नसबंदी शिविर में ग्रामीण महिलाओं को छोड़कर चले गए गिनीज बुक रिकॉर्ड होल्डर डॉक्टर


अभियान के तहत आशा कार्यकर्ताओं ने तहसील के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाओं को किसी तरह राजी – मना कर इस ऑपरेशन के लिए प्रेरित किया तथा अपने खर्चे पर महू के शासकीय अस्पताल तक लेकर आईं थी।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर।  मध्य प्रदेश शासन के नसबंदी योजना के तहत महू के सरकारी अस्पताल में सोमवार को उस समय झटका लगा जब एक वरिष्ठ चिकित्सक नसबंदी कराने आई महिलाओं को उन्हीं के हाल पर बीच में छोड़कर वापस चले गए।

इसकी जानकारी लगने पर तहसीलदार के आदेश के बाद एक अन्य चिकित्सक को यहां भेज कर देर शाम तक ऑपरेशन कराए गए।

यह मामला है महू तहसील के सबसे बड़े डॉक्टर आंबेडकर शासकीय अस्पताल का जहां पर महिलाओं की नसबंदी का ऑपरेशन कराए जाने थे।

इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ताओं ने तहसील के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाओं को किसी तरह राजी – मना कर इस ऑपरेशन के लिए प्रेरित किया तथा अपने खर्चे पर महू के शासकीय अस्पताल तक लेकर आई।

डाक्टर मोहन सोनी मात्र 13 महिलाओं के ही ऑपरेशन कर चले गए जबकि यहां पर 30 से अधिक महिलाएं दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आई थी जिनके ऑपरेशन होना थे।

आशा कार्यकर्ताओं को जब यह जानकारी लगी कि डॉक्टर सोनी वापस चले गए हैं तो काफी निराशा हुई और उन्होंने आक्रोश व्यक्त किया।

 

आशा कार्यकर्ताओं का कहना था कि बड़ी मुश्किल से महिलाओं को किसी तरह अपने खर्चे से यहां तक लेकर आई हैं।कुछ महिलाओं को इंजेक्शन लगा दिए गए थे जो ऑपरेशन के पहले लगाने होते हैं जबकि डॉक्टर सोनी का महिलाओं को बीच में ही छोड़कर चले जाना निराशाजनक है।

परेशान आशा कार्यकर्ता वा महिलाओं का कहना था कि वह सुबह से घर से निकली हैं। अपने परिवार और बच्चों को छोड़कर इस अस्पताल तक आने में उनके 200 रुपये खर्च हो चुके हैं। अब वे बार-बार नहीं आ सकती। अब ऑपरेशन नहीं कराएंगे।

आशा कार्यकर्ताओं का कहना था कि महिलाओं को ऑपरेशन करने में काफी परेशानी होगी।

बताया जाता है कि डॉक्टर सोनी का बिना बताए चले जाना भी काफी गंभीर है तथा उन्होंने अस्पताल के प्रभारी डॉ. हंसराज वर्मा व ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर एम तिवारी को भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी कि वह 17 महिलाओं को बिना ऑपरेशन किए वापस छोड़ कर क्यों जा रहे हैं ।

डॉक्टर वर्मा को जब इस बात की जानकारी लगी और उनसे बात करने पहुंचे तब तक सोनी जा चुके थे।

तहसीलदार अभिषेक शर्मा को इस बात की जानकारी दी गई कि महिलाओं को वापस ले जाना काफी मुश्किल काम है। इस योजना में काम करने में उन्हें परेशानी होगी।

अभिषेक शर्मा ने तत्काल प्रभारी डॉक्टर वर्मा से बात की व निर्देश दिए कि वे किसी भी तरह अन्य चिकित्सकों को यहां बुलवाएं व महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन करें।

डॉक्टर वर्मा ने तत्काल इंदौर के शासकीय अस्पताल से चिकित्सक को बुलवाया और दोपहर बाद महिलाओं के नसबंदी के ऑपरेशन शुरू किए जो शाम 6:00 बजे तक होते रहे। सुबह 9:00 बजे से आई महिलाओं को शाम 6:00 बजे तक का इंतजार करना पड़ा।

इस संबंध में डॉक्टर वर्मा ने कहा कि उन्हें डॉक्टर सोनी के चले जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और अगर उनके कागजात दस्तावेज या कुछ जांचें बाकी थीं तो थोड़ा इंतजार कर सकते थे क्योंकि दूरदराज से आए ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की जांच करने व कागज तैयार करने में कुछ समय तो लगता ही है। ऐसे में उन्हें बीच में छोड़कर चले जाना अनुचित है। सोनी ने ना तो मुझे और ना ही बी एम ओ को उनके जाने की कोई जानकारी दी ना ही कारण बताया।

उल्लेखनीय है कि डॉ मोहन सोनी का नाम गिनीज बुक में दर्ज है। उन्होंने विश्व में सबसे अधिक नसबंदी के ऑपरेशन किए हैं लेकिन आज के व्यवहार से काफी निराशा हुई। इस संबंध में जब डॉक्टर सोनी से बात करने की कोशिश की गई तो संपर्क नहीं हो सका।



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