लोगों पर यह आरोप थे वे हिन्दू संगठनों से जुड़े थे।  थाने में स्कूल प्रशासन और हिंदूवादी संगठनों ने पालकों के साथ मिलकर एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबजी की। करीब 3 घंटे तक चले इस हंगामे का अंत कार्रवाई के आश्वासन पर हुआ। इसके बाद स्कूल के सभी शिक्षिकाएं पुलिस सुरक्षा के बीच थाने से बाहर आई।

सेंट मेरी स्कूल में शुक्रवार को हुए प्रदर्शन व हंगामा का दौर दूसरे दिन शनिवार को भी जारी रहा। दोपहर को अचानक छात्राओं के साथ उनके माता पिता ने हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ जमकर हंगामा किया। छात्राओ का कहना था कि शुक्रवार को हुए हंगामे के बाद शनिवार को जब स्कूल पहुंची तो स्कूल की शिक्षिकाओं ने उनके साथ भेदभाव किया तथा अपशब्दों का प्रयोग किया। छात्राओं ने कहा कि हम पर दबाव बनाया जा रहा था कि शुक्रवार को जो आप उन्होंने लगाए हैं इससे वह इंकार करें। हालांकि ऐसा आरोप लगाने वाली छात्राओं ने कहा कि उन्हें किसी भी शिक्षिका ने खुद ऐसा नहीं कहा है बल्कि दूसरों से उन्होंने यह सुना है। इसी बात यह हंगामा शुरु हो गया।

यहां पहुंचे एक अभिभावक लोकेश जोशी ने आरोप लगाया कि वह अपनी बेटी को लेने गए थे जहां पर शिक्षिका व एक पुलिसकर्मी उनके साथ मारपीट की जबकि स्कूल की शिक्षिकाओं का कहना था कि शुक्रवार को हुए विवाद की बात शुक्रवार को समाप्त हो गई थी दूसरे दिन सामान्य रूप से कक्षाएं चल रही थी लेकिन कुछ छात्राओं ने अपने परिजनों को इसकी गलत जानकारी दी और परिजनों ने हिंदूवादी संगठन कार्यकर्ताओं के साथ स्कूल में आकर हंगामा किया यही नहीं एक शिक्षिका के साथ हाथा पाई का भी प्रयास हुआ।

स्कूल परिसर में करीब एक घंटे तक हंगामा होता रहा दोनों ओर से जमकर नारेबाजी हुई। शिक्षिकाओं का कहना था कि यह शिक्षा का मंदिर है यहां पर कुछ संगठन के कार्यकर्ता बेवजह जाकर शिक्षिकाओं को धमका रहे हैं। मामला इतना बढ़ गया है कि आक्रोशित शिक्षिकाओं ने मैदान संभालते हुए बाहरी लोगों के प्रवेश का विरोध किया तथा उनके व्यवहार व धमकी के विरोध करते हुए महू पुलिस थाने की ओर चल दीं।

शिक्षिकाओं के थाने जाते ही कुछ पालक अपनी बेटियों को लेकर हिंदू भारतीय संगठन कार्यकर्ताओं के साथ थाने पहुंच गए। इस दौरान दोनों ओर से जमकर नारेबाजी हुई ।थाने के अंदर शिक्षिकाओं ने न्याय दिलाने के लिए नारेबाजी की और वी वॉन्ट जस्टिस के नारे लगाए तो वहीं बाहर कुछ पालक व हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता नारेबजी करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे। यह प्रदर्शन करीब डेढ़ घंटे तक चला।

महू के सवा सौ साल पुराने सेंट मेरी स्कूल में हंगामा, छात्राओं का आरोप प्रिंसिपल धर्म के आधार पर करतीं हैं भेदभाव

मौके की गंभीरता को समझते हुए एडिशनल एसपी व नायब तहसीलदार थाने पहुंच गए तथा उन्होंने दोनों पक्षों को अंदर बुलाकर चर्चा की लेकिन इसके पूर्व शिक्षिकाएं इस बात पर अड़ गईं थी कि जिन कार्यकर्ताओं ने स्कूल में अंदर आकर दुर्व्यवहार करते हुए माहौल बिगाड़ा उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए जबकि पुलिस का कहना था कि वे शिकायत करें और उसकी जांच की जाएगी। इस बात को लेकर भी काफी बहस नारेबजी हुई बाद में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व नायब तहसीलदार ने दोनों पक्षों की बात सुनी और समझाईश देते हुए आश्वासन दिया कि स्कूल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज देखकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

करीब ढाई से 3 घंटे तक चले इस हगामें का अंत कार्रवाई के आश्वासन पर हुआ। इसके बाद में महिला शिक्षिकाओं ने बताया कि उन्हें कार्यकर्ताओं से धमकी मिली वह अपनी जान को खतरा है उन्हें सुरक्षा दी जाए। सभी महिला शिक्षिकाओं को पुलिस सुरक्षा के बीच बाहर निकल गया व स्कूल तक छोड़ गया।



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